ब्रेकिंग न्यूज : खत्म हुआ बेरीनाग के नरभक्षी तेंदुए का खौफ, शिकारी जॉय हुकील ने बनाया 40वां शिकार, गांव में वाह—वाह

बेरीनाग। यहां के भट्टी व आसपास के गांवों में पिछले एक महीने से खौफ का कारण बनी नरभक्षी मादा गुलदार को शिकारी जॉय हुकील ने…

बेरीनाग। यहां के भट्टी व आसपास के गांवों में पिछले एक महीने से खौफ का कारण बनी नरभक्षी मादा गुलदार को शिकारी जॉय हुकील ने ढेर कर दिया है। रात लगभग सवा नौ बजे नरभक्षी को निशाना बनाकर उस समय गोली मारी गई जब वह दबे पांव गांव गांव में घुस रही थी। आज सुबह उसका शव खाई से बरामद किया गया। नरभक्षी के शव का पोस्टमार्टम किया जा रहा है।
हम आपको बता दें कि पिछले महीने की शुरूआत में भट्टी गांव में एक गुलदार ने एक बच्ची को मार डाला था। बच्ची को उठाने के बाद वह उसे लेकर एक पेड़ पर जा चढ़ा था। इसके बाद भी गांव के आसपास तेंदुए की मूवमेंट देखे जाने के बाद वन विभाग ने पहले उसे रेस्क्यू करने का बीड़ा उठाया। गांव के आसपास पिंजरे लगाए गए। कैमरा ट्रेप का जाल बिछाया गया लेकिन गुलदार वन विभाग से हर मोड़ पर एक कदम आगे ही रहा। अंतत: विभाग ने गुलदार को नरभक्षी घोषित करते हुए उसे मारने के लिए शिकारी जॉय हुकील को बुलाने का निर्णय लिया।


पांच नवंबर को शिकारी जॉय हुकील ने पिथौरागढ़ के बेरीनाग कस्बे में पहुंचकर मोर्चा संभाला। भट्टी गांव बेरीनाग के नजदीक ही है। इस इलाके में गुलदारों की बहुतायत होने के कारण असली नरभक्षी की शिनाख्त करना सबसे पहले शिकारी की समस्या थी। नरभक्षी ने बच्ची को तकरीबन एक माह पहले मारा था, इसलिए हत्या के प्रकार व गुलदार की पहचान करने के सभी सबूत नष्ट हो चुके थे। इसके लिए उन्होंने कैमरा ट्रेप का उपयोग किया।
कैमरे में दिख रहे चित्रों के आधार पर यह देखा गया कि मानव बस्ती की तरफ कौन से गुलदार की चहलकदमीी अधिक होती है। अंतत: तय हुआ कि नरभक्षी एक सात या आठ साल की मादा गुलदार है। बस यह सूत्र हाथ लगते ही नरभक्षी की तलाश शुरू कर दी गई। कल देर रात जब शिकारी व वन विभाग की टीम टार्च लेकर गांव के बाहर गश्त कर रही थी एक गुलदार को गांव के अंदर दबे पांच जाते देखा गया। समय रात के लगभग नौ बजकर बीस मिनट हो चले थे। गुलदार के पैरों के निशानों के पीछे टार्च की रोशनी में टीम आगे बढ़ रही थी अचानक एक झाड़ी के पास टीम को गुलदार से सामना हो ही गया। गुलदार शिकारी की टीम से कुछ कदमों की दूरी पर ही थी। और यह पहचानने के लिए कि वही वह गुलदार है जिसकी उन्हें कई दिनों से तनलाश थी शिकारी के पास चंद सैकेंड का समय था। अगर देरी होती तो गुलदार या तो टीम पर झपट पड़ती या फिर अंधेरे का फायदा उठा कर जंगल में गुम हो जाती है। लेकिन अब तक 39 नरभक्षियों पर सटीक निशाना लगा चुके जाय हुकील ने यह काम भी सैकेंडों में करके अपनी बंदूक संभाल ली। अचानक एक धमाका हुआ और गुलदार खाई में जा लुढ़की। कुछ देर शिकारियों की टीम आहट टोहती रही और फिर निर्णय लिया गया कि सुबह आकर खाई में उतर कर देखा जाएगा कि आखिर नरभक्षी का अंत हुआ या नहीं। टीम वापस लौट आई और पूरी रात इसी उहापोह में गुजरी की जिसे मार गया वह नरभक्षी ही थी या कोई और।
आज सुबह टीम दोबारा से तैयार होकर मौके पर पहुंच गई । कई फीट गहरी खाई में उतर कर तलाशी अभियान चलाया गया और फिर यह तलाश एक झाड़ी के पास पहुंच कर पूरी हुई जहां एक सात आठ साल की मादा गुलदार का शव पड़ा था। वह मारी जा चुकी थी। कुछ ही देर में कानों कान यह खबर गांव में पहुंच गई और नरभक्षी को देखने के लिए ग्रामीणों का तांता लग गया। शिकारी जॉय व उनकी टीम की चारों ओर वाह वाह हो रही है।
फिलहाल शव को पोस्टमार्टम किया जा रहा है। जॉय के अनुसार नरभक्षी के पंजे और दांत पूरी तरह से सुरक्षित थे। उनका कहना है कि गुलदार दो वजहों से नरभक्षी होते हैं एक तो शारीरिक और दूसरा मानसिक। इस मामले में मानसिक कारण ज्यादा दिखाई पड़ रहा है। दूसरे इस मादा गुलदार की उम्र लगातार बढ़ती जा रही थी और वह अब जंगली जानवरों का शिकार करने की क्षमता खोने लगी थी। यही वजह है कि वह आसान शिकार की तलाश में इंसानी आबादी में पहुंच रही थी।

देखिए शिकारी जॉय ​हुकील से हमारी खास बातचीत

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