ऐलान : लोकसभा चुनाव में जन—जन तक पहुंचेंगे बिट्टू कर्नाटक

📌 प्राधिकरण के मुद्दे पर आंदोलन की चेतावनी ➡️ कहा नहीं होने दूंगा अल्मोड़ा की जनता का उत्पीड़न अल्मोड़ा। उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं…

पूर्व दर्जामंत्री बिट्टू कर्नाटक

📌 प्राधिकरण के मुद्दे पर आंदोलन की चेतावनी

➡️ कहा नहीं होने दूंगा अल्मोड़ा की जनता का उत्पीड़न

अल्मोड़ा। उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व दर्जा मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने अल्मोड़ा में विगत 5 साल से लागू प्राधिकरण का मुद्दा जोर—शोर से उठाया है। उन्होंने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में भी वह इस मुद्दे को लेकर जन—जन तक जाएंगे। किसी भी सूरत में अल्मोड़ा की जनता का उत्पीड़न नहीं होने देंगे।

कांग्रेस नेता बिट्टू कर्नाटक ने कहा कि भाजपा के दो—दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के द्वारा खुले मंच से प्राधिकरण स्थगन की घोषणा के बाद भी अभी तक प्राधिकरण को समाप्त ना किया जाना भाजपा सरकार की कथनी और करनी को स्पष्ट प्रदर्शित करता है।

तुगलगी फरमान है यह

कर्नाटक ने कहा कि पूर्व में सरकार बनते ही भारतीय जनता पार्टी ने नवंबर 2017 को एक तुगलकी फरमान से समूचे उत्तराखंड में जनविरोधी जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को लागू कर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि भाजपा की सरकार ने प्राधिकरण को उत्तराखंड में लागू करने से पूर्व इस बात का भी अध्ययन नहीं किया कि उत्तराखंड और खासकर उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदों की भौगोलिक स्थिति क्या है और ना ही सरकार ने इस ओर ध्यान दिया कि उत्तराखंड का कौन सा शहर कितना बस चुका है।

90 प्रतिशत बस चुके शहर में ड्रेनेज सिस्टम ज्यादा जरूरी

उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा जैसे 90% तक बस चुके शहर में प्राधिकरण को लागू किया जाना औचित्यहीन है। उन्होंने कहा बेहतर होता यदि सरकार अल्मोड़ा में प्राधिकरण लागू करने से बेहतर अल्मोड़ा की ड्रेनेज व्यवस्था को सही करती।

खतरा बन सकती है बदहाल पड़ी ड्रेनेज व्यवस्था

अल्मोड़ा की बदहाल पड़ी ड्रेनेज व्यवस्था अल्मोड़ा नगर के लिए भविष्य में एक भयावह खतरा बन सकती है।कर्नाटक ने कहा कि सरकार को केवल राजस्व वसूली से ही मतलब है। जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के लागू होने से नगर पालिकाओं की आर्थिक स्थिति भी बेहद खराब हो चुकी है। जो भवन मानचित्र स्वीकृति का अधिकार नगर पालिका के पास था उससे नगरपालिका अपनी आय करती थी एवं शहर की बाकी व्यवस्थाएं नगर पालिका उस आय से ही दुरुस्त रखती थी।

यह भी पढ़िए — एक साल से स्कूल में एक बंदू पानी नहीं

पालिका से थी राहत, प्राधिकरण थोप दिया

नगर पालिका से भवन मानचित्र स्वीकृति पर आम जनता को भी काफी राहत थी, लेकिन जबसे जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण लागू हुआ है तब से जहां एक और नगर पालिकाओं की आर्थिक स्थिति खराब हुई है वहीं दूसरी ओर आम जनता को अपने भवन निर्माण में बेहद दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

दो—दो सीएम कर गए कोरी घोषणा

जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण में भवन मानचित्र स्वीकृति की भी कोई पारदर्शी व्यवस्था नहीं है। ऐसा लगता है कि यह प्राधिकरण के कार्यालय मात्र और मात्र भ्रष्टाचार के अड्डे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के दो—दो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने खुले मंच से घोषणा की थी कि प्राधिकरण को स्थगित कर दिया जाएगा। परंतु ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार को अपने मुख्यमंत्रियों की घोषणा से भी कुछ लेना-देना नहीं रह गया है।

यह भी पढ़िए — डॉक्टर साहब ने चंद महीनों की सेवा में दिलों में छोड़ी छाप

नहीं हटाया प्राधिकर तो आंदोलन

उन्होंने कहा कि विगत 5 साल से भी अधिक समय से जनता प्राधिकरण से त्रस्त है और लगातार सरकार से मांग कर रही है कि इस जन विरोधी जिला स्तरीय प्राधिकरण को समाप्त किया जाए। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार इस मामले में जनता की सुनना ही नहीं चाहती। उन्होंने कहा कि अब पानी अब सिर से ऊपर चला गया है। यदि अविलम्ब सरकार ने जनहित में प्राधिकरण को समाप्त कर भवन मानचित्र स्वीकृति संबंधित समस्त अधिकार पूर्व की भांति नगरपालिका को नहीं दिए तो सरकार एक विशाल जन आंदोलन के लिए तैयार रहें।

लोक सभा चुनाव में जन—जन तक जाने की चेतावनी

उन्होंने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में भी वह इस प्राधिकरण के मुद्दे को लेकर जन—जन तक जाएंगे। उन्होंने कहा कि वह किसी भी सूरत में अल्मोड़ा की जनता का उत्पीड़न नहीं होने देंगे। यदि व्यक्तिगत रूप में उनके संज्ञान में आता है कि जिला स्तरीय प्राधिकरण के कारण किसी भी व्यक्ति को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो वह जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के खिलाफ चरणबद्ध तरीके से आंदोलन को बाध्य होंगे।

यह भी पढ़िए — आंदोलन पर रोक अघोषित इमरजैंसी

जनता को परेशान करने से बाज आएं अधिकारी

उन्होंने कहा कि जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के संबंधित अधिकारी स्वयं को सर्वेसर्वा ना समझें और जनता को भवन मानचित्र स्वीकृति के लिए परेशान ना करें। कर्नाटक ने कहा कि कुछ समय पूर्व सरकार ने कैबिनेट में प्रस्ताव पास किया है कि मैदानी इलाकों में सड़क से 100 मीटर एवं पर्वतीय इलाकों में सड़क से 50 मीटर तक प्राधिकरण लागू किया जाएगा।

ऐसा भद्दा मजाक बर्दाश्त नहीं

उन्होंने कहा कि सरकार का यह आदेश प्रदेश की जनता के साथ एक भद्दा मजाक है। उन्होंने सरकार से भी स्पष्ट रूप से मांग की है कि अविलंब जनहित में अपने पूर्व मुख्यमंत्रियों की बात का लिहाज रखते हुए सरकार इस जनविरोधी प्राधिकरण को समाप्त करें और जनता को राहत दे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *