Uttarakhand : आसान नही है नए सीएम धामी की राह, कहीं असंतुष्टों को मनाने और जनता को समझाने में ही न बीत जाये पूरा कार्यकाल
सीएनई रिपोर्टर
देहरादून। प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में युवा नेता पुष्कर सिंह धामी की ताजपोशी को लेकर जहां भीरतखाने भाजपा में असंतोष के स्वर दिखाई दे रहे हैं, वहीं मुश्किल से 08 माह के कार्यकाल में उन्हें कई नई चुनौतियों का सामना भी करना है। बार—बार नेतृत्व परिवर्तन से जनता के बीच हो रही भाजपा सरकार हो रही किरकरी से धामी भी अनभिज्ञ नही होंगे। वहीं कुर्सी की दौड़ में शामिल असंतुष्ट दिग्गजों को वह कैसे मनायेंगे यह भी देखना है।
उत्तराखंड में यदि भाजपा की मौजूदा स्थिति का निष्पक्ष विश्लेषण किया जाये तो आने वाले चुनाव में पार्टी के लिए जीत की राह आसान होती नही दिख रही है। कोरोना काल में लगी पाबंदियों और बिगड़ते आर्थिक हालातों का गहरा असर जनता पर पड़ा है। ऐसे में प्रदेश की जनता एक स्थायी व मजबूत नेतृत्व की कामना रखती है।
इसके बावजूद भाजपा सरकार में जिस तरह से बार—बार मुख्यमंत्री बदले गये हैं उसने जनता के बीच सरकार के प्रति अविश्वास पैदा कर दिया है। ऐसे में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को भी भाजपा को निशाना बनाने का मौका मिल गया है। पूर्व सीएम हरीश रावत भी लगातार भाजपा नेतृत्व को निशाना बना रहे हैं। ताजा खबरों के लिए WhatsApp Group को जॉइन करें Click Now
उत्तराखंड में भाजपा ने विगत चुनाव में बहुत बेहतर प्रदर्शन किया था। जिसका नतीजा यह रहा कि विगत 07 सालों से प्रदेश का नेतृत्व भाजपा सरकार ही कर रही है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव से अब तक के सभी चुनावों में भाजपा ने निरंतर सफलता प्राप्त की है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने विधानसभा की 70 में से 57 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया था।
अब बड़ा सवाल यह है कि अगले साल होने जा रहे चुनाव में भाजपा क्या अपनी जीत दोहराने की स्थिति में है ? बता दें कि 03 साल 11 माह व 09 दिन त्रिवेंद्र सरकार रही। फिर 114 दिन की तीरथ सरकार ने नेतृत्व सम्भाला और अब धामी सरकार के पास मुश्किल से 8 माह बचे हैं। इतने कम समय में वह ढेरों चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं यह देखने वाली बात है।
सीएम के सामने जो प्रमुख समस्यायें हैं उनमें सबसे पहले चारधाम यात्रा को लेकर है, जो कोरोना के चलते आज तक शुरू नही हो पाई। तीरथ सरकार की इसे शुरू करने की सारी कोशिशें भी हाईकोर्ट के आदेश के चलते असफल हो गई थीं। अब यह जिम्मेदारी धामी सरकार की होगी कि वह इसके लिए क्या सर्वोच्च न्यायालय तक जाती है या नही।
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वहीं भाजपा के मिशन 2022 के तहत अगले साल विधानसभा चुनाव होंगे। यहां केंद्र की नजर भी उन पर रहेगी कि वह चुनाव के दौरान किस तरह का प्रदर्शन करते हैं। अगर भाजपा का ग्राफ गिरता है तो इसकी जवाबदेही सीधे उनकी ही होगी। वहीं सरकार व भाजपा संगठन के बीच सामंजस्य बैठाना हो गया नौकरशाहों पर अंकुश रखना यह भी कार्य धामी को ही करना है।
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