जनमानस के लिए आदर्श हैं विवेकानंद के विचार—सर्वप्रियानंद

✍️ अल्मोड़ा में ‘विवेकानंद के विचारों के आलोक में शिक्षा, शिक्षार्थी व शिक्षण संस्थान’ विषयक अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार शुरु सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: आज सोबन सिंह जीना…

जनमानस के लिए आदर्श हैं विवेकानंद के विचार—सर्वप्रियानंद

✍️ अल्मोड़ा में ‘विवेकानंद के विचारों के आलोक में शिक्षा, शिक्षार्थी व शिक्षण संस्थान’ विषयक अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार शुरु

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: आज सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा में स्थापित स्वामी विवेकानंद महात्मा गांधी आध्यात्मिक पर्यटन परिपथ, अध्ययन केंद्र तथा रामकृष्ण कुटीर अल्मोड़ा के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय सेमिनार शुरू हो गया। ​एसएसजे परिसर अल्मोड़ा के मुख्य आडिटोरियम में आयोजित इस सेमिनार में ‘स्वामी विवेकानंद के विचारों के आलोक में शिक्षा, शिक्षार्थी और शिक्षण संस्थान’ विषय पर मंथन हो रहा है। सेमिनार के मुख्य अतिथि वेदांत सोसाइटी, न्यूयॉर्क के मिनिस्टर-इन-चार्ज स्वामी सर्वप्रियानंद ने कहा कि स्वामी जी के विचार जनमानस के लिए आदर्श हैं।

सेमिनार के उद्घाटन मुख्य अतिथि वेदांत सोसाइटी, न्यूयॉर्क के मिनिस्टर-इन-चार्ज स्वामी सर्वप्रियानंद, आधार व्याख्याता अमेरिका के हिंदू विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. राधाकृष्णन पिल्लई, सेमिनार के मुख्य संरक्षक स्वामी ध्रुवेशानन्द महाराज व सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट समेत अन्य अतिथियों ने संयुक्त रुप से दीप प्रज्वलित कर किया। शुभारंभ में मंगल गीत के साथ ही अतिथियों के लिए स्वागत गीत प्रस्तुत हुआ। उद्घाटन सत्र में पूर्व कुलपति प्रो. जगत सिंह बिष्ट, स्वामी राघवेंदानंद, परिसर निदेशक प्रो. प्रवीण सिंह बिष्ट, एड. चंद्रशेखर रावत, ढाका यूनिवर्सिटी बांग्लादेश के डॉ. मिल्टन देव विशिष्ट अतिथि के रुप में मौजूद रहे। सेमिनार के संयोजक डॉ. चंद्रप्रकाश फुलोरिया, सह संयोजक डॉ. ललित जोशी हैं।

उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि वेदांत सोसाइटी, न्यूयॉर्क के मिनिस्टर-इन-चार्ज स्वामी सर्वप्रियानंद ने कहा कि स्वामी जी के विचार जनमानस के लिए आदर्श हैं। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के आदर्शों को समझने के लिए ऐसे सेमिनारों को महत्वपूर्ण बताया।रामकृष्ण कुटीर अल्मोड़ा के अध्यक्ष स्वामी ध्रुवेशानंद ने कहा कि संगोष्ठी शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक क्षेत्र अल्मोड़ा में विवेकानन्द जी ने पदार्पण किया है। संगोष्ठी के कुलपति प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द के विचारों के अनुरूप शिक्षक, शिक्षार्थी एवं शिक्षण संस्थान कार्य करें, तो छात्र बहुत कुछ सीखेंगे। उन्होंने कहा कि इस सेमिनार में अंतर्राष्ट्रीय विद्वानों की मौजूदगी से विवेकानन्द जी के विचारों को आकार मिला है। विशिष्ट अतिथि/पूर्व कुलपति प्रो. जगत सिंह बिष्ट ने कहा स्वामी विवेकानन्द ने मात्र 29 वर्षों में ही भारत का विराट स्वरूप प्रस्तुत किया और इससे पूरी दुनिया में भारत की एक सकारात्मक छवि का संचार हुआ।

अमेरिका के हिंदू विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. राधाकृष्णन पिल्लई ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के विचार आज के समय में प्रासंगिक हैं। उनके विचारों के अनुरूप शिक्षा व शिक्षण संस्थानों की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। ढाका यूनिवर्सिटी बांग्लादेश के डॉ. मिल्टन देव ने कहा कि अल्मोड़ावासी धन्य हैं, जहां स्वामी विवेकानन्द का तीन बार आगमन हुआ और इस कारण अल्मोड़ा को भी देश दुनिया में बड़ी पहचान मिली। स्वामी राघवेंदानंद ने आयोजकों को सेमिनार के आयोजन के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने कहा था कि एकाग्र रहें। आज के जीवन में स्वामी जी के विचार जरूरी हैं। शिक्षा में उनके विचारों का समावेश होना चाहिए। परिसर निदेशक प्रो. प्रवीण सिंह बिष्ट ने भी स्वामी जी के विचारों को आज के दौर में बेहद जरूरी बताया। एड. चंद्रशेखर रावत ने कहा कि युवाओं को विवेकानन्द के प्रेरणादायी वक्तव्यों का निरंतर स्मरण करना चाहि और उनके विचारों को अपने व्यवहार में उतारना चाहिए।

सेमिनार का संचालन संयोजक चंद्र प्रकाश फुलोरिया व डॉ. मंजुलता उपाध्याय ने संयुक्त रुप से संचालन किया। इस मौके पर स्मारिका का विमोचन भी हुआ और मिलम होटल के धरम सिंह बिष्ट, विवेकानन्द इंटर कॉलेज के मेधावी छात्रा पीयूष खोलिया, मां अम्बे संस्थान के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं उनके अभिभावकों के साथ मांगल गीत गायिकाओं को सम्मान दिया गया। संगोष्ठी में देश-विदेश से पधारे शोधार्थियों ने अने शोध पत्रों का वाचन किया। संगोष्ठी में देश-विदेश के विद्वानों, शोधार्थियों के साथ स्थानीय शिक्षण संस्थानों के शिक्षक एवं विद्यार्थियों ने भी भागीदारी की। तकनीकी सत्रों में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. देवेंद्र सिंह बिष्ट, प्रो. वीडीएस नेगी, डॉ. प्रीति आर्या, कुलानुशासक डॉ. दीपक, प्रो. अरविंद सिंह अधिकारी, प्रो. शेखर चन्द्र जोशी, डॉ. नवीन भट्ट, डॉ. रवींद्रनाथ पाठक, डॉ. सुनीता कश्यप, डॉ. लक्ष्मी वर्मा, डॉ. धाराबल्लभ पांडेय समेत विभिन्न शिक्षण संस्थानों के शिक्षक एवं विद्यार्थी शामिल रहे।

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