Google Doodle: कमला सोहोनी, पीएचडी करने वाली पहली भारतीय महिला

Kamala Sohonie (18 June 1911 – 28 June 1998) CNE DESK. आज रविवार 18 जून 2023 को, सर्च इंजन Google ने एक भारतीय महिला का डूडल…

कमला सोहोनी, विज्ञान से पीएचडी करने वाली पहली भारतीय महिला
Kamala Sohonie (18 June 1911 – 28 June 1998)

CNE DESK. आज रविवार 18 जून 2023 को, सर्च इंजन Google ने एक भारतीय महिला का डूडल बना उन्हें याद किया है। यह महिला कमला सोहोनी (Kamala Sohonie) हैं, जिनकी आज 112वीं जयंती है। कमला सोहोनी भारत की पहली महिला थीं, जिन्होंने साल 1939 में विज्ञान में पीएचडी (PhD) हासिल की थी। यह वह दौर था, जब किसी महिला के लिए ऐसा करना बड़ा कठिन था। महिलाओं को पढ़ने-लिखने तक की उतनी आजादी नहीं थी, पीएचडी करना तो अलग बात है।

बताना चाहेंगे कि कमला सोहोनी का जन्म साल 1912 में इंदौर (मध्य प्रदेश) में हुआ था। उनका परिवार विज्ञान जगत से जुड़ा था। पिता नारायण राव भागवत और चाचा माधवराव भागवत रसायनज्ञ (केमिस्ट) थे। दोनों तब टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ साइंसेज़ के विद्यार्थी थे। वह दोनों भारतीय विज्ञान संस्थान से डिग्री हासिल करने वाले रसायन विज्ञान के पहले बैच से थे। यानी कमला इसी माहौल में पली और बढ़ी हुई थी, जहां विज्ञान के महत्व को पूजा जाता है।

दाखिले के लिए सत्याग्रह पर बैठना पड़ा

कमला सोहोनी (Kamala Sohonie) को साल 1933 में Bombay University से बीएससी की डिग्री मिली थी। मुख्य विषय रसायन विज्ञान, सहायक विषय भौतिक विज्ञान रहा। स्नातक में उन्हें अपनी कक्षा में सबसे अधिक अंक प्राप्त हुए थे। इसके बाद मास्टर्स डिग्री के लिए उन्होंने Indian Institute of Science में रिसर्च फेलोशिप में दाखिले के लिए आवेदन किया था, लेकिन वह स्वीकार नहीं हुआ।

उस समय संस्थान के प्रमुख प्रो. सीवी रमन (बाद में नोबल पुरस्कार से सम्मानित) थे। कहा जाता है कि उस दौर में रमन भी पुरूष प्रधान मानसिकता रखते थे। उन्होंने कमला सोहोनी का आवेदन उनके महिला होने के चलते खारिज कर दिया था। रमन का कहना था कि वह जगह महिलाओं के लिए नहीं है। जब कमला के पिता और चाचा भी इस मुद्दे पर मदद नहीं कर पाए, तब कमला डॉ. रमन के कार्यालय के बाहर ‘सत्याग्रह’ पर बैठ गईं। अंत में डॉ. रमन को झुकना पड़ा और कमला को दाख़िला दिया गया। हालांकि इसके लिए उन्होंने कई शर्तें भी रख दी थी।

इस तरह की थीं वह अजीब शर्तें –

शर्त नंबर 01 – कमला को नियमित उम्मीदवार के रूप में अनुमति नहीं मिलेगी। पहले साल के लिए प्रोबेशन पर भी काम करने के बाद उन्हें पूरे परिसर में जाना जाएगा।

शर्त नंबर 02- गाइड के कहे अनुसार देर रात तक काम करना होगा।

शर्त नंबर 03- कमला प्रयोगशाला के वातावरण को खराब नहीं करेगी।

हालांकि यह शर्तें काफी अजीब थीं। इसके बावजूत कोई अन्य चारा न देख कमला सोहोनी ने शर्तें कुबूल कर लीं। जिसके बाद वह वर्ष 1933 में संस्थान में प्रवेश पाने वाली वह पहली महिला बनीं।

कमला ने एक बार बयां किया था दर्द

समझने वाली बात है कि उस दौर में एक अकेली महिला को क्या-क्या नहीं झेलना पड़ा होगा। कहा जाता है कि कमला ने एक सभा में अपने उस दौर का जिक्र भी किया था। उक्त सभा भारतीय महिला वैज्ञानिक संघ की ओर से हुई थी। जिसमें कमला सोहोनी मुख्य वक्ता थीं।

तब उन्होंने कहा था, “Though Raman was a great scientist, he was very narrow minded. I will never forget the way he treated me because I was a woman. Still, Raman did not accept me as a regular student. It was an insult to me. The prejudice against women was very bad at that time. If even a Nobel laureate behaves like this, what can be expected from others?”

वैज्ञानिक सीवी रमन को झुकना पड़ा

वर्ष 1936 में कमला ने अपनी परस्नातक की डिग्री डिस्टिंक्शन के साथ हासिल की। इसके साथ ही उन्होंने आगे की रिसर्च के लिए Cambridge University से शिक्षा भी हासिल कर ली। जिसका बड़ा खास नतीजा रहा। फिर सीवी रमन को संस्थान के दरवाजे महिला विद्यार्थियों के लिए भी खोलने पड़ गए।

1939 में विज्ञान में पीएचडी

साल 1937 में कमला सोहोनी ने वैज्ञानिक रोबिन हिल के नेतृत्व में कार्य प्रारम्भ किया। तब रोबिन कमला के काम से इतने प्रभावित हुए ​कि उन्होंने कमला को Professor Frederick Hopkins की लैब में काम करने का सुझाव दिया।

ज्ञात रहे कि महान वैज्ञानिक फ्रेडरिक होपकिंस नोबल पुरस्कार विजेता रहे थे। उनके साथ काम करने के लिए वैज्ञानिकों को fellowship जीतने की आवश्यकता होती थी। कमला ने यह फेलोशिप जीती और काम करना शुरू किया। रिसर्च पीरियड 16 माह का था। होते-होते साल 1939 में विज्ञान में पीएचडी कर पाने वाली वह पहली महिला बन गईं।

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