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क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता)? What is Uniform Civil Code


देहरादून। उत्तराखंड की धामी सरकार 2.0 की पहली कैबिनेट बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड Uniform Civil Code लागू करने का बड़ा फैसला लिया गया है। धामी की पहली कैबिनेट बैठक में सभी आठों मंत्री शामिल रहे। उत्तराखंड सरकार ने यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने का निर्यण लिया है। उत्तराखंड राज्‍य ऐसा करने वाला देश का पहला राज्‍य बन गया है। हालांकि, गोवा में यूनिफार्म सिविल कोड देश में शामिल होने से पहले ही लागू है।

आपको बता दें कि गोवा में पुर्तगाल सरकार ने ही यूनिफार्म सिविल कोड लागू किया था। वर्ष 1961 में गोवा सरकार उक्‍त सिविल कोड के साथ ही बनी थी। ऐसे में उत्तराखंड पहला ऐसा राज्य बन गया है, जिसकी कैबिनेट ने सिविल कोड लागू करने का निर्णय लिया है।

कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि, हमारी सरकार उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी क्रम में हमारी सरकार एक कमेटी का गठन करेगी, जो प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लेकर ड्राफ्ट तैयार करेगी। 24 मार्च को हुई कैबिनेट की बैठक में तय किया गया कि प्रदेश सरकार इस कानून को लागू करने के लिए एक कमेटी बनाएगी।

  • कैबिनेट में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर समिति बनाने के लिए फैसला।
  • सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में समिति बनाने पर कैबिनेट की मुहर।
  • 29 अप्रैल से उत्तराखंड विधानसभा का सत्र।
  • विधान सभा सत्र आयोजित करने पर चर्चा हुई।
  • 4 महीने का अनुपूरक बजट लाएगी सरकार : सीएम।
  • राज्यपाल को सरकार ने भेजा सत्र आयोजित करने का प्रस्ताव।

बीजेपी के एजेंडे में रहा है ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ (समान नागरिक संहिता)
गौरतलब है कि, समान नागरिक संहिता का मुद्दा हमेशा से बीजेपी के एजेंडे में रहा है। 1989 के लोकसभा चुनाव में पहली बार बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता का मुद्दा शामिल किया। इसके अलावा 2019 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में भी बीजेपी ने समान नागरिक संहिता को शामिल किया था।

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता)? What is Uniform Civil Code
यूनिफार्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) का अर्थ भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होता है। चाहे व्‍यक्ति किसी भी धर्म या जाति का हो। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक कानून लागू होगा। बता दें कि, अभी देश में मुस्लिम, इसाई, और पारसी का पर्सनल लॉ लागू है। हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख और जैन आते हैं, जबकि संविधान में समान नागरिक संहिता अनुच्छेद 44 के तहत राज्य की जिम्मेदारी बताया गया है।

कैबिनेट बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि, उत्तराखंड हमारे भारत का एक ऐसा जीवंत राज्य है जिसकी संस्कृति और विरासत सदियों से भारतीय सभ्यता के मूल में समाहित रही है। भारतीय जनमानस के लिए उत्तराखंड एक देवभूमि है, जो कि हमारे वेदों-पुराणों, ऋषियों-मनीषियों के ज्ञान और आध्यात्म का केंद्र रही है। भारत के कोने कोने से लोग बड़ी आस्था और भक्ति के साथ उत्तराखंड आते है। इसलिए उत्तराखंड की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक विरासत की रक्षा अहम है। 130 करोड़ लोगों की आस्था का केंद्र माँ गंगा का उद्गम स्थल भी उत्तराखंड ही है। भारत का मुकुट हिमालय, और उसकी कोख में पनपती प्रकृति उत्तराखंड की धरोहर हैं। इसलिए उत्तराखंड में पर्यावरण की रक्षा भी अहम है।

उत्तराखंड देश के लिए सामरिक दृष्टि से भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण राज्य है। दो देशों की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से जुड़ा होने के कारण भारत के लिए इस राज्य का भौगोलिक और रणनीतिक महत्व काफी बढ़ जाता है। इसलिए राष्ट्ररक्षा के लिए भी उत्तराखंड की भूमिका अहम है।

