विशेष: सोमेश्वर में सामूहिक रूप से फूलों की रोपाई की अनूठी परंपरा, सोमवार को निभाई प्राचीन रस्म

दिनकर जोशी, सोमेश्वर उत्तराखंड की विविध संस्कृति एवं परंपराएं विद्यमान हैं। धार्मिक आस्थाएं कूट-कूट कर भरी हैं। तभी इसे देवभूमि कहा जाता है। ऐसी ही…

दिनकर जोशी, सोमेश्वर

उत्तराखंड की विविध संस्कृति एवं परंपराएं विद्यमान हैं। धार्मिक आस्थाएं कूट-कूट कर भरी हैं। तभी इसे देवभूमि कहा जाता है। ऐसी ही सोमेश्वर में एक अनूठी प्राचीन पंरपरा विद्यमान हैं। यहां शिव मंदिर में हर वर्ष सावन मास के तीसरे सोमवार को हजारों की संख्या में गेंदा के फूल लगाने की परंपरा है। जो परंपरागत ढंग से आज सोमवार को निभाई गई।
प्राचीन सोमेश्वर महादेव मंदिर में बौरारौघाटी की महिलाओं द्वारा द्वारा फूलों की रोपाई की पुरानी परंपरा है। यह रोपाई सावन मास के तीसरे सोमवार को होती है। यह पुरानी परंपरा आज भी कायम है। रक्षाबंधन को सावन माह के तीसरे सोमवार को मन्दिर परिसर में हाजिरी (गेंदा) के फूलों की रोपाई की गई। ये फूल भगवान भोलेनाथ को अर्पित किए जाते हैं। बकायदा पहाड़ की प्राचीन बौल परंपरा से सभी महिलाएं मिलकर इन फूलों की रोपाई की गई। इसमें बिशन राम व मदन मोहन सनवाल हुड़के की थाप के साथ शिव आराधना पर आधारित विशेष कुमाऊंनी झोड़े की प्रस्तुति दी। सभी की सुख-समृद्धि की कामना की। इन्हीं फूलों से दीपावली पर्व पर माला बनाकर भगवान शिव को चढ़ाई जाती हैं और माला से बीज लेकर पुनः बोये जाते हैं। रोपाई के बाद मन्दिर परिसर में सभी भक्तजनों को मन्दिर पुजारियों द्वारा खीर का प्रसाद वितरित किया। कार्यक्रम में मन्दिर के समस्त पुजारी, महिलाएं, पुरुष व बच्चे पहुंचे और भगवान भोलेनाथ से आशीर्वाद मांगा। इससे सोमवार को मंदिर में अच्छी-खासी चहल-पहल रही।

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