बदइंतजामी: जैंती में कूड़े के ढेर दिखा रहे स्वच्छ भारत अभियान को ठेंगा

जैंती/अल्मोड़ा। उधर पूरे देश में स्वच्छ भारत अभियान और इधर यत्र-तत्र बेतरतीब कूड़े के ढेर। अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा ब्लाक अंतर्गत जैंती क्षेत्र में लंबे…

जैंती/अल्मोड़ा। उधर पूरे देश में स्वच्छ भारत अभियान और इधर यत्र-तत्र बेतरतीब कूड़े के ढेर। अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा ब्लाक अंतर्गत जैंती क्षेत्र में लंबे समय से कुछ ऐसा नजारा देखने में आ रहा है, जो स्वच्छ भारत अभियान को ठेंगा दिखा रहा है। यहां कूड़ा निस्तारण की कोई स्थाई व्यवस्था नहीं हो सकी।
दरअसल जैंती बाजार में स्वच्छता संबंधी अभियान चलते आए हैं, मगर कूड़ा फेंकने के लिए न तो कोई स्थान निश्चित हो सका और न ही कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था। आलम ये है कि जैंती बाजार में यत्र-तत्र कूड़ा बिखरे रहना या कूड़े के ढेर लगे रहना आम बात हो गई है। ये सूरतेहाल स्वच्छ भारत अभियान की हवा निकालता प्रतीत होता है। कूड़ा कचरे की सड़ांध माहौल को प्रदूषित कर रही है। जैंती बाजार व गली मोहल्लों में समय-समय पर विद्यालयों एवं महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं सफाई अभियान चलाते रहते हैं, मगर कूड़े के निस्तारण की उन्हें कोई उचित जगह नहीं मिल पाती है। यहां तक कि घरों का कूड़ा हो या दुकानों का कूड़ा हो। यत्र-तत्र फेंक दिया जाता है। जिससे वातावरण प्रदूषित हो रहा है। इस दिशा में सोचने या कुछ करने की फुर्सत न तो क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों को है और न ही शासन-प्रशासन को।
जैंती महाविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ पदाधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2018 में विभिन्न मांगों को लेकर हुए आंदोलन में कूड़ेदानों की व्यवस्था करने की मांग भी शामिल थी और प्रशासन की ओर से बजट की उपलब्धता पर ऐसी व्यवस्था कराने का आश्वासन दिया था, मगर अब मामला हासिये पर चला गया। वहीं व्यापार मण्डल जैंती के दुकानदारों का कहना है कि जिला परिषद अल्मोड़ा के अधिकारी हर वर्ष प्रत्येक दुकानदार से 500 रूपये क्षेत्र के मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के नाम पर टैक्स लेते हैं, लेकिन धरातल में मूलभूत सुविधाएं नदारद हैं।

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