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उत्तराखंड के नागरिकों का भारतीय सेनाओं के साथ एक लंबा और गौरवशाली संबंध रहा है। यहां के लोगों ने पीढ़ी दर पीढ़ी अपने आपको देश की सुरक्षा के लिए समर्पित किया है। इस धरती के कितने ही वीर सपूतों ने देश के लिए अपने सर्वोच्च बलिदान दिये हैं। यहां लगभग हर परिवार से कोई पिता, कोई बेटा, कोई बेटी देश के किसी न किसी हिस्से में हमारी सेनाओं के माध्यम से मातृभूमि की सेवा में जुटा है।

उत्तराखंड की सांस्कृतिक आध्यात्मिक विरासत की रक्षा, यहां के पर्यावरण की रक्षा और राष्ट्र रक्षा के लिये उत्तराखंड की सीमाओं की रक्षा ये तीनो ही आज उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए अहम है। इस दृष्टि से नई सरकार ने अपने शपथ ग्रहण के तुरंत बाद पहली कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया कि न्यायविदों, सेवानिवृत्त जजों, समाज के प्रबुद्ध जनो और अन्य स्टेकहोल्डर्स की एक कमेटी गठित करेगी जो कि उत्तराखंड राज्य के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार करेगी। इस यूनिफॉर्म सिविल कोड का दायरा विवाह-तलाक, ज़मीन-जायदाद और उत्तराधिकार जैसे विषयों पर सभी नागरिकों के लिये समान क़ानून चाहे वे किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों, होगा।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि ये यूनिफॉर्म सिविल कोड संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करने की दिशा में एक अहम कदम होगा और संविधान की भावना को मूर्त रूप देगा। ये भारतीय संविधान के आर्टिकल 44 की दिशा में भी एक प्रभावी कदम होगा, जो देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता की संकल्पना प्रस्तुत करता है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी समय-समय पर इसे लागू करने पर ज़ोर दिया है। साथ ही, इस महत्वपूर्ण निर्णय में हमें गोवा राज्य से भी प्रेरणा मिलेगी जिसने एक प्रकार का यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करके देश में एक उदाहरण पेश किया है।

उत्तराखंड में जल्द से जल्द यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने से राज्य के सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों को बल मिलेगा। इससे राज्य में सामाजिक समरसता बढ़ेगी, जेंडर जस्टिस को बढ़ावा मिलेगा, महिला सशक्तिकरण को ताकत मिलेगी, और साथ ही देवभूमि की असाधारण सांस्कृतिक आध्यात्मिक पहचान को, यहां के पर्यावरण को सुरक्षित रखने में भी मदद मिलेगी। उत्तराखंड का यूनिफॉर्म सिविल कोड दूसरे राज्यों के लिए भी एक उदाहरण के रूप में सामने आएगा।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि उपरोक्त पृष्ठभूमि में उदेश्य को प्राप्त करने के लिए उत्तराखण्ड राज्य में रहने वाले सभी नागरिकों के व्यक्तिगत नागरिक मामलों को नियंत्रित करने वाले सभी प्रासंगिक कानूनों की जांच करने और मसौदा कानून या मौजूदा कानून में संशोधन के साथ उस पर रिपोर्ट करने के लिए विवाह, तलाक, सम्पत्ति के अधिकार, उत्तराधिकार से सम्बंधित लागू कानून और विरासत, गोद लेने और रख रखाव और संरक्षता इत्यादि के लिए एक विशेषज्ञों, वुद्धिजीवियों और हितधारकों की एक समिति मा. उच्चतम न्यायालय / मा. उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश / मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित करने का प्रस्ताव है। राजपत्र में अधिसूचना के माध्यम से उत्तराखण्ड सरकार उपरोक्तानुसार एक समिति का गठन करेगी जिसमें उसकी संरचना, संदर्भ की शर्तें आदि का भी उल्लेख रहेगा।

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