श्रद्धांजलि: आखों से बोलने वाला ऐसा कलाकार न हुआ न होगा – कैलाश कंडवाल

तेजपाल नेगी हल्द्वानी। इरफान खान का जाना मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के लिए तो एक बड़ा झटका है ही उनके चाहने वालों के लिए भी किसी…

तेजपाल नेगी

हल्द्वानी। इरफान खान का जाना मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के लिए तो एक बड़ा झटका है ही उनके चाहने वालों के लिए भी किसी सदमें से कम नहीं है। ऐसे में बात हो उनके साथ फिल्मों में काम कर चुके कलाकारों की तो यह उनके लिए भी किसी शॉकिंग न्यूज से कम नहीं है। हमने देहरादून में रहने वाले कैलाश कंडवाल से टेलीफोन पर बात की। कैलाश ने तिग्मांशु धूलिया की बहुत चर्चित फिल्म पान सिंह तोमर में एक छोटा सा किरदार निभाया था। यदि आपने पान सिंह तोमर देखी हो तो कैलाश इस फिल्म में मिर्च बेचने वाले एक दुकानदार के छोटे से रोल में दिखाई पड़े थे। लेकिन इरफान के साथ उनका कोई काम नहीं था लेकिन इस रोल को करने के दौरान वे इरफान से मिले तो उनके बात व्यवहार को देखकर उनके मुरीद हो गए।

पान सिंह तोमर फिल्म के एक दृश्य में कैलाश कंडवाल
इसी फिल्म की शूटिंग के साथ देहरादून के कुछ पत्रकारों के बीच इरफान खान

कैलाश यूं तो पत्रकार भी हैं और पिछले 25-26 वर्षों से देहरादून में थियेटर कर रहे हैं। वे बताते हैं कि आज सुबह उनके बेटे ने जब इरफान के निधन की जानकारी उन्हें दी तो एक बार को वे निशब्द हो गए। इरफान की दर्जनों ​फिल्मों में किए रोल उनकी आखों के सामने से क्षण भर में ही गुजर गए।
कैलाश बताते हैं इरफान के अंदर स्टार वाली कोई बात थी ही नहीं, वे जहां जाते वैसे ही हो जाते। शर्मिले इतने कि लोगों को विश्वास ही नहीं होता था कि यही वह कलाकार है जो अपनी एक्टिंग से लोगों के दिलों में हमेशा के लिए जा बसता है।

इसी फिल्म की शूटिंग के साथ देहरादून के कुछ पत्रकारों के बीच इरफान खान


कैलाश बताते हैं। शूटिंग के बाद जैसे तैसे वे अपने साथी फोटो ग्राफर दिनेश ढौंढियाल के साथ सीधे इरफान के सामने जा पहुंचे। जब कैलाश ने उन्हें बताया कि वह थियेटर के कलाकार हैं तो इरफान एकदम अपनत्व से बोले— और सुनाइये कैसा चल रहा है थियेटर…


लेकिन जैसे ही कैलाश ने उन्हें बताया कि वे पत्रकार भी हैं तो उनके चेहरे पर वही शर्मिलापन उभर कर सामने आ गया। वे सर… सर… करके बातें करने लगे। जब उनके साथ एक फोटो लेने का आग्रह कैलाश ने किया तो वे बिना किसी संकोच के एक दम तैयार हो गए और कुछ फोटो कैलाश के साथ खिंचवाए। जब उन्होंने फिल्म के प्लॉट को लेकर सवाल पूछा तो इरफान ने सहजता के साथ तिग्मांशू धूलिया के पाले में गेंद डाल दी। अब तिग्मांशू से फिलक की कहानी पर कोई बात कर सके ऐसा संभव नहीं। इसलिए सवाल को वहीं दबा दिया गया।
वे बताते हैं इस दृश्य की शूटिंग रुड़की में हुई थी, जब ग्रामीणों को पता चला कि इरफान शूटिंग में हिस्सा लेने आए हैं तो वे उनसे मिलने जा पहुंचे। इरफान सबसे ऐसे मिले जैसे बहुत पहले से उन्हें जानते होंगे। कैलाश कहते हैं इरफान ऐसे कलाकार जो किसी दूसरे कलाकार की नकल नहीं करते थे। वे किरदार में खो जाते थे। इसी फिल्म की शूटिंग में वे अपने सीन से कई घंटे पहले ड्रेसअप होकर बैठ जाते थे। उनके चेहरा उनके मन में चल रहे भावों की चुगली कर दिया करता था, ऐसा लगता था कि सामने इरफान नहीं पान सिंह तोमर ही बैठे हैं। अद्भुत …


कैलाश कहते हैं कि उन्होंने 25-26 साल के थियेटर के कैरियर में और बड़े पर्दें से लेकर छोटे पर्दे तक कई कलाकारों का अभिनय देखा है…लेकिन आखों से बात करने की ऐसी कला न किसी अभिनेता के पास थी और न ही आगे होगी….विरले थे वो…
वे बताते है कि इंग्लिश मीडियम की लांचिंग के दौरान उन्होंने एक वीडियो संदेश जारी करके भावुक कर दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि जब सब उसे देख रहे होंगे तब वे उनके साथ होंगे भी और नहीं भी। शायद उन्हें अपने मौत का अहसास हो गया था। लेकिन हम उनके प्रशंसक तो हमेशा यही कहेंगे कि इरफान न होकर भी हमेशा हमारे बीच ही रहेंगे।

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