A Unique Liquid-Mirror Telescope sees first light in the Indian Himalayas
What is Liquid Mirror Telescope?
नैनीताल। भारत का पहला लिक्विड मिरर टेलिस्कोप उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थापित किया गया है। भारत, बेल्जियम और कनाडा के सहयोग से नैनीताल के देवस्थल में लगी हाईटेक दूरबीन से रिज़ल्ट मिलने में अभी समय है, लेकिन वर्ल्ड रिकॉर्ड के कारण यह सुर्खियों में है। इसके अलावा यह एशिया में सबसे बड़ा है।
ARIES in Nainital district
यह उत्तराखंड के नैनीताल जिले में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), सरकार के तहत एक स्वायत्त संस्थान, आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस) के देवस्थल वेधशाला परिसर में 2450 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। Aryabhatta Research Institute of Observational Sciences (ARIES), an autonomous institute under the Department of Science and Technology (DST), Govt. of Uttarakhand in Nainital district.
इस टेलीस्कोप का उपयोग | Liquid Mirror Telescope
50 करोड़ की लागत से तैयार 4 मीटर की लिक्विड मिरर दूरबीन (Liquid Mirror Telescope) के चालू होने के बाद अब खगोलीय शोध के लिए इसे बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। इस टेलीस्कोप का उपयोग सितारों, अंतरिक्ष मलबे एवं उपग्रहों जैसे खगोलीय पिंडों का अध्ययन करने हेतु किया जाएगा। इस टेलीस्कोप के माध्यम से तारा समूहों, आकाशीय पिंडों की खोज, आकाशगंगाओं, बाइनरीज स्टार्स, गुरुत्वाकर्षण लेंस प्रणाली समेत अनेक अनसुलझे अंतरिक्ष विषयों के शोधों को आगे बढ़ाया जाएगा।
क्यों खास है ये दूरबीन? | ARIES in Nainital
आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस) के देवस्थल ऑब्ज़र्वेटरी कैंपस में लगाई गई यह दूरबीन भारत के खगोलविदों ने कनाडा और बेल्जियम के विशेषज्ञों के सहयोग से विकसित की है। समुद्र तल से 2450 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित की गई इस दूरबीन से कई आकाशगंगाओं को निहारा जा सकेगा। बैनर्जी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस प्रोजेक्ट से विज्ञान और इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के कई युवाओं को रिसर्च के नये मौके मिल सकेंगे।
दुनिया में पहले भी लिक्विड मिरर टेलिस्कोप का इस्तेमाल हुआ है लेकिन एरीज के निदेशक प्रोफेसर दीपंकर बैनर्जी बताते हैं कि एस्ट्रॉनॉमिक ऑब्ज़र्वेशन यानी खगोलीय प्रेक्षण के लिए दुनिया में पहली बार यह दूरबीन इस्तेमाल की जा रही है। आर्यभट्ट खगोलीय रिसर्च संस्थान के प्रोफेसर बैनर्जी के मुताबिक संस्थान में यह दूरबीन पिछले हफ्ते पहुंची है और अभी इसकी तकनीकी स्वीकृति को लेकर कार्रवाई चल रही है। सवाल यह है कि यह दूरबीन काम में कबसे लाई जाएगी?
कुछ महीनों का करना होगा इंतज़ार ?
टेलिस्कोप के आने से एरीज़ के वैज्ञानिकों में खुशी है लेकिन अभी इस दूरबीन के काम शुरू करने में कुछ इंतज़ार करना होगा। बैनर्जी के मुताबिक बारिश के मौसम में तीन महीने के लिए ऑब्ज़र्वेटरी को बंद रखा जाता है। इसलिए अक्टूबर से जब मौसम सामान्य होगा, तो यह दूरबीन खगोलीय घटनाओं की जानकारी जुटाने में मददगार साबित होगी। संभवत: दिसंबर तक इसके रिज़ल्ट मिलने शुरू हो सकेंगे।
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Liquid Mirror Telescope
“आईएलएमटी सर्वेक्षण से उत्पन्न डेटा का खजाना अनुकरणीय होगा। भविष्य में, कई युवा शोधकर्ता आईएलएमटी डेटा का उपयोग करते हुए विभिन्न विज्ञान कार्यक्रमों पर काम करेंगे, “डॉ कुंतल मिश्रा, जो एआरआईईएस में आईएलएमटी के परियोजना अन्वेषक हैं। “जब इस साल के अंत में नियमित विज्ञान संचालन शुरू होगा, तो आईएलएमटी उत्पादन करेगा हर रात लगभग 10 जीबी डेटा, जिसका जल्दी से विश्लेषण किया जाएगा ताकि परिवर्तनशील और क्षणिक तारकीय स्रोतों को प्रकट किया जा सके।” आसन्न ILMT के साथ नव-पहचाने गए क्षणिक स्रोतों के तेजी से अनुवर्ती टिप्पणियों की अनुमति दें।
प्रोजेक्ट डायरेक्टर प्रो. जीन सुरदेज (यूनिवर्सिटी ऑफ लीज, बेल्जियम और यूनिवर्सिटी ऑफ पॉज़्नान, पोलैंड) कहते हैं, “आईएलएमटी से एकत्र किया गया डेटा आदर्श रूप से 5 वर्षों की अवधि में एक गहन फोटोमेट्रिक और एस्ट्रोमेट्रिक परिवर्तनशीलता सर्वेक्षण करने के लिए उपयुक्त होगा।”
ILMT सहयोग में भारत में ARIES, बेल्जियम में यूनिवर्सिटी ऑफ लीज और रॉयल ऑब्जर्वेटरी ऑफ बेल्जियम, पोलैंड में पॉज़्नान ऑब्जर्वेटरी, उज़्बेक एकेडमी ऑफ साइंसेज के उलुग बेग एस्ट्रोनॉमिकल इंस्टीट्यूट और उज़्बेकिस्तान में नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ उज़्बेकिस्तान के शोधकर्ता शामिल हैं। ब्रिटिश कोलंबिया, लावल विश्वविद्यालय, मॉन्ट्रियल विश्वविद्यालय, टोरंटो विश्वविद्यालय, यॉर्क विश्वविद्यालय और कनाडा में विक्टोरिया विश्वविद्यालय। टेलीस्कोप को बेल्जियम में एडवांस्ड मैकेनिकल एंड ऑप्टिकल सिस्टम्स (एएमओएस) कॉर्पोरेशन और सेंटर स्पैटियल डी लीज द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया था।