⛹️ ग्रामीण परिवेश, संसाधनों के अभाव में कम नहीं हुआ जज्बा
✒️ प्रदेश, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड को कर चुके हैं गौरवान्वित
अल्मोड़ा। देवभूमि उत्तराखंड में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। इन खिलाडियों को तराशने व आगे बढ़ाने का यदि ईमानदारी से प्रयास हो तो यह देश-विदेश में प्रदेश का नाम रोशन कर सकते हैं। ऐसी ही एक खेल प्रतिभा में शुमार हैं अल्मोड़ा के वालीबॉल के राज्य व राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी 16 वर्षीय तेजस बिष्ट (Tejas Bisht).

जानिए, कौन हैं वॉलीबाल खिलाड़ी तेजस बिष्ट
उल्लेखनीय है कि होनहार तेजब बिष्ट (Tejas Bisht) वालीबॉल जिला स्तरीय टीम/Volleyball District Level Team के कप्तान हैं। वह अल्मोड़ा जनपद की तहसील रानीखेत अंतर्गत ब्लॉक ताड़ीखेत के ग्राम डाबर घट्टी के रहने वाले हैं। उनके पिता प्रभात कुमार बिष्ट सरकारी शिक्षक व माता गृहणी हैं। दादी देवकी देवी घरेलू महिला हैं। वहीं, चाचा भारतीय सेना में हैं। वर्तमान में वह माउंट सिनाई स्कूल गनियाद्योली, रानीखेत (Mount Sinai School) में कक्षा 12 के छात्र हैं।

ग्रामीण परिवेश, सुविधाओं का रहा अभाव, जंगल में की प्रैक्टिस
बता दें कि तेजस ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े हैं। अतएव उन्हें कभी वह सुविधा नहीं मिली जो महानगरों अथवा बड़े शहरों में खेल की कोचिंग लेने वाले बच्चों को मिल जाया करती है। वह बताते हैं कि कक्षा 06 से ही उनकी रूचि वॉलीबाल खेल के प्रति जागृत हो गयी थी। घर के आस-पास कोई खेल मैदान तो था नहीं। अतएव जंगल में कुछ साफ-सफाई करके वालीबॉल का प्ले ग्राउंड सभी दोस्तों ने मिलकर तैयार कर दिया। जिसमें आज भी तन्नु रोजाना प्रैक्टिस किया करते हैं।
तेजस बिष्ट की स्कूली शिक्षा
वालीबॉल के उम्दा खिलाड़ी तेजस बिष्ट ने नर्सरी से कक्षा 08 तक माउंट सिनाई स्कूल गनियाद्योली, रानीखेत में पढ़ा। इसके बाद उसने वीर शिवा पब्लिक स्कूल रानीखेत (Veer Shiva sen sec school Ranikhet) में एडमिशन ले जिया। वीर शिवा में उन्होंने कक्षा 09 व 10 की पढ़ाई की। जिसके बाद पुन: माउंट सिनाई स्कूल गनियाद्योली में एडमिशन ले लिया।
उपलब्धियों का लेखा-जोखा
वॉलीबाल खिलाड़ी तेजस बिष्ट बताते हैं कि 11 साल की आयु से ही उन्होंने खेलना शुरू कर दिया था। उन्होंने वॉलीबाल खेलना गांव के अन्य लड़कों के साथ प्रारम्भ किया। उनकी रुचि इस खेल के प्रति बढ़ती ही चली गई। कुछ समय बाद उनकी मुलाकात कोच रितिक मेहरा से हुई। तन्नु के मुताबिक रितिक भइया ने उन्हें निखारने में काफी श्रम किया। जिससे उनके जीवन की दिशा ही बदल गई। कक्षा 06 में उन्होंने अंडर 14 खेल महाकुम्भ में भाग लिया था। जिसके बाद वह जिला स्तरीय टीम में शामिल हो गए। वह जिला स्तरीय मुकाबले में तब प्रथम रहे थे।
राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर कायम किया मुकाम
2017 में तेजस बिष्ट ‘तन्नू’ स्टेट लेवल टीम में शामिल हुए। 2018 में दो नेशनल देहरादून व आगर में खेले। हर खेल में उन्होंने अपनी टीम को विजयश्री दिला बड़ा नाम कमाया। साल 2019-2020 में उनका इंडियन टीम के कैंप में चयन हुआ था, लेकिन तब कोरोना की वजह से सब कुछ प्रभावित रहा। वह 2021 में पुन: स्टेट लेवल टीम में शामिल हुए। राज्यसरकार की ओर से उन्होंने टूर्नामेंट भी खेले। इससे पूर्व 2018 में वह नेशनल टीम के कप्तान भी रहे। 2022 में देहरादून में सीनियर टीम अंडर 21 में उनका सलेक्शन हो गया। तब पीपलकोटी (गढ़वाल) में हुए मैच में उनकी टीम ने जीत दर्ज की थी।
ऐसे उम्दा वॉलीबाल खिलाड़ी को शासन-प्रशासन व सरकारी सहयोग की जरूरत
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इतने प्रतिभाशाली खिलाड़ी को आज तक वह मुकाम नहीं मिल पाया जिसके वह वास्तविक हकदार हैं। इधर क्षेत्र के तमाम खेल प्रेमियों का कहना है कि तेजस बिष्ट को शासन-प्रशासन व राज्य सरकार ने पर्याप्त सहयोग देना चाहिए। जिन लोगों ने भी तेजस के मुकाबले देखे हैं उनका यही कहना है कि यदि सरकार चाहती है कि वास्तविक खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ाया जाये। तो इस दिशा में विशेष ध्यान देना चाहिए।
जानिए क्या कहते हैं तेजस बिष्ट के प्रशंसक
तेजस के साथ खेलने वाले लड़कों का तो कहना है कि सलेक्शन के दौरान पारदर्शिता व ईमानदारी होनी चाहिए। यदि तेजस को आगे बढ़ने का मौका नहीं मिला तो उत्तराखंड अपने एक उम्दा खिलाड़ी का भाग लेने से वंचित हो जायेगा। प्रदेश में तेजस बिष्ट में वह प्रतिभा है, जो भविष्य में राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रय स्तर पर देश-प्रदेश को गौरवान्वित कर सकती है। फिलहाल तेजस अंडर 18 नेशनल की तैयारी कर रहे हैं।