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BIG BREAKING: अल्मोड़ा जिले के एक प्रधानाध्यापक का अंकपत्र व सर्टिफिकेट मिला फर्जी, गलत तरीके से नौकरी पाने की आशंका, एक हफ्ते में प्रमाण नहीं दिया तो अनुशासनात्मक कार्रवाई तय

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
​अल्मोड़ा जिले में अवैध प्रमाण पत्र के जरिये शिक्षक बनने का एक मामला प्रकाश में आ रहा है। मामला विकासखंड हवालबाग का है। जहां एक प्राइमरी विद्यालय में तैनात प्रधानाध्यापक का इंटर की परीक्षा का अंकपत्र व प्रमाण पत्र सत्यापन के बाद फर्जी पाया गया है। पूरी जांच पड़ताल के बाद आज संबंधित प्रधानाध्यापक को नोटिस भेज दिया गया है, जिसमें साफ कर दिया है कि एक सप्ताह के भीतर अंकपत्र व प्रमाण पत्र के सत्यता की प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया, तो सीधे अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।
हुआ यूं कि विभागीय जांच के तहत राजकीय प्राथमिक विद्यालय बल्सा में कार्यरत प्रधानाध्यापक के अंकपत्र व प्रमाण पत्र सत्यापन के लिए क्षेत्रीय सचिव, माध्यमिक शिक्षा परिषद बरेली को भेजे गए। गत 2 मार्च, 2021 को क्षेत्रीय सचिव, माध्यमिक शिक्षा परिषद, बरेली ने अवगत कराया गया है कि परिषद अभिलेखों में संबंधित प्रधानाध्यापक का इंटर का परीक्षाफल रद्द था। इसके बाद 9 मार्च 2021 उनके इन्टरमीडिएट परीक्षा अनुकमाकं 705053, उत्तीर्ण वर्ष 1994 का अंकपत्र एवं प्रमाण पत्र सत्यापन प्रधानाचार्य, सीआरएसटी इन्टर कालेज नैनीताल भेज गए। तत्पश्चात प्रधानाचार्य, सीआरएसटी इन्टर कालेज नैनीताल ने अपने पत्र से अवगत कराया कि प्रधानाध्यापक का वर्ष 1994 इन्टरमीडिएट का अंकपत्र एवं प्रमाण पत्र का मिलान विद्यालय अभिलेखों से नहीं हो रहा है।
इसके बाद विभाग ने प्रधानाध्यापक को 23 मार्च 2021 के नोटिस भेजा। इसी नोटिस के क्रम में आज संबंधित प्रधानाध्यापक ने जिला शिक्षा अधिकारी, प्रा​रंभिक शिक्षा अल्मोड़ा के समक्ष हाजिर होकर अपने इन्टरमीडिएट परीक्षा वर्ष 1994 के अंकपत्र एवं प्रमाण पत्र मूल रूप में प्रस्तुत किए। जिसका मिलान नैनीताल के संबंधित विद्यालय से प्राप्त हुई क्रास लिस्ट से किया गया, तो मूल अंकपत्र के अंकों और क्रास लिस्ट के अंकों में काफी अंतर मिला। जिससे प्रधानाध्यापक द्वारा उत्तीर्ण इन्टर की परीक्षा वर्ष 1994 के अवैध होने की पुष्टि होना पाया गया। इसी क्रम में आज फिर जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा अल्मोड़ा ने संबंधित प्रधानाध्यापक को नोटिस जारी करते हुए अपने अंकपत्र व प्रमाण पत्र की सत्यता/प्रमाणिकता के संबंध में अपना पक्ष प्रस्तुत करने को कहा है। इसके लिए एक सप्ताह का समय प्रदान किया गया है। यह भी स्पष्ट किया है कि अन्यथा की स्थिति में मान लिया जायेगा कि प्रधानाध्यापक को इस संबंध में कुछ नहीं कहना है और इसके बाद उनके खिलाफ उत्तराखण्ड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली-2003 यथा संशोधित नियमावली के प्राविधानों के अनुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।

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