अल्मोड़ा पहुंची भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद की टीम

— एसएसजे परिसर में कर रही वानिकी एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग का मूल्यांकन सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद देहरादून की एक…

— एसएसजे परिसर में कर रही वानिकी एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग का मूल्यांकन

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद देहरादून की एक समिति दो दिवसीय दौरे पर सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के अल्मोड़ा परिसर में पहुंची है। जो परिसर के वानिकी एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग का मूल्यांकन करेगी। समिति में भारतीय वन सर्वेक्षण देहरादून के पूर्व निदेशक डा. सुभाष आशुतोष, पूर्व मुख्य वन संरक्षक डा. अनूप चंद्रा शामिल हैं। उनका विभाग में पहुंचने पर स्वागत किया गया।

वानिकी एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार यादव ने समिति को विभाग में संचालित पाठ्यक्रमों, शोध प्रकाशन, क्रियाकलापों व अन्य गतिविधियों की विस्तार से जानकारी दी। इसके बाद समिति ने वानिकी के परास्नातक के छात्र—छात्राओं से भी संवाद किया और वानिकी के क्षेत्र में उच्च शिक्षा, रोजगार, अनुसंधान विभिन्न संभावनाओं की जानकारी दी। इस मूल्यांकन के दौरान आज विभाग के डा. मनमोहन सिंह कनवाल, शोधार्थी दीपा बिष्ट व स्नातकोत्तर के छात्र प्रवीण गुणवंत गौरव देवतल्ला एवं अन्य छात्र—छात्राएं उपस्थित रहीं।
परिषद के बारे में भी जानिए

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक शीर्ष संस्था भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद है। जो वानिकी के सभी पहलुओं पर कार्य करती है। यह परिषद विभिन्न विश्वविद्यालयों के वानिकी विभाग का मूल्यांकन रिपोर्ट प्राप्त करने के पश्चात उनका अवलोकन कर उन्हेें विभिन्न श्रेणियों में पंचवर्षीय समयावधि तक अपनी मान्यता प्रदान करती है और भवन व छात्रावास निर्माण, पुस्तकालय, प्रयोगशाला उपकरण आदि विभिन्न मदों में वित्तीय अनुदान प्रदान करती है। किसी भी विश्वविद्यालय में वानिकी विषय संचालित करने के लिए भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद से मान्यता जरूरी होती है।

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