जानिए कोर्ट ने क्या कहा
CNE DESK/कोर्ट का फर्जी फैसला दिखा मुवक्किल से 2.5 करोड़ की ठगी करने वाले हाईकोर्ट के वकील विनय खाटू की जमानत न्यायालय ने खारिज कर दी है। मुंबई सत्र न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि खाटू के पुराने आपराधिक रिकॉर्ड रहे हैं, जिसमें IAS अधिकारी बनकर लोगों को धोखा देने के मामले भी शामिल हैं। यदि खाटू को जमानत मिलती है, तो इसका समाज में गलत संदेश जायेगा।
उल्लेखनीय है कि साल 2024 में यह मामला प्रकाश में आया था, जब एडवोकेट विनय खाटू की जालसाजी के आरोप में गिरफ्तारी हुई थी तथा उन पर कोर्ट में मुकदमा चला। तब भी बॉम्बे कोर्ट ने उसे अग्रिम जमानत गिरफ्तारी से पूर्व नहीं दी थी। खाटू को पिछले वर्ष 19 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है।
खाटू पर अलीबाग में संपत्ति को लेकर कानूनी विवाद में शामिल एक महिला उर्मिला तल्यारखान को गुमराह करने का आरोप था। महिला ने आरोप लगाया कि खाटू ने उसे बताया कि हाईकोर्ट ने 2022 में दो मौकों पर उसके पक्ष में आदेश जारी किए हैं। जब इन आदेशों पर अमल नहीं हुआ तो उसने अपना वकील बदल दिया और बाद में उसे पता चला कि आदेश फर्जी थे।
मामले में शिकायतकर्ता महिला ने कहा था कि उसने अपने निजी और संपत्ति संबंधी 12 मामलों में वकील के रूप में खाटू को नियुक्त किया था। एफआईआर में कहा गया है कि आरोपी ने महिला से कहा कि उसने हाईकोर्ट में लंबित मामलों में अपील दायर की है और 2022 में उसे बताया कि उसके पक्ष में दो मामलों का फैसला हुआ है, उसने प्रत्येक लंबित मामले में उससे फीस मांगी और महिला को अनुकूल आदेश दिखाकर बहकाया। जब उसने बाद में हाईकोर्ट की वेबसाइट पर आदेश देखने की कोशिश की, तो वह उन्हें खोजने में विफल रही और 2024 में एफआईआर दर्ज कराई।
तब अदालत ने माना था कि इससे पहले, खाटू के खिलाफ खुद को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी के रूप में गलत तरीके से पेश करने के लिए दो अपराध दर्ज किए गए थे। इसने इस बात को ध्यान में रखा कि लोग वकीलों की सेवाएं इसलिए लेते हैं क्योंकि वे अदालती प्रक्रियाओं या आदेशों और कानूनों की प्रकृति को नहीं समझते हैं।
अब पुन: याचिका हुई खारिज
गत दिवस पुन: मुंबई सत्र न्यायालय ने वकील विनय कुमार खाटू की जमानत याचिका खारिज कर दी है। सत्र न्यायाधीश वीजी रघुवंशी ने कहा कि यह अदालत खातू के पुराने रिकॉर्ड को नजरअंदाज नहीं कर सकती। पहले भी खातू पर IAS अधिकारी बनकर लोगों को धोखा देने के दो मामले दर्ज हैं। अगर अदालत खातू के पक्ष में फैसला सुनाती है, तो यह समाज के लिए गलत संदेश होगा। आरोपों की गंभीरता और खातू के पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए, मैं उन्हें जमानत नहीं दे सकता।
वॉट्सऐप पर भेजे फर्जी दस्तावेज
जज ने यह भी कहा कि अगर कोई WhatsApp चैट पर भरोसा करता है, तो उसे यह भी देखना होगा कि आरोपी ने अकाउंटेंट के साथ चैट में हाईकोर्ट से स्टे मिलने की बात कही थी। यह भी साफ है कि जाली आदेशों की तारीख के बाद बड़ी रकम उसके दोस्तों और सहयोगियों के खातों में ट्रांसफर की गई थी। अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी पर आपराधिक विश्वासघात और जाली दस्तावेज बनाने के आरोप भी लगाए गए हैं।