जानिए, कहां तक पहुंची आदिल, मूसा और अली की तलाश
कौन कर रहा 20 लाख के ईनामी आतंकवादियों की मदद
सीएनई डेस्क। 22 अप्रैल, 2025, पहलगाम का वह मनहूस दिन। जब वहां आए पर्यटकों को सिर्फ इसलिए मार डाला, क्योंकि वह हिंदू थे। आतंकवादियों की इस करतूत के खिलाफ पूरे देश में गुस्सा था। प्रधानमंत्री ने सबक सिखाने का वायदा किया और ऑपरेशन सिंदूर हुआ, जिसमें पाकिस्तान ने बाद में भारी हानि के बाद घुटने टेक दिए। बावजूद इसके, एक सवाल अब भी है कि आखिर वे तीन आतंकी आदिल, मूसा और अली कहां है, जिनकी करतूत के कारण पाकिस्तान व भारत में युद्ध के हालात पैदा हो गए।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुल 26 लोगों की हत्या करने वाले आतंकी जंगलों में गायब हो चुके हैं।। एक माह हो गया, फोर्स लगातार ऑपरेशन चला रही हैं, लेकिन हत्यारे आतंकी अब तक पकड़ से बाहर हैं।
जांच में पता चला कि आदिल, मूसा और अली नाम के युवकों ने यह वारदात की थी। तीनों पर 20-20 लाख का इनाम रखा गया है, 3 हजार से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई, 113 लोग गिरफ्तार हुए हैं, लेकिन आदिल, मूसा और अली का पता नहीं चला। यहां तक कि इन तीन आतंकियों की लोकेशन तक ट्रेस नहीं हो रही है।

क्या इन्हें मिल रही लोकल लोगों की मदद
आतंकवादियों के एक माह तक पकड़े नहीं जाने के पीछे एक बड़ी वजह यह लग रही हैं कि इन लोगों को स्थानीय लोगों की कहीं न कहीं से मदद जरूर मिल रही है। वही उन्हें जरूरी सामान पहुंचा रहे होंगे। बिना मदद के यह आतंकी इतने दिन जंगल में जीवित नहीं रह सकते। यही कारण है कि सेना आतंकियों को ट्रेस नहीं कर पा रही है।
ज्यादा संभावना यह भी है कि यह आतंकी जंगल, गुफाओं या पहाड़ी इलाकों में बने गुप्त स्थान में छिपे हैं, क्योंकि घरों में यदि यह छुपते तो सेना तक मुखबिर खबर पहुंचा ही देते।
24 तारीखे से है 20 लाख का ईनाम घोषित
गत 24 अप्रैल को अनंतनाग पुलिस ने 3 स्केच जारी किए थे। इसमें तीन नाम भी उजागर हुए। अनंतनाग का आदिल हुसैन ठोकर, हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान और अली उर्फ तल्हा भाई। तीनों की खबर देने वालों के लिए अलग से 20-20 लाख रुपए इनाम की घोषणा की गई। मूसा और अली पाकिस्तानी हैं। मूसा पाकिस्तान के स्पेशल सर्विस ग्रुप में कमांडो रह चुका है।
टनल हमले का आरोपी मारा, उसके मोबाइल से मिले फोटो
स्केच के अलावा एक फोटो भी जारी की गई। इसमें 4 आतंकी घने जंगल में राइफल लिए खड़े हैं। इनमें हाशिम मूसा और जुनैद अहमद भट्ट भी हैं। जुनैद को सिक्योरिटी फोर्स ने दिसंबर, 2024 में दाचीगाम के जंगलों में मार गिराया था। उसी के मोबाइल से ये फोटो मिला था। जुनैद 20 अक्टूबर 2024 को सोनमर्ग में जेड मोड़ टनल पर हमले में शामिल था।
NIA कर रही जांच
बताना चाहेंगे कि इस हमले के अगले रोज 23 अप्रैल को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी NIA की टीम स्पॉट पर पहुंच गई थी। गृह मंत्रालय के आदेश के बाद 27 अप्रैल से NIA ने ऑफिशियली ये केस अपने हाथ में ले लिया। NIA चीफ सदानंद दाते केस की लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं। अब तक 3 हजार से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई है। इनमें से कई लोगों को हर रोज पहलगाम पुलिस स्टेशन में हाजिरी देने के लिए बुलाया जा रहा है।
ओवर ग्राउंड वर्कर कर रहे मदद
जांच में एक चौंकाने वाली बात भी सामने आई है। पता चला है कि आतंकवादियों की मदद केवल दो से तीन ओवर ग्राउंड वर्कर ही कर रहे हैं। दरअसल, यह ओरव ग्राउंड वर्कर वह होते हैं, जो आतंकवादियों को खाना—पीना, जरूरी सूचनाएं व नए ठिकाने उपलब्ध कराते हैं। बताया यह भी जा रहा है कि यह आतंकवादी कश्मीर में किसी के भी संपर्क में नहीं हैं। यही कारण है कि इनको ढूंढना मुश्किल हो रहा है।
निष्कर्ष : केवल लोकल लोग ही कर सकते हैं मदद
जांच ऐजेंसी भी अब यह मान रही हैं कि बिना लोकल लोगों की मदद के कुछ नहीं हो सकता। रॉ के रिटायर्ड चीफ एएस दुलत ने एक बड़े मीडिया संस्थान को बताया कि ‘जो इंटेलिजेंस लोकल कश्मीरियों से मिल सकता है, वो दूसरी एजेंसी आसानी से नहीं कर सकती। मेरा मानना है कि उनसे ही आतंकियों और उन्हें सपोर्ट करने वाले नेटवर्क के बारे में सटीक जानकारी मिल सकती है। ये इतना आसान नहीं है। इसके लिए कश्मीर के लोगों का भरोसा जीतना पड़ेगा।’