प्रख्यात संस्कृत कवि पद्मश्री प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्र के जीवन पर बनेगी फिल्म

डॉ. बबीता कांडपाल से प्रो. अभिराज की वार्ता सीएनई रिपोर्टर “पद्मश्री” पुरुस्कार से सम्मानित प्रख्यात संस्कृत कवि, गीतकार, नाटककार प्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र के जीवन…

डॉ. बबीता कांडपाल से प्रो. अभिराज की वार्ता

सीएनई रिपोर्टर

“पद्मश्री” पुरुस्कार से सम्मानित प्रख्यात संस्कृत कवि, गीतकार, नाटककार प्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र के जीवन पर आधारित एक फिल्म का निर्माण चल रहा है। जल्द ही यह बनकर तैयार हो जायेगी। यह बात पद्मश्री प्रो. अभिराज मिश्र ने स्नातकोत्तर महाविद्यालय पिथौरागढ़ में कार्यरत डॉ. बबीता कांडपाल को एक साक्षात्कार के दौरान कही।

उल्लेखनीय है कि लक्ष्मण सिंह महर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय पिथौरागढ़ के संस्कृत विभाग में कार्यरत डॉ. बबीता कांडपाल द्वारा गत दिवस 11 मार्च, 2022 को “पद्मश्री” पुरुस्कार से सम्मानित प्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र जी का साक्षात्कार लिया गया। साक्षात्कार का मुख्य विषय संस्कृत साहित्य लेखन में रूचि एवं उनके द्वारा रचित ग्रन्थ “मृगांकदूत” का अनुशीलन रहा।

ज्ञात रहे कि प्रो. मिश्र की गणना साहित्य जगत के प्रख्यात प्राप्त कवियों में की जाती है। इनको वर्ष २०२१ में साहित्य जगत में अमूल्य योदान हेतु “पद्मश्री” जैसे उत्कृष्ट सम्मान से विभूषित गया है। मिश्र द्वारा संस्कृत के अतिरिक्त हिंदी, भोजपुरी आदि भाषाओं में भी रचनाओं का सम्पादन किया गया है। संस्कृत रचना विधाओं में कोई भी इनकी लेखनी से अछूती नही रही है। संस्कृत महाकाव्य, नाटक, कथा, कविता, प्रहेलिका सन्देश काव्य आदि सभी विधाओं में इनके लगभग 300 से ज्यादा ग्रंथ हैं।

अभिराज राजेंद्र मिश्र के महान व्यक्तित्व एवं कृतित्व का पता इस बात से चल जाता है कि अब तक 240 से अधिक शोधकर्ताओं द्वारा इनके व्यक्तित्व एवं रचनाओं के ऊपर शोध कार्य किया जा चुका है। डॉ० बबीता को दिए साक्षात्कार में मिश्र जी ने अपनी रचना मृगांकदूत के विषय में कई नवीन जानकारी साझा करते हुए बताया कि इस दूत काव्य में बालि द्वीप इंडोनेशिया से लेकर सम्पूर्ण भारत वर्ष की यात्रा का सटीक भौगोलिक वर्णन किया गया है। साथ ही इसमें 50 से अधिक संस्कृत विद्वानों, लेखकों का संक्षिप्त वर्णन भी किया गया है।

उक्त ग्रंथ में इसके अतिरिक्त संस्कृत पत्र-पत्रिकाओं संपादकों का परिचय भी प्राप्त होता है। अन्य सन्देश काव्यों की पृष्ठ भूमि से हट कर वात्सल्य रस से सिंचित यह ग्रन्थ नवीन शोध कर्ताओं एवं पाठकों संस्कृत प्रेमियों हेतु अत्यंत उपादेय है। प्रो. मिश्र ने बताया कि जल्द ही उनके सम्पूर्ण जीवन पर आधारित एक फिल्म भी बनकर तैयार हो रही है। डॉ. बबीता ने कहा कि यह उनके एवं समस्त महाविद्यालय परिवार एवं छात्र छात्राओं हेतु अत्यंत गौरव का पल है कि पद्म श्री जैसे उत्कृष्ट सम्मान से सम्मानित आचार्यवर ने अपना बहुमूल्य समय प्रदान किया। जिसके लिए वह उनका ह्रदय से आभार व्यक्त करती हैं। डॉ. बबीता ने आशा जताई कि उनके अमूल्य सुझाव महाविद्यालय के संस्कृत छात्र—छात्राओं के लिए उपयोगी साबित होंगे।

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