सोमेश्वर/अल्मोड़ा। हजारों की आबादी व जीव-जंतुओं की जीवनदायिनी कोसी नदी की यहां कोई परवाह नहीं है। दिनोंदिन सोमेश्वर में यह नदी गंदगी से पटते जा रही है और काफी प्रदूषण बर्दाश्त करने को मजबूर है। सोमेश्वर में कोसी और साईं नदी का संगम अद्भुत है, जिसे पौराणिक मान्यता में काशी का बायां अंग माना जाता है, लेकिन गंदगी इसकी मान्यता और खूबसूरती पर दाग लगा रही है।
सोमेश्वर तहसील अंतर्गत गिरेछीना-बागेश्वर सड़क के इर्द-गिर्द जीवनदायिनी कोसी नदी में लंबे अर्से से गंदगी की चपेट में है। निर्मल नदी में जगह-जगह गन्दगी के ढेर लगे हैं। हालत ये है कि सड़गल कर इस कूड़ा-कचरे में संड़ांध पैदा हो गई है। आसपास बदबू से आम लोगों का इसके पास से यत्र-तत्र गुजरना बेहद परेशानी भरा हो रहा है। काशी विश्वनाथ की तर्ज पर बना डोलबगड़ मोक्ष धाम में लोगों को दाह-संस्कार करने में काफी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। दरअसल, सोमेश्वर बाजार के कूड़े की निस्तारण की व्यवस्था आज तक नहीं हो सकी। यही कूड़ा अब कोसी नदी की दशा बिगाड़ने की वजह बना है। सोमेश्वर में कोसी नदी गन्दगी से कराह रही है। काफी समय से सोमेश्वर व्यापार मंडल व क्षेत्र के जनप्रतिनिधि व सामाजिक कार्यकर्ता कूड़ा निस्तारण की उचित व्यवस्था की मांग शासन-प्रशासन से करते आ रहे हैं, मगर व्यवस्था तो कुछ नहीं हो सकी। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ तहसीलदार द्वारा नदी किनारे कूड़ा फेंकने पर रोक का फरमान जारी कर दिया।
कुछ लोग कूड़ा-कचरा नदी में बेरोकटोक प्रवाहित कर रहे हैं। तो कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो लगातार नदी के मैला होने को लेकर बेहद चिंतित हैं और आवाज उठा रहे हैं। मगर अनदेखी का आलम ये है कि केंद्र सरकार की करोड़ों रूपये की नमामि गंगे योजना की प्रेरणा से भी सोमेश्वर में कोसी को स्वच्छ नहीं बन पाई।
एक बार फिर मंत्री व जिला पंचायत से गुहार:- व्यापार मंडल सोमेश्वर समेत क्षेत्र के कई जनप्रनिधियों ने प्रदेश की राज्यमंत्री रेखा आर्या को संयुक्त ज्ञापन भी दिया है। जिसमें कहा है कि सोमेश्वर में कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था नहीं होने के कारण कोसी नदी निरंतर प्रदूषित हो रही है। कई बार शासन-प्रशासन का ध्यान इस ओर खींचा जा चुका है, लेकिन आज तक समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो सका है। महज तहसीलदार ने कूड़ा नदी किनारे डालने पर रोक लगाई है। यह भी कहा है कि व्यापारी दशकों से जिला पंचायत को टैक्स दे रहे हैं, मगर जिला पंचायत आज तक सोमेश्वर में एक शौचालय नहीं बना सका। उन्होंने मंत्री से निश्चित स्थान चयनित कर कूड़ा निस्तारण की स्थाई व सुविधाजनक व्यवस्था की जाए, ताकि सालों पुरानी समस्या हल हो सके। मगर अभी तक इंतजार ही है। इसके साथ ही एक पृथक ज्ञापन जिला पंचायत अध्यक्ष को भेजा है। जिसमें उक्त समस्या के समाधान की मांग की है।
मोक्षधाम की सुध भी नहीं ली:- सोमेश्वर में कोसी के तट पर स्थित डोलबगड मोक्षधाम की दशा तक नहीं सुधर पाई। दूरदराज से लोग शव लेकर दाह संस्कार को यहां पहुंचते हैं। मगर झाड़ियों के घिरे इस स्थल पर बैठने की उचित व्यवस्था तक नहीं है। बारिश में लोगों को अत्यधिक परेशानी उठानी पड़ती है। यहां तक कि शवदाह को लकड़ी दूर बाजार में वाहन से लानी पड़ती हैं, क्योंकि वन निगम का लकड़ी टाल मुख्य बाजार में है। लोग काफी पहले से टाल को मोक्षधाम के निकट बनाने की मांग उठा रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। अभी तक हासिल सिफर ही है।