फुल एंड फाइनल, बड़ा धमाका : ध्वस्त हो गये 800 करोड़ के ट्विन टावर

⏩ भारी विस्फोटकों से उड़ा दी गई बिल्डिंग आज रविवार ठीक 02 बजकर 40 मिनट पर दिल्ली से सटे नोएडा के ट्विन टावर को भारी…

⏩ भारी विस्फोटकों से उड़ा दी गई बिल्डिंग

आज रविवार ठीक 02 बजकर 40 मिनट पर दिल्ली से सटे नोएडा के ट्विन टावर को भारी विस्फोटकों की मदद से ढहा दिया गया। अब चारों तरफ मलबा और धुएं के गुबार दिखाई दे रहा है। मात्र चंद सेकेंड के भीतर ही 32 और 29 मंजिला दोनों इमारतें मलबे में तब्दील हो गईं। जब ये दोनों टावर गिरें तो कई किलोमीटर दूर तक इसके धुएं का गुब्बार दिखाई दे रहा है।

उल्लेखनीय है कि 300 करोड़ से ज्यादा की लागत में बने इन टावर्स को गिराने में करीब 20 करोड़ खर्च हुए हैं। आप को बता दें कि ये ट्विन टावर Supertech Company ने बनाया था, जिसके मालिक आरके अरोड़ा हैं। जो कि 34 कंपनियों के संचालक हैं। ये कंपनियां Civil Aviation, Consultancy, Broking, Printing, Films, Housing Finance, Construction तक के काम करती हैं।

बताया जाता है कि अरोड़ा ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर 07 दिसंबर 1995 को इस कंपनी की शुरुआत की थी। कंपनी ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना विकास प्राधिकरण क्षेत्र, Meerut, Delhi-NCR सहित देश भर के करीब दर्जन भर शहरों में रियल स्टेट के प्रोजेक्ट लॉन्च किए हैं। कुछ ही समय में अरोड़ा ने रियल स्टेट में अपना नाम बना लिया। इसके बाद उसने एक के बाद एक 34 कंपनियां खोल दीं।

सुपरटेक लिमिटेड शुरू करने के चार साल बाद 1999 में उनकी पत्नी संगीता अरोड़ा ने Supertech Builders And Promoters Private Limited नाम से कंपनी खोली थी। यही नहीं, उन्होंने अपने बेटे मोहित अरोड़ा के साथ मिलकर Power Generation, Distribution and Billing Sectors में भी काम शुरू किया। इसके लिए सुपरटेक एनर्जी एंड पॉवर प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई।

ट्विन टावर बनाने की कहानी

⏩ 23 नंवबर 2004 को नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर-93ए स्थित प्लॉट नंबर-4 को Emerald Court के लिए आवंटित किया था। आवंटन के साथ ग्राउंड फ्लोर समेत 9 मंजिल तक मकान बनाने की अनुमति मिली थी।

⏩ 29 दिसंबर 2006 को अनुमति में संशोधन हुआ। नोएडा अथॉरिटी ने संसोधन करके सुपरटेक को नौ की जगह 11 मंजिल तक फ्लैट बनाने की अनुमति दे दी।

⏩ इसके बाद अथॉरिटी ने टावर बनने की संख्या में भी इजाफा कर दिया। पहले 14 टावर बनने थे, जिन्हें बढ़ाकर पहले 15 फिर इन्हें 16 कर दिया गया।

⏩ 26 नवंबर 2009 को नोएडा अथॉरिटी ने फिर से 17 टावर बनाने का नक्शा पास कर दिया।

⏩ 02 मार्च 2012 को टावर 16 और 17 के लिए एफआर में फिर बदलाव किया। इस संशोधन के बाद इन दोनों टावर को 40 मंजिल तक करने की अनुमति मिल गई। इसकी ऊंचाई 121 मीटर तय की गई। दोनों टावर के बीच की दूरी महज नौ मीटर रखी गई। जबकि, नियम के मुताबिक दो टावरों के बीच की ये दूरी कम से कम 16 मीटर होनी चाहिए।

⏩ इसके बाद सुपरटेक समूह ने एक टावर में 32 मंजिल तक जबकि, दूसरे में 29 मंजिल तक का निर्माण भी पूरा कर दिया। इसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा और ऐसा पहुंचा कि टावर बनाने में हुए भ्रष्टाचार की परतें एक के बाद एक खुलती गईं।

⏩ इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुपरटेक सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट में 07 साल चली लड़ाई चली और 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकार रखा।

⏩ सुप्रीम कोर्ट ने 03 माह के भीतर ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया। इसके बाद इस तारीख को आगे बढ़ाकर 22 मई 2022 कर दिया गया। हालांकि, समय सीमा में तैयारी पूरी नहीं हो पाने के कारण तारीख को फिर बढ़ा दी गई।

इस तरह दिवालिया हुई सुपरटेक

⏩ ट्विन टावर गिराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से आरके अरोड़ा की हालत खराब हो गई। उसने इसका निर्माण 300 करोड़ से ज्यादा की लागत से किया था तथा इसमें 711 फ्लैटों की बुकिंग भी हो चुकी थी। इसके लिए कंपनी ने लोगों से एडवांस धनराशि भी ली थी, लेकिन जब इसे गिराने का आदेश दिया गया तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बुकिंग अमाउंट और 12 प्रतिशत ब्याज की रकम मिलाकर 652 निवेशकों के दावे सेटल कर दिए गए।

⏩इनमें 300 से अधिक ने रिफंड का विकल्प अपनाया, जबकि बाकी ने Market or Booking Value and Interest की रकम जोड़कर जो राशि बनी उसके अनुसार दूसरी परियोजनाओं में प्रॉपर्टी ले ली। प्रॉपर्टी की कीमत कम या ज्यादा होने पर पैसा रिफंड किया या अतिरिक्त रकम जमा कराई गई।

यह हैं वर्तमान हालात –

ट्विन टावर के 59 निवेशकों को अभी तक रिफंड नहीं मिला है। 25 मार्च को सुपरटेक के इंसोल्वेंसी में जाने से रिफंड की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। 14 करोड़ रुपये से अधिक का रिफंड दिया जाना बाकी है। इंसोल्वेंसी में जाने के बाद मई में कोर्ट को बताया गया कि सुपरटेक के पास रिफंड का पैसा नहीं है।

वर्तमान वर्ष 2022 में दिवालिया घोषित

वर्तमान वर्ष मार्च में सुपरटेक कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया गया। सुपरटेक नाम से कई कंपनी हैं जो आरके अरोड़ा की ही हैं लेकिन यहां जो कंपनी दिवालिया हुई है वह रियल एस्टेट में काम करने वाली सुपरटेक है, जिसने ट्विन टावरों का निर्माण किया है। सुपरटेक ने Union Bank से करीब 432 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। कर्ज नहीं चुकाने पर बैंक ने कंपनी के खिलाफ याचिका दायर की थी। जिसके बाद एनसीएलटी ने बैंक की याचिका स्वीकार कर इन्सॉल्वेंसी की प्रक्रिया का आदेश दिया था।

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