हल्द्वानी। उत्तराखंड के सदन में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा है कि सरकार ने सहकारिता विभाग द्वारा बनाए गए धान खरीद केंद्रों को बंद कर दिया है। अब सिर्फ खाद्य विभाग खरीद केंद्रों में ही धान की खरीद होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे में प्रदेश के छोटे किसान जिनका 10 से चालीस कुंतल तक धान तौला जाना है। उन्हें अपना धान लेकर 10 से 15 किमी दूर ट्रेक्टर पर धान लाद कर खरीद केंद्रों पर जाना पड़ेगा। जिसे उन्हें आर्थिक हानि का सामना करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा है कि सरकार द्वारा एक करोड़ कुंतल धान खरीदने का लक्ष्य रखा गया था, यदि यह लक्ष्य पूरा भी हो गया था तो सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह किसानों का समस्त धान खरीदे। और जब तक धान की खरीददारी पूरी नहीं हो जाती तब तक सहकारिता विभाग के खरीद केंद्रों को सक्रिय रखा जाए। अभी तक केवल 99 लाख कुंतल धान की खरीद ही हो सकी है। जिसमें से पचास लाख कुंतल धान यूपी के किसानों का ही खरीदा गया है। उन्होंने कहा कि हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा जो कृषि कानून बनाया गया है। उसके आधार पर किसान कहीं भी अपनी फसल को बेच सकता है। अभी भी उत्तराखंड के किसानों ने अपना पांच लाख कुंतल धान का विक्रय करना है। उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रदेश के किसानों से लगभग 30 लाख कुंतल धान खरीदा जा चुका है।
इंदिरा ने कहा इसकी देय धनराशि लगभग 650 करोड़ रुपये हैं। उसके सापेक्ष सरकार ने 100 करोड़ का भुगतान ही प्रदेश के किसानों का किया गया है। प्रदेश कच्चे आढ़तियों राइस मिलर्स द्वारा भी 70 लाख कुंतल धान खरीदा जा चुका है और उनके द्वारा 1300 करोड़ रुपये के सापेक्ष 400 करोड़ रुपयों का भुगतान किया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उत्तराखंड के किसानों का समय से भुगतान करवाने के लिए एक याचिका हाईकोर्ट नैनीताल में डाली गई थी। जिसके क्रम में सरकार ने लिखित रूप से जवाब दाखिल किया गया था कि किसानों की फसलों रवि और खरीफ का भुगतान 48 घंटों से लेकर एक सप्ताह के के भीतर करवा दिया जाएगा लेकिन 41 दिनों बाद भी यह भुगतान नहीं किया जा सका है। जिस कारण किसान अपनी गेंहू बोने से वंचित हो गए हैं।
उन्होंने सरकार से मांग की है कि जल्दी से जल्दी किसानों की पूरी फसल की खरीद का इंतजाम करे और खरीदे गए धान का मूल्य जल्दी से जल्दी किसानों को दे। वर्ना कांग्रेस इस मुद्दे पर किसानों के साथ सड़कों पर उतरने का मजबूर होगी।