कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए व्यापक स्तर पर की जा रही तैयारियों की पोल उस वक्त खुल गई जब उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अचानक जांच टीम ने लगभग 45 निजि अस्पतालों में छापा मारा। इस दौरान कई चौंकाने वाली जानकारियां जांच टीम के हाथ लगीं।
पाया गया कि कई अस्पतालों में न तो डॉक्टर्स थे और ना ही कोई नर्स, आपरेशन थियेटर के फ्रिज में दवाओं की जगह बियर की बोतलें रखी गई थीं। हद तो तब हो गई जब एक अस्पताल में तो डॉक्टर साहब की जगह एक बीएससी पास युवक मरीज को देखता मिला। इसके बाद आनन—फानन में 29 अस्पतालों को नोटिस जारी कर दिया गया है।
गत दिवस स्वास्थ्य विभाग और लखनऊ जिला प्रशासन की आधा दर्जन टीमों ने छापेमारी शुरू कर दी। इस दौरान यह पाया गया कि ज्यादातर अस्पताल तो बगैर लाइसेंस के ही चल रहे थे। एक अस्पताल में तो बीएससी पास मरीजों का इलाज करता पाया गया।
जांच व छापेमारी टीम ने बताया कि Tulsi And Trauma Center पर चार आईसीयू बेड थे, लेकिन डॉक्टर नहीं थे। यहां ओटी के फ्रिज में बीयर की बोतलें रखी मिलीं। validity of license भी खत्म हो गई थी। इसी तरह Mediplus And Trauma Center के लाइसेंस की वैद्यता भी खत्म मिली। ताजा खबरों के लिए WhatsApp Group को जॉइन करें 👉 Click Now 👈
छापेमारी के दौरान Modern Hospital Maternity And Trauma Center में तीन आईसीयू के बेड मिले, लेकिन एक्स-रे व इमरजेंसी की सुविधाएं नही थीं। डॉक्टर नहीं मिले, स्टॉफ नर्स के पास नर्सिंग की डिग्री तक नहीं थी। इसी तरह New Asian Hospital and Trauma Center में डॉक्टर नहीं थे और बीएससी डिग्रीधारक अस्पताल मालिक प्रेम कुमार वर्मा खुद ही मरीजों का इलाज करते मिले।
क्या कहते हैं जिलाधिकारी ?
इस संपूर्ण मामले में जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने कहा कि इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नही की जायेगी। उन्होंने बताया कि सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल को सख्त निर्देश दिये गये हैं। जिसके अनुपालन में सीएमओ ने 29 अस्पतालों को नोटिस भेजा है। अस्पताल मैनेजमेंट ने संतोषजनक उत्तर नहीं दिया तो सीलिंग की कार्रवाई अमल में लायी जायेगी।
अलबत्ता इतना कहा जा सकता है कि इस तरह की लापरवाही का मामला सिर्फ उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर का नही है, बल्कि पूरे देश में सरकारी व निजि अस्पतालों की भी कुछ ऐसी ही दशा है। कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए अस्पताल कितने तैयार हैं इसके लिए सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को संबंधित जिलाधिकारियों को अस्पतालों के समय—समय पर औचक निरीक्षण के आदेश जारी करने चाहिए।
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