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शॉर्टकट में पैसा कमाने की चाहत चलते कुछ लोगों द्वारा तस्करी के गैर कानूनी धंधों में लिप्त हो जाने की ख़बरें सामान्य सी बात है। शराब, ड्रग्स, दुर्लभ जड़ी बूटियों, वन्य जीवों की खाल व सोने—चांदी की तस्करी करने वालों पर लगातार पुलिस शिकंजा कसती आई है, लेकिन क्या आपने कभी सुना है रातों—रात करोड़पति बनने की तमन्ना में कुछ लोग व्हेल मछली उल्टी की तस्करी भी करते हैं। जी हां, यह बात बिल्कुल सच है। गत दिवस तमिलनाडु वन विभाग के अधिकारियों ने दो लोगों को व्हेल की उल्टी के साथ गिरफ्तार किया है। एम्बेग्रेस नाम से जाने जाने वाली इस उल्टी की कीमत 2 करोड़ से भी अधिक है।
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दरअसल, तमिलनाडु के वन अधिकारियों ने व्हेल एम्बेग्रेस के साथ 02 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनकी निगरफ्तारी तमिलनाडु के नागपट्टिम जिले के वेदारण्यम से गत दिवस शनिवार को हुई। इनके पास से दो किलो व्हेल की उल्टी बरामद हुई है। जिसकी कीमत 02 करोड़ से भी अधिक की है। पुलिस के अनुसार मुखबिर के माध्यम से मिली सूचना के आधार पर एक बड़ी कार्रवाई को यहां अंजाम दिया गया। वेट्टाइकरानिरुप्पु तट पर दो लोगों को संदेह के आधार पर हिरासत में लिया गया। जब उनकी तलाशी हुइ्र तो उनके पास से दो किलो व्हेल की उल्टी बरामद हुई। जिस पर इन्हें तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया। इन लोगों के पास जो व्हेल उल्टी मिली है उसे दरअसल एम्बेग्रेस के नाम से जाना जाता है और इसकी बिक्री वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत प्रतिबंधित है। इन लोगों ने एक विशालकाय स्पर्म व्हेल को मारकर यह एम्बेग्रेस निकाला था। हालांकि पकड़े गये दोनों लोगों तो मात्र निचले दर्जे के तस्कर हैं। इनको कौन सा गैंग संचालित कर रहा है और मुखिया कौन है, इस बात का पुलिस पता लगाने में जुटी हुइ है।
जानिये क्या होती है व्हेल उल्टी यानी एम्बेग्रेस ?
स्पर्म व्हेल वह जीव है जिसकी उल्टी की कीमत दुनियां में सोने से भी अधिक है। यह जिसके पास होती है वह रातों—रात करोड़पति और अरबपति बन सकता है। इसी लालच में कई बड़े गैंग अवैध रूप से व्हेल का शिकार किया करते हैं। व्हेल मछली की उल्टी को एम्बेग्रेस कहते हैं। इसमें व्हेल का वीर्य या स्पर्म भी शामिल हो सकता है। आपको बता दें कि जब व्हेल मछली किसी समुद्री जीव को खा लेती है तो वह जीव के सभी अंगों को पचा नहीं पाती। ऐसे पदार्थ व्हेल मछली की आंत में जमा हो जाते हैं। कई विशेषज्ञ इन पदार्थों को व्हेल मछली की उल्टी और उसके मल के रूप में भी परिभाषित करते हैं। जिसे वैज्ञानिक भाषा में स्पर्म व्हेल एम्बेग्रेस कहा जाता है। यह अकसर स्लेटी या काले रंग का माम जैसा एक ज्वलनशील किस्म का पदार्थ होता है। या यूं कह सकते हैं किसी ने मोम को पत्थर का रूप दे दिया हो। पूरी दुनिया की बाजार में इसकी बहुत ज्यादा मांग है।
वैसे यह जरूरी नहीं कि इस पदार्थ को पाने के लिए व्हेल की हत्या करनी पड़े। अकसर स्पर्म व्हेल इस अवांछित स्राव को उल्टी के ज़रिये अपने शरीर से निकाल देती है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार स्पर्म व्हेल मल के ज़रिये भी एम्बेग्रेस को निकालती है। व्हेल के शरीर से निकलने वाला यह स्राव समुद्र के पानी में तैरता है। सूरज की रोशनी व खारे पानी में मिलने के बाद इसमें निखार आ जाता है। यदि इसे कोई हासिल कर ले तो वह रातों—रात करोड़पति हो जाता है।
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जानिये, किस उपयोग में आती है व्हेल उल्टी
विशेषज्ञ बताते हैं कि एम्बेग्रेस की गंध शुरूआत में अच्छी नहीं होती। यह ठीक वैसी ही गंध होती है जैसे किसी मनुष्य या जानवर की उल्टी की गंध होती है। इसके बावजूद जैसे-जैसे इसका हवा से संपर्क बढ़ता है इसकी गंध मीठी होती जाती है। एम्बेग्रेस वह पदार्थ बन जाता है, जो परफ्यूम की सुगंध को हवा में उड़ने से रोकता है। यानी यह स्टेबलाइज़र का काम करने लगती है और इसमें गंध को हवा में उड़ने से रोकने की शक्ति आ जाती है। यही कारण है कि इसका इस्तेमाल परफ्यूम बनाने वाली कंपनियां करती हैं। एम्बेग्रेस के इस्तेमाल से जो परफ्यूम बनता है। उसका असर बहुत लंबे समय तक रहता है और यह हवा में जल्दी उड़ता नहीं है। यही कारण है कि इसके परफ्यूम की बाजार में सबसे ज्यादा डिमांड है। हालांकि चीन में एम्बेग्रेस का इस्तेमाल यौन क्षमता बढ़ाने वाली दवाइयां बनाने में होता है, वहीं बहुत से देशों में इससे इस्तेमाल नंबर वन क्वालिटी का परफ्यूम बनाने के लिए होता है। जो विश्व के सबसे महंगे इत्र हुआ करते हैं।
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