सीमा पर शहादत : घर के अकेले कमाने वाले थे सूबेदार जमुना प्रसाद

मोटाहल्दू। वर्ष 2012 में एवरेस्ट फतह करने वाले सूबेदार जमुना प्रसाद पनेरू परिवार में अकेले कमाने वाले सदस्य थे, वही जमुना प्रसाद के शहीद होने…

मोटाहल्दू। वर्ष 2012 में एवरेस्ट फतह करने वाले सूबेदार जमुना प्रसाद पनेरू परिवार में अकेले कमाने वाले सदस्य थे, वही जमुना प्रसाद के शहीद होने से उनके दो मासूम बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया शहीद के 7 साल के पुत्र यस पनेरू कक्षा 3 में अध्ययनरत है और 3 साल की पुत्री साक्षी पनेरू जोकि अभी एलकेजी क्लास में अध्ययनरत है, लेकिन पिता के अचानक यूं शहीद हो जाने से दोनों के सिर पर से छोटी सी उम्र में पिता का साया उठ गया है। वहीं परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है।

अब परिवार को इंतजार है तो बस शहीद की पार्थिव देह के पहुंचने का ताकि वो अंतिम दर्शन कर सकें। शहीद जमुना प्रशाद पनेरू ने छुट्टी पर आने की कही थी परिजनों व पड़ोसियों के मुताबिक वर्ष 2019 अक्टूबर में वह ड्यूटी पर गए थे, लॉकडाउन से पहले उन्होंने कुछ दिन पहले ही दोबारा छुट्टी पर आने की बात कही थी, वह अप्रैल अब महीने में छुट्टी पर घर आने वाले थे, लेकिन उससे पहले ही कोरोनावायरस की वजह से लॉकडाउन लग गया जिस वजह से उन्हें लेकिन छुट्टी नहीं मिल पा रही थी।

गुरुवार को यमुना प्रशाद पेट्रोलिंग को निकले थे, उसी बीच हुई घटना में वह शहीद हो गए। भारतीय सेना की कुमाऊं रेजिमेंट की छटी बटालियन में तैनात जमुना प्रसाद पनेरू तीन भाई बहनों में दूसरे नंबर के थे उनका बड़ा भाई पोस्ट मास्टर पद पर है तो छोटा भाई वन विभाग में कार्यरत है।

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ब्रेकिंग न्यूज : मोटाहल्दू निवासी 6-कुमाऊं रेजीमेंट के जवान यमुना प्रसाद जम्मू में शहीद, गांव में शोक

हल्द्वानी। छह कुमाऊं रेजीमेंट में सूबेदार पद पर तैनात यमुना प्रसाद पनेरू शहीद हो गए। बताया गया है कि जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में रेस्क्यू के दौरान उन्हें गोली लग गई। जवान के शहीद होने की खबर मिलते ही घर में मातम पसर गया। शहीद का पार्थिव शरीर शनिवार तक उनके निवास स्थान यावत कालोनी अर्जुनपुर गोरापड़ाव पहुंचेगा। मूल रूप से विकासखंड ओखलकांडा के नया पदमपुर गांव निवासी शहीद यमुना प्रसाद पनेरू पुत्र स्व. दया किशन पनेरू आठ वर्ष पूर्व हल्द्वानी आये थे और यहां गोरापड़ाव में अपने परिवारजनों के साथ रहने थे।

गुरूवार की सुबह रेस्क्यू के दौरान उन्हें गोली लगी और सायं करीब 5 बजे सेना के जवान उनके घर पहुंचे और उनके शहीद होने की सूचना दी। 30 अक्टूबर को यमुना प्रसाद छुट्टी पूरी कर ड्यूटी पर लौटे थे और अप्रैल में घर आने वाले थे। लेकिन लाकडाउन के कारण नहीं आ सके। उनकी मौत की खबर से मां महेश्वरी देवी, बड़े भाई चंद्र प्रकाश पनेरू, छोटे भाई भुवन चंद्र पनेरू का रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं पत्नी ममता पनेरू सदमे में है।

शहीद जवान के एक पुत्र यश (6) तथा पुत्री साक्षी (4) है जो कक्षा 3 तथा एलकेजी में पढ़ते हैं। यमुना प्रसाद पनेरू के शहीद होने के खबर मिलते ही भीमताल विधायक राम सिंह कैड़ा, क्षेत्र पंचायत सदस्य गोपाल अधिकारी, ग्राम प्रधान केशव पंत, केडी पनेरू, सुरेश चंद्र पनेरू समेत आसपास के ग्रामीणों का उनके आवास पर तांता लग गया और दुख प्रकट किया।

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