कोरोना वायरस का कहर पूरे भारत में बढ़ता ही जा रहा है जिसकें कारण लॉकडाउन को एक महीनें से ऊपर होने जा रहा जिसकें चलतें पूरे देश की जनता घरों में कैद हो गई। घरों में कैद रहकर हर एक व्यक्ति तरह-तरह के कारनामे कियें जा रहें है। ऐसा ही एक कारनामा हिमांशु पंत ने किया है जी हां हिमांशु ने एक बार फिर उत्तराखंड की एक प्राचीन सभ्यता को लोगों को दिखने का काम किया है।
हिमांशु ने पहाड़ी कलाकारी कर एक 60 से 70 साल पुराने पीतल के बर्तन जिसे कस्यर भी कहा जाता है और पुराने लोग इसे पानी लाने व पानी पीने के उपयोग में लाते थे लेकिन हिमांशु ने इसी पीतल के बर्तन में ऐपण की कला का प्रदशर्न दिखया इसके साथ ही हिमांशु ने एक 50 से 60 साल पुराने लालटेन में भी कलाकारी का जलवा दिखया और सजाया साथ ही हिमांशु ने बताया कि उन्हें लालटेन की चिमनी बड़ी मुश्किल से बाजार में मिली।
पहले के लोग त्योहारों में अपने मंदिरों व देहली में लाल गेरू और बिस्व्वार से ऐपण बनाया करते थे लेकिन अब ये सब गायब हो चुका है, लेकिन अभी भी कुछ लोग पहाड़ों में ऐसी ही कलाकृति बना रहें लेकिन अब वह गेरू और बिस्व्वार की जगह पेन्ट का यूज किया जा रहा है।
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