कोरोना वायरस को लेकर चीन की मुश्किलें कम होने का नाम नही ले रहे हैं। लाख छुपाने के बावजूद तमाम सबूत इस ओर इशारा कर रहे हैं कि कोरोना वायरस कोई प्राकृतिक आपदा नही, बल्कि चीन की वुहान लैब से ही निकला है। इन आरोपों की पुष्टि के लिए इतने सबूत पेश किये गये हैं कि अब विश्व स्वास्थ्य संगठन भी चीन को क्लीन चिट नही दे पायेगा।
ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना वायरस चमगादड़ों से फैलने की थ्योरी पूरी तरह गलत है। कोई भी वायरस इतना ताकतवर नही होता कि वह एक साथ पूरी दुनिया में फैल जाये। इस वायरस को वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। इसका सबसे बड़ा सबूत तो यही है कि शुरूआती तौर पर चीन के वैज्ञानिक ने स्वयं इस बात का खुलासा किया था कि लैब से वायरस लीक हो गया, लेकिन चीन ने उस वैज्ञानिक की आवाज को ही दबा डाला और दुनिया से सच्चाई आज तक छुपाई जा रही है।
Uttarakhand : हो गया फैसला, एक हफ्ता और रहेगा कोरोना कर्फ्यू, दुकानों के खुलने की समयसीमा बढ़ाई
अमेरिका के President Joe Biden ने इस मामले में खूफिया ऐजेंसियों से 90 दिन की रिपोर्ट अपने पास मंगाई है, जिसमें चीन की करतूत का जिक्र है।
आपको बता दें कि ब्रिटेन के Professor Angus Dalglish and Doctor Berger Sorensen of Norway ने कहा कि SARS-CoV-2 वायरस वास्तव में चीन के वुहान लैब से ही रिसर्च के दौरान लीक हुआ। इस बात के कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि यह natural virus है। उनका कहना है कि चीन के वैज्ञानिक विज्ञान के क्षेत्र में एक खतरनाक हथियार तैयार कर रहे थे, लेकिन उनका यह दांव उलटा तब पड़ गया जब इस वायरस ने उनके ही देश पर सबसे पहले हमला कर डाला।
British scientists का यह भी कहना है कि खुद चीन के कुछ रिसर्चर्स ने जब इस बारे में जुबान खोलनी चाही तो उन्हें चुप करा दिया गया। चीन के कुछ वैज्ञानिक American universities के साथ भी जुड़े हुए हैं। ब्रिटिश वैज्ञानिकों का दावा है कि लैब से लीक होने के बाद यह वायरस इंसानों में पहुंचा और वक्त के साथ ज्यादा संक्रामक और ताकतवर हो गया है। इसकी तकनीकी वजहें हैं। हमारे WhatsApp Group को जॉइन करें 👉 Click Now 👈
कनाडा के इंडियन रेसिडेंशियल स्कूल से मिली दफन की गई 215 बच्चों की लाशें, खुदाई का काम जारी
पिछले महीने Hong Kong के एक रिसर्च ग्रुप ने कोविड-19 पर चीन की थ्योरी को खारिज कर दिया था। कहा था- चीन आर्थिक बढ़त हासिल करने के लिए कहानियां गढ़ रहा है।
ब्रिटिश अखबार ‘The Daily Mail’ को दिए साक्षात्कार में नॉर्वे के डॉक्टर बर्गर सोरेनसेन ने कहा- अब तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि कोई नैचुरल वायरस इतनी तेजी से म्यूटेट हो। डॉक्टर सोरेनसेन ने कहा कि ”फरवरी 2020 की एक घटना याद कीजिए। South china की एक University के सीनियर रिसर्चर और मॉलीक्यूलर एक्सपर्ट बोताओ झियाओ ने अपने रिसर्च पेपर में कहा था- जानलेवा कोरोना वुहान की एक लैब से निकला। यहां इससे निपटने के लिए सुरक्षा प्रबंध भी नहीं थे। हालांकि, जब उन पर दबाव बढ़ा तो उन्होंने यह दावा वापस ले लिया।”
चीन पर शक की सबसे बड़ी वजह जो कही जा रही है कि वह यह है कि जब भी अन्य देश कारोना वायरस के उत्पन्न होने के मूल कारणों की जांच की बात करते हैं तो चीन कतई सहयोग नही देता और पीछे हट जाता है। आखिर चीन में इस मुद्दे को लेकर इतनी बेचैनी क्यों है और वह क्यों नहीं जरूरी जानकारी मुहैया कराने को तैयार है।
यह भी जानें !
1996 में चीन की सेना के दो अधिकारियों ने एक किताब लिखी थी जिसका अंग्रेजी में शीर्षक है Unrestricted Warfare इस किताब में सुझाव दिया गया था कि चीन को international कानूनों की परवाह ना करते हुए युद्ध में हर प्रकार के हथियार का इस्तेमाल करना चाहिए. इनमें आर्थिक और सांस्कृतिक युद्ध से लेकर जैविक और रासायानिक हथियारों के इस्तेमाल की बात कही गई है।
कहा जाता है कि इस वायरस के फैलने की शुरुआत वुहान की एक वेट मार्केट से हुई थी जहां जंगली जानवर बेचे जाते हैं। इसी वेट मार्केट से करीब 15 से 20 किलोमीटर की दूरी पर है चीन का वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (Wuhan Institute of Virology)। ये चीन का सबसे बड़ा वायरोलॉजी सेंटर है। वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में दुनिया भर के सबसे खतरनाक वायरस रखे गए हैं, जहां इनकी जांच होती है और इन पर शोध किए जाते हैं। हमारे WhatsApp Group को जॉइन करें 👉 Click Now 👈
Corona Update : उत्तराखंड में एक्टिव केसों की संख्या 28371, आज 3039 मरीज हुए ठीक, 44 की मौत
उत्तराखंड : जानलेवा हुआ ब्लैक फंगस, महिला सहित 02 मरीजों की मौत, मृतकों में एक पिथौरागढ़ निवासी
बड़ी ख़बर : चुनावी तैयारियों या आचार संहिता से प्रभावित नही होगी शिक्षक भर्ती : शिक्षा मंत्री
Uttarakhand : हो गया फैसला, एक हफ्ता और रहेगा कोरोना कर्फ्यू, दुकानों के खुलने की समयसीमा बढ़ाई