Almora News: घर—घर की खुशहाली की कामना के साथ मनी ‘फूलदेई’

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ादेवभूमि पहाड़ में विविध प्रकार के स्थानीय त्यौहार मनाने की परंपरा दशकों से चली आ रही है। इसी में एक त्यौहार है ‘फूलदेई’।…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
देवभूमि पहाड़ में विविध प्रकार के स्थानीय त्यौहार मनाने की परंपरा दशकों से चली आ रही है। इसी में एक त्यौहार है ‘फूलदेई’। आज पहाड़ में फूलदेई का पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया। प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने के इस पर्व पर बच्चे काफी प्रफुल्लित दिखे। अल्मोड़ा में भी विभिन्न मोहल्लों ने बच्चों ने हर्षोल्लास से फूलदेई पर्व मनाया।
मालूम हो कि फूलदेई का पर्व हर साल चैत मास की संक्रांति यानी चैत्र मास की पहली तिथि को मनाया जाता है। सर्दी बीतने और उंचे पहाड़ों में बर्फ पिघलने के बाद जब बसंत दस्तक देता है और चहुंओर हरियाली अंकुरित होकर फूलों खिलने लगते हैं, तभी यह त्यौहार मनाया जाता है। इस पर्व को खासतौर पर छोटे बच्चों द्वारा बड़े उत्साह से मनाया जाता है। इसमें बच्चे फूलों व चावलों की टोकरी लेकर टोली के रूप में घर—घर जाते हैं और हर घर की दहलीज पर फूल व चावल डालकर दहलीज को नमस्कार करते हैं। साथ ही एक गीत गाते हुए उस घर की खुशहाली व धन धान्य की दुआ करते हैं। इसके एवज में बच्चों की टोकरी में गुड़, चावल व पैसे देने की परंपरा है। दरअसल, यह पर्व प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने के लक्ष्य से मनाया जाता है, क्योंकि प्रकृति के बिना जीवन का अस्तित्व नहीं है। इसलिए यह पर्व प्रकृति के संरक्षण का संदेश भी देता है। बच्चों को मिलने वाले गुड़ व चावल का घरों में विशेष प्रकार का पकवान बनाया जाता है। इस दिन बच्चों द्वारा गीत के ये बोल बोले जाते हैं—
”फूलदेई छम्मा देई
दैण द्वार भर भकार
यौ देली कै बारंबार,
नमस्कार”

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