Almora: आज के विकास का मॉडल उत्तराखंड के लिए खतरनाकः डा. नवीन जुयाल

अल्मोड़ा में जननायक डा. शमशेर सिंह बिष्ट की चौथी पुण्य तिथि पर स्मृति समारोह राज्य बनना ही अपने आप में समस्या बन गयाः इंद्रेश मैखुरी…

  • अल्मोड़ा में जननायक डा. शमशेर सिंह बिष्ट की चौथी पुण्य तिथि पर स्मृति समारोह
  • राज्य बनना ही अपने आप में समस्या बन गयाः इंद्रेश मैखुरी
  • ‘हिमालय के संकट व समाधान’ व ‘आज का उत्तराखंड व चुनौतियां’ पर मथन

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
जननायक स्व. डा. शमशेर सिंह बिष्ट की चौथी पुण्य तिथि यहां शमशेर स्मृति दिवस समारोह के रूप में मनाई गई। उत्तराखंड लोक वाहिनी द्वारा आयोजित समारोह में जाने-माने विषय विशेषज्ञों ने ‘हिमालय के संकट व समाधान’ तथा ‘आज का उत्तराखंड व चुनौतियां’ विषय पर व्याख्यान दिए। जिसमें प्रकृति से छेड़छाड़ को इस पहाड़ी राज्य के लिए खतरा बताया गया और कहा कि आज के विकास का मॉडल खतरनाक है। इस बात पर भी गंभीर चिंता जताई कि उत्तराखंड राज्य कार्पोरेट लूट का साधन बन गया है। इस समारोह में वक्ताओं ने पहाड़ के हित में डा. शमशेर सिंह बिष्ट के संघर्ष का स्मरण किया।

प्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं पर्यावरणविद् डा. रवि चौपड़ा की अध्यक्षता में अल्मोड़ा में सेवॉय होटल में आयोजित समारोह में मुख्य वक्ता वरिष्ठ भूगर्वविद् डा. नवीन जुयाल ने कहा कि विद्यार्थी जीवन में ही उन्हें उत्तराखंड लोक वाहिनी ने एक नई दिशा दी। उन्होंने कहा कि हिमालय मंे हाइड़ो प्रोजक्ट बनाते वक्त यहां के इको सिस्टम पर ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के गांवों को समझने की जरूरत है, यहां के मूल निवासियों ने कभी प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नही की, लेकिन आज जो विकास का माडल है, वह खतरनाक है। उन्होंने कहा कि भूकंप की दृष्टि से भी उत्तराखंड संवेदनशील है। प्लेट 2.5 मिलीमीटर के हिसाब से युरोप की तरफ खिसक रही है। उन्होंने डा .शमशेर सिंह बिष्ट व सहयोगियों के फलिन्डा आंदोलन का उल्लेख करते हुए कहा कि पानी का नदी खेती व बांधों में वितरण कैसे होगा, मगर आज आन्दोलन के नतीजे ठण्ड़े बस्ते में चले गये। उन्होंने कहा कि टिहरी बांध बडे़ भूकम्प क्षेत्रों में है। टिहरी में वैज्ञानिक आपत्तियों को दरकिनार करते हुए अपनी मनमानी की गई। उन्होंने कहा कि यही हालत पंन्चेश्वर बांध में भी होगी, इसका बैराज भूकम्पीय क्षेत्रों में है लेकिन इस बात को सरकार नही मानती।

डा. जुयाल ने कहा कि जोशीमठ में बन रहीं परियोजनाएं भू धसाव को आमंत्रित कर रही हैं। 200 मीटर से अधिक ऊचाई में बाध नही बनने चाहिये, लेकिन 24 बाध ऐसे हैं, जिन्होंने यह सीमा लांघ दी है। उन्होंने कहा कि विज्ञान की बातें हो रही हैं, लेकिन वह धरातल पर नहीं उतर रही हैं। बाधों के परिपेक्ष्य में हमारा कहना है कि जो बाँध बने है उसके परिणाम सामने है। उन्होंने कहा कि यही हाल सड़कों का है, पहाड़ों में आल वैदर रोड़ की चौड़ाई 1200 मीटर कर दी गई और ऐस्कोम कम्पनी ने बिना सर्वे के ही सडक निर्माण आरम्भ कर दिया। उन्होंने उक्त हालातों को चिंतनीय बताया।

