उपलब्धि: इस साल अल्मोड़ा के साहित्यकार गिरीश जोशी को मिलेगा ‘विक्टोरिया क्राॅस कैप्टन गजे घले पुरस्कार’

👉 पिथौरागढ़ में होने वाले 03 दिनी 15वें ‘राष्ट्रीय कुमाऊंनी भाषा सम्मेलन’ में होंगे सम्मानित सीएनई रिपोर्टर, पिथौरागढ़: ‘कुमाऊंनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति’…

इस साल अल्मोड़ा के साहित्यकार गिरीश जोशी को मिलेगा 'विक्टोरिया क्राॅस कैप्टन गजे घले पुरस्कार'

👉 पिथौरागढ़ में होने वाले 03 दिनी 15वें ‘राष्ट्रीय कुमाऊंनी भाषा सम्मेलन’ में होंगे सम्मानित

सीएनई रिपोर्टर, पिथौरागढ़: ‘कुमाऊंनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति’ एवं कुमाऊंनी मासिक पत्रिका ‘पहरु’ की ओर से इस साल का ”विक्टोरिया क्राॅस कैप्टन गजे घले पुरस्कार” पुरस्कार कुमाऊंनी लेखन में उल्लेखनीय योगदान देने वाले साहित्यकार गिरीश चंद्र जोशी को दिया जाएगा। यह सम्मान आगामी 04, 05 व 06 नवंबर 2023 को पिथौरागढ़ में आयोजित हो रहे 15वां ‘राष्ट्रीय कुमाऊंनी भाषा सम्मेलन’ में दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि ‘कुमाऊंनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति’ एवं कुमाऊंनी मासिक पत्रिका ‘पहरु’ द्वारा इस दफा ‘राष्ट्रीय कुमाऊंनी भाषा सम्मेलन’ पिथौरागढ़ में आयोजित किया जा रहा है। इसी के तहत गठित पुरस्कार चयन समिति ने मंथन के बाद अल्मोड़ा निवासी गिरीश चंद्र जोशी को कुमाऊंनी लेखन में उल्लेखनीय योगदान पर उक्त पुरस्कार के लिए चुना है। इस समिति के सचिव एवं पहरु के संपादक डाॅ. हयात सिंह रावत ने बताया कि श्री जोशी को पुरस्कार स्वरुप 05 हजार 100 रुपये की नकद धनराशि, अंगवस्त्र व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा।

01 मई 1954 को अल्मोड़ा जिले के ग्राम-घुराड़ी, लोधिया में मोहिनी देवी एवं लीलाधर जोशी के घर जन्मे गिरीश चंद्र जोशी अपनी मातृभाषा कुमाऊंनी में लेखन में कई सालों से सक्रिय हैं। हिंदी और कुमाऊंनी में समान रुप से कलम चलाने वाले गिरीश जोशी सालों से कुमाऊंनी के प्रचार-प्रसार में योगदान देते आ रहे हैं। इतना ही नहीं कुमाऊंनी मासिक पत्रिका ‘पहरु’ को देश के विभिन्न क्षेत्रों में कुमाऊंनी से ताल्लुक रखने वाले लोगों तक पहुंचाने में भी उनका खासा योगदान है। श्री जोशी अब तक कुमाऊंनी व हिंदी में ‘दांडी यात्रा सेनानी पं. ज्योतिराम’, ‘प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानी’, ‘कमला की कहानी’, ‘प्रार्थना और गीत’, ‘अंतहीन होती प्रतीक्षा’, ‘आजादिक लड़ैंक सेनानी’ आदि पुस्तकें प्रकाशित कर चुके हैं। उन्होंने सम सामयिक विषयों के साथ ही सैनिक जीवन की पृष्ठभूमि को भी अपने लेखनी में शुमार किया है। यहां गौरतलब है कि वीर सैनिक विक्टोरिया क्राॅस कैप्टन गजे घले की स्मृति में वर्ष 2018 से कुमाऊंनी सैन्य पृष्ठभूमि में उल्लेखनीय कार्य के लिए हर वर्ष यह सम्मान दिया जाता है। अब तक पूरन चंद्र कांडपाल (दिल्ली), ब्रिगेडिश धीरेश जोशी (हल्द्वानी), घनानंद पांडे ‘मेघ’ (लखनऊ), प्रकाश चंद्र पुनेठा (पिथौरागढ़) को यह पुरस्कार मिल चुका है। इधर पिथौरागढ़ आयोजित हो रहे सम्मेलन के संयोजक डाॅ. अशोक पंत ने कुमाऊंनी भाषा प्रेमियों, रंग कर्मियों, रचनाकारों से सम्मेलन में प्रतिभाग करने की अपील की है।

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