विश्व का सबसे बड़ा जीवित ग्रंथ है श्री भगवद्गीता, वैश्विक पटल पर चर्चा : कुलपति

✒️ योग शिक्षा विभाग में तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला ✒️ डॉ. धाराबल्लभ पाण्डेय के महाकाव्य भीष्म प्रतिज्ञा का विमोचन सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा आजादी के अमृत…

✒️ योग शिक्षा विभाग में तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला

✒️ डॉ. धाराबल्लभ पाण्डेय के महाकाव्य भीष्म प्रतिज्ञा का विमोचन

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

आजादी के अमृत महोत्सव के तहत योग विज्ञान विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में ‘योग साधना पद्धतियों का आधात्मिक-वैज्ञानिक आधार एवं चिकित्सकीय महत्व विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ हो गया है। इस मौके पर योग का वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक आधार पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। अतिथियों ने सुप्रसिद्ध रचनाकार डॉ. धाराबल्लभ पाण्डेय के महाकाव्य ‘भीष्म प्रतिज्ञाद्ध का विमोचन भी किया।

कार्यशाला का शुभारम्भ विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो नरेंद्र सिंह भंडारी, कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो जगत सिंह बिष्ट (निदेशक, शोध एवं प्रसार), विशिष्ट अतिथि डॉ महेंद्र मेहरा मधु, अतिथि ललित लटवाल (अध्यक्ष, जिला सहकारी बैंक), डॉ. मुकेश सामन्त (कुलानुशासक) और कार्यक्रम संयोजक डॉ. नवीन भट्ट (विभागाध्यक्ष) ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। योग विज्ञान विभाग की छात्राओं ने अतिथियों का बैज लगाकर स्वागत किया और सरस्वती वंदना मां शारदे और स्वागत गीत का गायन किया।

संचालन करते हुए मोनिका बंसल ने रूपरेखा रखी। विशिष्ट अतिथि डॉ. महेंद्र मेहरा मधु ने कहा कि योग का वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक आधार श्रीमदभगवद गीता है। इसमें यम नियम, आसान, ध्यान, धारणा, समाधि सभी कुछ है। उन्होंने योग के सभी पहलुओं पर विस्तार से व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि योग हमारे स्वास्थ्य को सबल बनाता है और हमें सुख प्रदान करता है। योग हमें मानव बनाता है। हमें योग साधना कर योग के महात्म्य को आगे ले जाने के लिए कार्य करना चाहिए। अतिथि ललित लटवाल (अध्यक्ष, जिला सहकारी बैंक) ने ने कहा कि योग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ नवीन भट्ट के निर्देशन में उनके समस्त सहयोगी का काम सराहनीय रहा है। आज युवाओं में नशे की प्रवृति बढ़ रही है। हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम गलत मार्ग से युवा को रोकें। योग के द्वारा हम इस भयावह होते हुए नशे से समाज को मुक्त कर सकते हैं।

विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. नरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद एवं अल्बर्ट आइंस्टीन उनके प्रेरक हैं। उन्होंने कहा कि पहचान कर्म करने से होती है। हमारी पहचान योग-साधना है। मौन और ध्यान का हम प्राचीन शास्त्र में अध्ययन करते हैं। आज वैश्विक पटल पर योग चर्चा होने से भारत की पहचान बन रही है। पंचकर्म चिकित्सा, प्राण चिकित्सा, मर्म चिकित्सा, प्रकृतिक चिकित्सा आदि को संचालित कर हम अपनी आर्थिकी को मजबूत कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जब कोटा में रसायन उद्योग बन सकता है तो यहां योग भी एक उद्योग बन सकता है। आप सभी योग साधक हमारी प्राचीन पद्धति रूप में योग को रोजगार से जोड़ सकते हैं। कुलपति प्रो भंडारी ने कहा कि हमारे पास अवसर और चुनौतियां हैं। हम नवाचार करें। योग साक्षरता अभियान इस विश्वविद्यालय की देश का अनूठा अभियान है। कोरोना काल में हमारे विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों ने समाज के लिए बेहतर कार्य किये हैं। यह योग विभाग के द्वारा ग्रामों में संचालित है। योग को लेकर हम बहुत बड़े स्तर पर कार्य कर रहे हैं। श्री भगवद्गीता के संबंध में कुलपति ने कहा कि वह विश्व का सबसे बड़ा जीवित ग्रंथ है। उसमें योग, कर्म आदि सभी कुछ है जो मानव को निर्देशित करती है। उन्होंने योग विज्ञान विभाग के कार्यों की सराहना की।

कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. जगत सिंह बिष्ट (निदेशक, शोध एवं प्रसार) ने कहा कि योग में आसन, यम, नियम, धारणा, आहार, प्राणायाम आदि के सहारे हम अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकते हैं। योग का अर्थ है जोड़ना। उन्होंने कहा कि योग हमारी चित्त प्रवृत्तियों को नियंत्रित करता है। पौराणिक काल से आज तक योग ज्ञान और अनुशासन का शास्त्र है। वैदिक काल में योग आध्यात्मिक ज्ञान देता रहा है। आज योग के माध्यम से हम अपने जीवन को सही दिशा में लगा सकते हैं। मन में हो रही हलचलों को हम योग साधना से नियंत्रित कर सकते हैं। योग का अभ्यास करें। योग के माध्यम से इस विश्वविद्यालय कक नाम रोशन करें। उन्होंने डॉ. नवीन भट्ट के कार्यों को सराहा।

कार्यक्रम संयोजक डॉ. नवीन भट्ट (विभागाध्यक्ष) ने कहा कि इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा योग के विभिन्न आयामों को लेकर विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। यौगिक साधना पद्धतियों का आध्यात्मिक-वैज्ञानिक आधार और चिकित्सकीय महत्व पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि योग विज्ञान विभाग कई कार्यक्रमों का संचालन कर समाज को जागरूक कर रहा है। उन्होंने सभी अतिथियों का आभार जताया। वैकल्पिक चिकित्सा केंद्र, सामुदायिक योग चिकित्सा केंद्र के माध्यम से हम काम करेंगे।

डॉ. धाराबल्लभ पाण्डेय की पुस्तक ‘भीष्म प्रतिज्ञा’ का विमोचन

इस अवसर पर डॉ. धाराबल्लभ की पुस्तक भीष्म प्रतिज्ञा का विमोचन अतिथियों ने किया। इस पुस्तक में भीष्म पितामह के समग्र जीवन एवं उनकी वचन बद्धता और प्रण पूर्ण करने के उपरांत इचछानुसार जीवन त्याग का वर्णन किया गया है। जिसमें रस, अलंकार, छंदों का भी सरस उपयोग किया गया है। डॉ. पाण्डेय की इससे पूर्व 12 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। कई पुस्तकें विद्यालयों में उपयोग में ली जा रही हैं। इसके अलावा उनके द्वारा 22500 वर्षीय कलैंडर भी एक ही चार्ट में प्रकाशित किया गया है। जो अभूतपूर्व एवं भारत की एकता व अखंडता के लिए विशेष उपलब्धि है।

यह गणमान्य जन रहे उपस्थित

उद्घाटन अवसर पर अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो इला साह, प्रो इला बिष्ट, प्रो मधुलता नयाल, डॉ. पारुल सक्सेना, डॉ. राम चन्द्र मौर्य, विपिन चन्द्र जोशी, डॉ. बलवंत कुमार, डॉ. धनी आर्या, डॉ ललित जोशी, लल्लन कुमार सिंह, रजनीश जोशी, विश्वजीत वर्मा, हेमा अवस्थी, भावेश पांडे,गिरीश अधिकारी, चन्दन लटवाल, चन्दन बिष्ट, डॉ प्रेम प्रकाश पांडे, डॉ. धारा बल्लभ पांडे, जसोद सिंह बिष्ट, डॉ. भूपेंद्र वल्दिया, विद्या नेगी, अमितेश, संगीता, दीपिका पुनेठा, स्वेता पुनेठा, दिग्विजय, पारस सहित योग विज्ञान विभाग के समस्त विद्यार्थी, शिक्षक, नगर के समाज सेवी, योग साधक उपस्थित रहे।

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