समारोह में दूसरे मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद वरिष्ठ जनांदोलकारी कामरेड इन्द्रेश मैखुरी ने कहा कि राज्य बनना ही अपने आप में एक समस्या बन गया है। उन्होंने कहा कि जब हिंमाचल बना तब कार्पाेरेट लूट उस स्तर पर नहीं थी, लेकिन जब उत्तराखण्ड राज्य बना, तो यह कार्पाेरेट लूट का साधन बन गया। उन्होंने कहा कि यदि हेलंग में किसी भी ढंग से खेल मैदान बन सकता हो, तो हम अपना आन्दोलन वापस ले लेंगे। उत्तराखण्ड़ अकेला ऐसा राज्य है, जहां जमीन खरीदने की लूट है। विधानसभा भर्ती प्रकरण पर सवाल उठाते हुवे मैखुरी ने कहा कि उत्तराखण्ड में चार प्रकार से ही भर्ती हो सकती है, परंतु विधानसभाओं के पूर्व अध्यक्ष कह रहे हैं कि विधानसभा अध्यक्षों का विशेषाधिकार है। उन्होंने इस बात को घोर आश्चर्यजनक बताया कि उत्तर प्रदेश की विधानसभा में 527 कार्मिक थे और उत्तराखण्ड की विधानसभा में कार्मिकों की लंख्या 560 पहुंच गई है। महिला आरक्षण विषय पर सवाल उठाते हुए मैखुरी ने कहा कि बिहार में बिहारी मूल की बालिकाओं को आरक्षण मिल रहा है। उत्तराखण्ड़ में इसे निरस्त कर दिया गया। यह सोचनीय विषय है।

अल्मोड़ा के विधायक मनोज तिवारी ने कहा कि उत्तराखंड जिस राह पर चल पड़ा है, वह सोचनीय है। उन्होंने कहा कि एक राजनैतिक दल के कार्यकर्ता होने के नाते उनकी प्रतिबद्धता है, लेकिन डा. शमशेर सिंह बिष्ट ने सच व झूठ पर स्पष्ट बोलने की सीख दी। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी ने वाहिनी के दिनों को याद करते हुए कहा कि डा. शमशेर सिंह बिष्ट के नेतृत्व उत्तराखंड में क्षेत्रीय जनसंघर्षों का आगाज हुआ। नगरपालिका परिषद अल्मोड़ा के अध्यक्ष प्रकाश चन्द्र जोशी ने शमशेर सिंह बिष्ट के जनान्दोलनों प्रकाश जताते हुए कहा कि सन् 66-67 के दशक में स्टार पेपर मिल द्वारा काटे जा रहे पेड़ो के खिलाफ सशक्त आन्दोलन किया। उन्होंने कहा कि डा. शमशेर सिंह बिष्ट हमेशा गलत को गलत व सही को सही कहते रहे और पूरे दमखम से बोलते थे। उन्होंने कहा कि राज्य किस दिशा में जा रहा है, यह सोचने का विषय है। उन्होंने कहा कि राज्य में जमीनें बिक गई हैं और यहां के लोग कोठियों की चौकेदारी कर रहे हैं।

सभा का संचालन वाहिनी के अध्यक्ष राजीव लोचन साह ने किया, जबकि शुभारम्भ में कार्यक्रम की रूपरेखा पूरन चन्द्र तिवारी ने प्रस्तुत की। अंत में उलोवा नेता जगत रौतेला ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। समारोह में नवीन बिष्ट व दयाकृष्ण काण्डपाल आदि ने जनगीत गाया। अजयमित्र बिष्ट, कुणाल तिवारी व रेवती बिष्ट ने अपने विचार रखे। समारोह में जंगबहादुर थापा, आनंद सिंह बगडवाल, प्रताप सिंह सत्याल, राम सिंह, बसंत खनी, अजय मेहता, हारिस मुहम्मद, रोहित जोशी, शिवदत्त पांडे, डा. जेसी दुर्गापाल, हयात रावत, उदय किरौला, सुरेश तिवारी, विशन दत्त जोशी, शेखर लखचौरा, सुरेश तिवारी, दिनेश पांडे, कपिलेश भोज, दीपा तिवारी,, कलावती तिवारी, शिवराज सिंह, आशीष जोशी आदि कई लोग शामिल हुए।

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