Big Breaking : अवैध नहीं है वेश्यावृत्ति, Sex Worker अपराधी नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सीएनई रिपोर्टर वेश्यावृत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय : सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा कि अपनी इच्छा से वेश्यावृत्ति करना अवैध…

सीएनई रिपोर्टर

वेश्यावृत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय : सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा कि अपनी इच्छा से वेश्यावृत्ति करना अवैध नहीं है, हालांकि वेश्यालय चलाना गैर कानूनी है। सेक्स वर्कर्स भी देश के नागरिक हैं। वे भी कानून में समान संरक्षण के हकदार हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस को आदेशित किया है कि उन्हें sex workers के काम में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। महिला यदि बालिग है और सहमति से सेक्स वर्क करती है तो उस पर आपराधिक कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।

दरअसल, Supreme court कोरोना के दौरान सेक्स वर्कर्स को उत्पन्न परेशानियों को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि sex workers भी कानून के तहत गरिमा और समान सुरक्षा dignity and equal protection के हकदार हैं।

Justice L Nageswara Rao, Justice BR Gavai and Justice AS Bopanna की बेंच ने सेक्स वर्कर्स के अधिकारों को सुरक्षित करने की दिशा में छह निर्देश भी जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा है कि —

⏩ सेक्स वर्कर्स भी देश के नागरिक हैं। वे भी कानून में समान संरक्षण के हकदार हैं।

⏩ बेंच ने कहा, इस देश के हर नागरिक को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार मिला है। अगर पुलिस को किसी वजह से उनके घर पर छापेमारी करनी भी पड़ती है तो सेक्स वर्कर्स को गिरफ्तार या परेशान न करे।

⏩ अपनी मर्जी से प्रॉस्टीट्यूट बनना अवैध नहीं है, सिर्फ वेश्यालय चलाना गैरकानूनी है।

⏩ महिला सेक्स वर्कर है, सिर्फ इसलिए उसके बच्चे को मां से अलग नहीं किया जा सकता। अगर बच्चा वेश्यालय या सेक्स वर्कर के साथ रहता है इससे यह साबित नहीं होता कि वह बच्चा तस्करी कर लाया गया है।

⏩ कोर्ट ने कहा कि अगर सेक्स वर्कर के साथ कोई भी अपराध होता है तो तुरंत उसे मदद उपलब्ध कराएं, उसके साथ यौन उत्पीड़न होता है, तो उसे कानून के तहत तुरंत मेडिकल सहायता सहित वो सभी सुविधाएं मिलें जो यौन पीड़ित किसी भी महिला को मिलती हैं।

⏩ कोर्ट ने यह भी कहा कि कई मामलों में यह देखा गया है कि पुलिस सेक्स वर्कर्स के प्रति क्रूर और हिंसक रवैया अपनाती है। ऐसे में police and agencies को भी सेक्स वर्कर के अधिकारों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।

सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि पुलिस को प्रॉस्टिट्यूट के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए, पुलिस को उनके साथ verbally or physically गलत व्यवहार नहीं करना चाहिए। कोई भी सेक्स वर्कर को यौन गतिविधि के लिए मजबूर नहीं कर सकता।

कोर्ट ने कहा कि मीडिया के लिए Guidelines बननी चाहिए। Press Council of India से सेक्स वर्कर्स से जुड़े मामले की Guidelines for coverage जारी करने की अपील की है। जिससे गिरफ्तारी, छापे या किसी अन्य अभियान के दौरान Identification of sex workers नहीं होने पाये। सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश सेक्स वर्कर्स के पुनर्वास को लेकर बनाए गए पैनल की सिफारिश पर दिए हैं। कोर्ट ने इन सिफारिशों पर hearing की अगली तारीख 27 जुलाई तय की है। केंद्र को इन पर जवाब देने को कहा गया है।

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