सीएनई रिपोर्टर, देहरादून
अविभाजित उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड की राजनीति का सशक्त चेहरा रहे हरक सिंह रावत की घर वापसी को लेकर अब तक कांग्रेस हाईकमान कोई फैसला नहीं ले सकी है। जिससे राजनैतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। जानकारों का यही कहना है कि हरक की अत्यधिक महत्वाकांक्षा, दल—बदलने का इतिहास और बेबाक विवादित बोल उन्हें आज लगातार पीछे धकेल रहे हैं।
ज्ञात रहे कि हरक सिंह रावत भारतीय राजनीति का वह चेहरा हैं, जो भाजपा, कांग्रेस व बहुजन समाज पार्टी में भी शामिल रह चुके हैं। वह जिस भी राजनैतिक दल में गये वहां उनका शायद बड़ी गर्मजोशी से स्वागत हुआ। यही कारण है कि वह एनडी तिवारी, कल्याण सिंह, मायावती, बहुगुणा व धामी सरकार में मंत्री रह चुके हैं। साथ ही तमाम बड़े पदों पर आसीन रहे। यानी राजनीति में उन्होंने हमेशा जीत का स्वाद ही चखा है। News WhatsApp Group Join Click Now
हरक सिंह रावत की राजनीति का सफर वर्ष 1991 से शुरू हुआ, जब उन्होंने पौड़ी से विधानसभा सीट से चुनाव जीता था। जिसके बाद उन्हें यूपी में सबसे कम आयु के मंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। इसके बाद हरक सिंह रावत का इसे सौभाग्य कहें या दुर्भाग्य कि वह चार सरकारों में मंत्री तो रहे, लेकिन कहीं भी अपना कार्यकाल भी पूरा नहीं कर सके। एक पार्टी से असंतुष्ट होने पर दूसरी पार्टी का दामन थाम लेना उनकी आदत में शुमार हो गया। वैसे ऐसा करने वालों की कोई कमी नहीं है, लेकिन हरक सिंह रावत की इस मामले में बात ही कुछ और है।
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हरक सिंह रावत सबसे अधिक चर्चा में वर्ष 2016 में आये। जब उत्तराखंड के तत्कालीन सीएम हरीश रावत के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंकने वाले 09 विधायकों में वह भी शामिल थे। तब कांग्रेस द्वारा निष्कासित किए जाने के बाद वे बीजीपी में शामिल हो गये थे। मालूम हो कि हरक सिंह रावत को दिल्ली में जमे कई रोज हो चुके हैं। पहले यह समझा जा रहा था कि हरक सिंह रावत को कांग्रेस में तत्काल शामिल कर लिया जायेगा, लेकिन जैसे—जैसे दिन बीत रहे हैं, संशय पैदा होने लगा है। राजनैतिक जानकार व मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हरक सिंह रावत की घर वापसी को लेकर भी कांग्रेस में मतभेद है।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस में हरक सिंह रावत की घर वापसी को लेकर दो फाड़ हो चुके हैं। यदि हरक वापस आते हैं तो इससे कांग्रेस को नुकसान भी हो सकता है। दूसरी बात यह है कि यह भी स्पष्ट हो चुका है कि हरक सिंह के साथ और भी कोई भाजपा विधायक कांग्रेस में शामिल नहीं होने वाला है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रीतम सिंह, जिनके हरीश रावत के साथ बहुत अच्छे समीकरण नहीं हैं, और राज्य के एआईसीसी प्रभारी देवेंद्र यादव, हरक रावत को फिर से पार्टी में शामिल करने के पक्ष में हैं। हालांकि वह भी खुलेआम कुछ कहने से बचते दिख रहे हैं।
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हालांकि वर्तमान में पूर्व सीएम हरीश रावत का कांग्रेस में एक बड़ा कद है और हरक की वापसी बिना उनकी अनुमति के नहीं होगी, ऐसा समझा जा रहा है। फिर हरीश रावत ने साफ कह भी दिया है कि उनकी शर्त यही है कि हरक सिंह रावत 2016 में की गई अपनी उस गलती को मानें और माफी मांगें। अब बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या हरक सिंह रावत सिर्फ सार्वजनिक मंच पर आंसू निकाल जनता व पार्टी कार्यकर्ताओं की सहानुभूति की बदौलत कांग्रेस में वापसी करेंगे, या हरीश रावत के समक्ष अपनी पूर्व गलती पर माफी मांग कर। देखते हैं सियासत अब आगे क्या रंग दिखाती है !
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