समस्या: अल्मोड़ा में गंदा व दुर्गंधयुक्त जलापूर्ति, सेहत बिगड़ने की आशंका

✍️ नगर में दो दिन बाद अपर्याप्त आपूर्ति, दूषित जल से नहाने में भी संकोच ✍️ पेयजलापूर्ति के बाद भी संकट में लोग, उपभोक्ताओं में…

अल्मोड़ा में गंदा व दुर्गंधयुक्त जलापूर्ति, सेहत बिगड़ने की आशंका

✍️ नगर में दो दिन बाद अपर्याप्त आपूर्ति, दूषित जल से नहाने में भी संकोच
✍️ पेयजलापूर्ति के बाद भी संकट में लोग, उपभोक्ताओं में पनप रहा आक्रोश

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: सीजन की पहली बड़ी बारिश ने जल संस्थान की पेयजलापूर्ति इंतजामों की पोल खोल दी है। पहले दो दिन नगर की पेयजल आपूर्ति पूरी तरह ठप रही। लोगों ने भारी संकट झेला। अब गत ​शनिवार से अपर्याप्त पेयजलापूर्ति हो रही है, तो नई मुसीबत आन पड़ी है। पेयजल के नाम पर गंदा मटमैला व दुर्गंधयुक्त पानी सप्लाई हो रहा है। इस पानी को पीना तो दूर, इससे नहाने में भी लोग संकोच कर रहे हैं। यही नहीं इसके इस्तेमाल से लोगों के सेहत पर विपरीत असर पड़ने का अंदेशा उभर आया है।

सीजन की पहली बारिश क्या हुई, उसने नगर की पेयजलापूर्ति और पानी के पंपिंग के इंतजामों की पोल खोल कर रख दी है। इस बार भी कारण बारिश से कोसी नदी में गाद व सिल्ट आने से पंपों से पंपिंग नहीं होना बताया गया। पिछले कई सालों से बरसात में जल संस्थान यही वजह बताते आ रहा है। गुरुवार शाम से नगर की पेयजलापूर्ति में आई आफत आज चौथे दिन भी दूर नहीं हो सकी। बताया गया है कि जोरदार बारिश के बाद कोसी नदी के बहाव में काफी मलबा व गंदगी बहकर आया। इससे कोसी नदी में स्थापित पंपों में गाद व सिल्ट भर गई। जिससे पंपों ने काम करना बंद कर दिया और उन्हें बंद कर दिया गया। इससे गुरुवार शाम से ही पेयजलापूर्ति ठप रही। इसके बाद गत शनिवार को आधी—अधूरी पेयजलापूर्ति हो सकी और आज रविवार को भी अपर्याप्त आपूर्ति हुई। अब अपर्याप्त पानी तो पहुंचने लगा, लेकिन यह पानी बेहद गंदा व बदबूदार है। जिसे पीना तो दूर लोग इस जल से नहाने में भी संकोच कर रहे हैं। अंदेशा ये पैदा हो गया है कि यदि जल संकट से जूझ रहे लोग इसका इस्तेमाल कर रहे होंगे, तो उन्हें उदर रोग, चर्म रोग होने और उनकी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ने की आशंका बन गई है, लेकिन जनता को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का जिम्मेदार जल संस्थान को लोगों के सेहत की कतई चिंता नहीं है।

बहरहाल पेयजलापूर्ति होने के बाद भी लोग पेयजल संकट से जूझ ही रहे हैं। यहां नौलों व प्राकृतिक जल स्रोतों पर निर्भरता चल रही है। लोग दूर दूर से प्राकृतिक जल स्रोतों से पेयजल लाने को मजबूर हैं। जल संस्थान की घिसी पिटी व्यवस्था को लेकर उपभोक्ताओं में आक्रोश भी पनपने लगा है। उनका कहना है कि हर बार बारिश में पंपों में गाद भरने का बहाना होता है। लोगों का कहना है कि इस समस्या का स्थाई समाधान क्यों नहीं किया जाता। उपभोक्ताओं ने जल संस्थान से अविलंब व्यवस्था ठीक करते हुए शुद्ध पानी का वितरण करने की पुरजोर मांग की है।

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