Almora: हम अपनी जड़ व कर्म से जुड़ें, तभी शिक्षा फलीभूत होगी—कुलपति

— सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के ‘हरेला महोत्सव’ का आगाज— हरेला पीठ के तहत एक सप्ताह चलेंगे विविध कार्यक्रमसीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ासोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा…

— सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के ‘हरेला महोत्सव’ का आगाज
— हरेला पीठ के तहत एक सप्ताह चलेंगे विविध कार्यक्रम
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा और यूसर्क (उत्तराखंड साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च सेन्टर देहरादून) के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय में स्थापित हरेला पीठ द्वारा हरेला महोत्सव आयोजित हुआ। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित इस महोत्सव का उद्घाटन मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. नरेंद्र सिंह भंडारी, हरेला पीठ के निदेशक प्रो. जगत सिंह बिष्ट, यूसर्क के निदेशक प्रतिनिधि एवं वैज्ञानिक डॉ. भवतेश शर्मा, हरेला पीठ के संयोजक प्रो. अनिल कुमार यादव, प्रो. देव सिंह पोखरिया एवं वैज्ञानिक डॉ. पीएस नेगी ने संयुक्त रूप
से मां सरस्वती व भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

हरेला पीठ द्वारा उगाए गए हरेले की पंरपरानुसार पूजा-अर्चना व हवन कर हरेला चढ़ाने व धारण करने की रस्म अदा की गई। इसके बाद संगीत के विद्यार्थियों ने सरस्वती वंदना, स्वागत गीत प्रस्तुत किया और अतिथियों का हरेला पीठ के सदस्यों ने शाल ओढ़ाकर व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मान किया। इस मौके पर मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. नरेंद्र सिंह भंडारी ने हरेला पर्व की सभी को बधाई देते हुए कहा हमें अपनी जड़ों व कर्म से जुड़ना होगा, तभी शिक्षा फलीभूत होगी। कुलपति ने कहा कि पर्यावरण व संस्कृति संरक्षण के लिए हरेला पीठ एक नया प्रयोग और विचार है। हरेला पीठ के तहत यूसर्क के साथ मिलकर तेजी से कार्य करने का लक्ष्य है और इसके लिए वि​श्वविद्यालय यूसर्क के साथ जल्दी ही एमओयू करेगा।

हरेला पीठ के निदेशक प्रो. जगत सिंह बिष्ट ने कहा हरेला लोक जीवन से जुड़ा है। लोक संस्कृति संरक्षण के लिए स्थापित हरेला पीठ के बैनर तले कुलपति प्रो. नरेंद्र सिंह भंडारी के नेतृत्व में 16 जुलाई से 22 जुलाई, 2022 तक हरेला महोत्सव आयोजित हो रहा है। जिसके तहत हर दिन विविध कार्यक्रम होंगे। उन्होंने कहा कि लोकपर्व हरेला का पर्यावरण के संरक्षण में बहुत बड़ा योगदान है। मुख्य आधार व्याख्याता प्रो. देव सिंह पोखरिया ने कहा कि लोक में परंपराएं पीढ़ी दर पीढ़ी चलते रही हैं। हरेला प्राचीन संस्कृति से जुड़ा है। हरेला भावनाओं से जुड़ा है। उन्होंने हरेले की परंपरा पर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि लोक और वेद आपस में जुड़े हैं। वेद में लोक से कई महत्वपूर्ण बातें छुपी हैं। जिनको प्रकाश में लाने की आवश्यकता है।

यूसर्क के निदेशक प्रतिनिधि एवं वैज्ञानिक डॉ. भवतेश शर्मा ने एसएसजे विश्वविद्यालय के कुलपति एवं हरेला पीठ के सदस्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि हरेला पीठ के माध्यम से प्राचीन परम्पराओं को प्रकाश में लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस पीठ कार्य भविष्य में मील का पत्थर साबित होंगे। उन्होंने यू सर्क द्वारा पर्यावरण के संरक्षण के लिए राज्यभर में किये जा रहे कार्यों/क्रिया कलापों की विस्तार से जानकारी दी। वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. बलवंत कुमार, डॉ. धनी आर्य, डॉ. मंजुलता उपाध्याय ने कहा कि हवन का अपना अलग महत्व है। जो पर्यावरण को शुद्ध करता है। उन्होंने कहा कि जिस जगह पर हवन होता है, वहां पर बैक्टीरिया 50 प्रतिशत कम हो जाते हैं और कवक भी खत्म हो जाते हैं। यह बातें अध्ययन से स्पष्ट हुई हैं। उन्होंने बताया कि वनस्पति विज्ञान विभाग इस दिशा में शोध कर रहा है। महोत्सव का संचालन योग विज्ञान विभाग के डॉ. नवीन भट्ट किया जबकि हरेला पीठ के सह संयोजक डॉ. बलवंत कुमार ने सभी का आभार जताया। महोत्सव के उद्घाटन सत्र में हरेला पीठ के हरेला पीठ के संयोजक प्रो. अनिल कुमार यादव, एनआरडीएमएस के निदेशक डॉ. नंदन सिंह बिष्ट, प्रो. वीडीएस नेगी, प्रो. एके नवीन, डॉ. सबीहा नाज, डॉ. वंदना जोशी, डॉ. मंजुलता उपाध्याय, डॉ. ममता असवाल, डॉ. रवींद्र कुमार, डॉ. ललित जोशी, डॉ.मनमोहन कनवाल, डॉ. राजेश राठौर, डॉ. मनीष त्रिपाठी, डॉ अरविंद पांडे, सरिता पालनी,मनीष ममगई, रीतिका टम्टा, गिरीश अधिकारी, जयवीर नेगी आदि के साथ विश्वविद्यालय के शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मी, विद्यार्थी मौजूद रहे।

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