सीएनई रिपोर्टर
कोरोना के बाद जहां पूरा देश अब ब्लैक फंगस से जूझ रहा है, वहीं अब व्हाइट फंगस ने भी परेशान करना शुरू कर दिया है। आज गाजियाबाद के एक ही अस्पताल में 07 मरीज इस बीमारी से ग्रसित आये हैं। चिंताजक पहलू तो यह है कि ब्लैक फंगस जहां अधिकांशत: कोरोना संक्रमितों में पाया जा रहा है, वहीं यह नई बला व्हाइट फंगस आम स्वस्थ आदमी को अपना निशाना बना रहा है।
इन सभी मरीजों के टिशू जांच के लिए भेजे गये थे, आज जब रिपोर्ट आई तो पता चला इन्हें व्हाइट फंगस ने संक्रमित कर दिया है।
छह मरीजों का उपचार अब अस्पताल में तो एक मरीज का इलाज घर से चल रहा है। मरीजों के उपचार से जुड़े डॉ. बीपी त्यागी ने बताया कि इस बीमारी को एसपरजिलोसिस (कैंडिडा) भी कहते हैं। यह खून के जरिए शरीर के लगभग हर अंग के प्रभावित करता है।
यह नाखुन, स्किन, पेट, किडनी, ब्रेन, मुंह के साथ फेफड़ों को प्रभावित कर सकता है। इतना ही नहीं प्राइवेट पार्ट को भी यह संक्रमित कर सकता है। इस बीमारी से संक्रमित शख्स का कोरोना वायरस से संक्रमित होना जरूरी नहीं है, लेकिन अस्पताल में भर्ती सभी मरीज पोस्ट कोविड के बाद संक्रमित हुए हैं। सभी डायबिटिक हैं।
अलबत्ता डॉक्टर इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि शूगर के मरीजों में व्हाइ्ट फंगस के अधिक मामले देखे जा रहे हैं। आने वाले समय में यह व्हाइट फंगस किस स्वरूप में पहुंचेगा और कितना घातक होगा यह तो समय ही बतायेगा, लेकिन इतना जरूर है कि इस नई बीमारी ने भी अपना फैलाव बढ़ाना शुरू कर दिया है।
हालांकि Experts का कहना है कि यह ब्लैकं फंगस के जितना खतरनाक नहीं है। सही समय पर इसे पहचान कर doctor के पास चले जाएं, इसको लिए शीघ्र इलाज जरूरी है जो एक से डेढ़ महीने चल सकता है। एलएनजेपी में काम करने वाले डॉक्टर सुरेश कुमार कहते हैं, व्हाइट फंगस (Aspergillosis) ब्लैग फंगस जितना खतरनाक नहीं है।
डॉक्टर कहते हैं, “यह फंगस तंग और नम जगहों पर उगता है इसलिए सुनिश्चित करें कि आपके आस-पास नियमित रूप से सफाई हो। कई दिनों तक फ्रिज में रखी खाने की चीजों का सेवन करने से बचें, ताजे फल खाएं, अपने घर में धूप आने दें और अपने मास्क को रोजाना धोएं।”
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