सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
किसी इंसान द्वारा सर पर पहुंचाई गई चोट के चलते एक बंदर अपना दिमागी संतुलन खो बैठा। जिसके बाद इसने ऐसा उत्पात मचाया कि देखने वाले हैरान रह गये। कई रोज तक नगर क्षेत्र की जनता ने पागल बंदर का उत्पात झेला और आखिरकार वन विभाग की कड़ी मशक्कत के बाद यह पकड़ ही लिया गया।
दरअसल, नगर व आस—पास के क्षेत्रों में बंदरों की लगातार बढ़ती तादात के चलते अब हालात काफी खराब हो चले हैं। बंदरों की जनसंख्या नियंत्रण को लेकर किये गये संबंधित विभाग के सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं। निरंतर बंदर अपनी तादात बढ़ा रहे हैं। आरोप है कि शहर में बाहरी क्षेत्रों से लाकर भी बंदर यहां छोड़े जा रहे हैं। जिससे अब शहर में बंदर और इंसानों के बीच एक संघर्ष शुरू हो चुका है।
आए दिन जहां बंदर लोगों को काट रहे हैं, वहीं गुलेल, लाठी, पत्थरों आदि से चोटिल होने के बाद कई बंदर अपंग हो चुके हैं। ऐसा ही एक वाक्या अल्मोड़ा में देखने को मिला। यहां एक बंदर के सर पर किसी अज्ञात व्यक्ति ने पत्थर दे मारा। पत्थर के प्रहार से यह बंदर धीरे—धीरे अपना मानसिक संतुलन खोने लगा। पहले तो स्थिति ज्यादा गम्भीर नहीं थी। दिमागी संतुलन खोने के बाद बंदर राह चलते लोगों के कंधों की सवारी करने लगा, लेकिन धीरे—धीरे हालात बद से बदतर होते चले गये।
अचानक यह बंदर पूरी तरह पगला गया और जहां—तहां लोगों को काटने लगा। दुकानों में घुस कर इसने तोड़—फोड़ भी शुरू कर दी। इस बंदर की हरकतें देख जहां पहले लोग अपना मनोरंजन कर रहे थे, वहीं बाद में इस बंदर को देख खौफ खाने लगे। हाल में यह बंदर कारखाना बाजार स्थिति एक बर्तन, फोटो स्टेट और चश्मे की दुकान में दाखिल हो गया, जहां इसने तोड़—फोड़ शुरू कर दी। पास आने वालों को काटने जाने लगा।
सूचित किये जाने के बाद वन विभाग हरकत में आया। फिर वन विभाग की एक टीम इस बंदर को पकड़ने के लिए इसके पीछे लग गई। दो से तीन दिन तक यह वन कर्मियों को छकाता रहा, लेकिन गत दिवस जिला अस्पताल में यह वन कर्मियों के हथ्थे चढ़ गया। बंदर को पकड़ने के लिए वन दरोगा भुवन लाल ने बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने बड़े साहस के साथ इस बंदर को दबोच कर बोरे में डाल दिया। इस दौरान बंदर ने उनके बायें हाथ में काट भी लिया। जिसके बाद उन्हें इंजेक्शन लगवाने पड़े। उनके साथ विभागीय श्रमिक निर्मल बोरा व चंपावत से हाल में आये एक वन रक्षक भी शामिल थे।
फिलहाल बंदर को रेस्क्यू सेंटर भेज दिया गया है। वन कर्मियों का कहना है कि बंदर के सर पर चोट के निशान हैं। जिससे साफ जाहिर होता है कि इस पर किसी ने पत्थर से प्रहार किया है। दिमागी चोट की वजह से यह बंदर अपना मानसिक संतुलन खो बैठा और ऐसी हरकतें करने लगा।