🌻 इस बार हाथी पर सवार होकर आयेंगी माता रानी
🌻 यह है कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
🌻 भूलकर भी नहीं करें यह काम, वरना माता रानी हो जायेंगी नाराज
सीएनई रिपोर्टर
शारदीय नवरात्रि में करें मां दुर्गा के 9 रूपों की अराधना
शारदीय नवरात्रि का प्रारम्भ आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 26 अक्टूबर से होगा। पंचांग के अनुसार इस बार मां दुर्गा हाथी हाथ पर सवार होकर आ रही हैं, जो कि अच्छी बारिश, खुशहाली और समृद्धि का संकेत है।
हिंदू धर्म में देवी का शक्ति स्वरूप मां दुर्गा की आराधना का विशेष महत्व है। 09 दिवसीय नवरात्र का समापन 05 अक्टूबर को विजयदशमी पर होगा। शारदीय नवरात्रि की यह मान्यता है कि भगवान राम ने भी शारदीय नवरात्र में देवी को प्रसन्न कर विजयादशमी के दिन रावण का संहार किया था। यहां हम आपको ज्योतिषों के अनुसार माता रानी की इन नौ दिनों की ऐसी पूजन विधि बतायेंगे, जिनके करने से निश्चित रूप से आप के घर-परिवार में माता रानी की कृपा होगी।
मां शैलपुत्री का पूजन व घट स्थापना –
इस वर्ष 26 सितंबर से मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री का पूजन होगा और घट स्थापना भी की जायेगी। घटस्थापना का मुहूर्त प्रात: 06 बजकर 17 मिनट से 07 बजकर 55 मिनट तक का है तथा अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 42 मिनट तक बताया गया है।
जानिये घट स्थापन की विधि:-
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार माता रानी के पूजन में नियमों का विशेष महत्व है। अतएव इस बात का विशेष ध्यान रखें कि नवरात्र के प्रथम दिवस केवल शुभ मुहूर्त में ही कलश स्थापना करें।
ऐसे कीजिए कलश स्थापना –
🙏 मिट्टी के पात्र में पवित्र मिट्टी रखने के उपरांत उसमें जौ बोएं।
🙏 कलश स्थापना नित्य के पूजन स्थान या ईशान कोण में कीजिए।
🙏 इससे पूर्व निर्धारित स्थान पर गंगाजल छिड़कर भूमि पवित्र कर लें।
🙏 पूजा की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और मां दुर्गा की तस्वीर को स्थापित कीजिए।
🙏 तांबे या मिट्टी के कलश में गंगा जल या स्वच्छ जल भरकर इसमें सिक्का, अक्षत, सुपारी, लौंग के जोड़ा, दूर्वा घास, डालें. कलश के मुख पर मौली बांधें।
🙏 एक नारियल पर लाल चुनरी को मौली से बांध दीजिए और कलश में आम के पत्ते लगाकर उसपर ये नारियल रखे दें।
🙏 इसके उपरांत जौ वाले पात्र और कलश को मां दुर्गा की फोटो के दायीं ओर स्थापित करें। कलश स्थापना पूर्ण होने के उपरांत मां जगदंबा का पूजन करें।
शारदीय नवरात्र 2022 महत्वपूर्ण तिथियां –
👉 26 सितंबर 2022 – मां शैलपुत्री (पहला दिन) प्रतिपदा तिथि
👉 27 सितंबर 2022 – मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन) द्वितीय तिथि
👉 28 सितंबर 2022 – मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन) तृतीया तिथि
👉 29 सितंबर 2022 – मां कुष्मांडा (चौथा दिन) चतुर्थ तिथि
👉 30 सितंबर 2022 – मां स्कंदमाता (पांचवा दिन) पंचमी तिथि
👉 1 अक्टूबर 2022 – मां कात्यायनी (छठा दिन) षष्ठी तिथि
👉 2 अक्टूबर 2022 – मां कालरात्रि (सातवां दिन) सप्तमी तिथि
👉 3 अक्टूबर 2022 – मां महागौरी (आठवां दिन) दुर्गा अष्टमी महानवमी
👉 4 अक्टूबर 2022 – (नौवां दिन) शरद नवरात्र व्रत
👉 5 अक्टूबर 2022 – मां दुर्गा विसर्जन, दशमी तिथि (दशहरा)/पारण
सुख-समृद्धि, यश, कीर्ति में वृद्धि, तो होता है विघ्नों व विपत्तियों का नाश
नव रात्रियों में भूलकर भी ना करें ये काम, वरना माता रानी हो जायेगी नाराज –
✒️ यदि आपने अपने घर में कलश स्थापना कर ली है अथवा माता की चौकी या अखंड ज्योति प्रज्जवलित की है, तो कदापी घर छोड़कर नहीं जायें। अर्थात इन नौ दिनों में परिवार का कोई न कोई सदस्य एक समय पर घर पर अवश्य रहे।
✒️संपूर्ण नौ दिन मां दुर्गा की सुबह-शाम आरती व पूजन करना न भूलें।
✒️ माता रानी गंदगी में नहीं आती इसलिए नवरात्रि घर को पूरी तरह साफ रखें।
✒️ सूर्योदय होते ही प्रात:कालीन वेला में स्नान अवश्य करें और और साफ-सुथरे कपड़े पहन माता रानी की अराधना/जप करें।
✒️ संपूर्ण नवनात्रि में काले वस्त्र प्रतिबंधित हैं, इन्हें कतई नहीं पहनें। काले वस्त्र असुरों का प्रतीक हैं, जिनका माता रानी ने वध किया था।
✒️ किसी भी प्रकार के लड़ाई-झगड़ों और घरेलू कलह से दूर रहें, सभी से प्रेम पूर्ण व्यवहार करें, भले ही वह आपका शत्रु ही क्यों न हो। माता रानी बुरे वचनों से भी कुपित हो जाती हैं।
✒️ नवरात्रि में प्याज, लहसुन और मांस-मदिरा का सेवन भूल कर भी नहीं करें। सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।
✒️ यदि उपवास किया है तो दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती के पाठ के वक्त लौकिक बातों पर ध्यान कतई केंद्रित नहीं करें, केवल माता के श्रीचरणों में भी ध्यान लगायें।