नारायण सिंह रावत
उत्तराखंड/सितारगंज। गेहूं और नीले कलर का? काला और परपल रंग का भी? चौंक गए न आप भी! जी हां, लेकिन है यह सोलह आना सच। यदि इतने रंगों के गेहूं को देखना हो तो सितारगंज चले आईये। इतना ही नहीं, यहां आपको चावल भी लाल और काले रंग को देखने को मिलेगा। इसके अलावा और भी बहुत कुछ विभिन्न! और यह सब संभव किया है अनिलदीप महाल ने। जिनकी पूरी फैमली आर्मी में है। सितारगंज ब्लाक के अन्तर्गत आने वाले बिज्टी पटिया गांव में बराड़ फार्म है। इसके स्वामी अनिलदीप महाल है। इन्होंने बरेली, उत्तर प्रदेश से एमएलएलबी की है। ये गोल्ड मेडलिस्ट भी है। यूं तो इनका पूरा परिवार आर्मी में है। लेकिन इन्हें कानून की पढ़ाई करने के बाद भी किसानी करने का शौक है। वर्ष 2000 से शुरू की किसानी में आज यह इलाके में अपनी एक अलग ही पहचान रखते हैं।
अनिलदीप बताते हैं कि उनकी हमेशा कुछ हटकर करने की सोच रहती है। वो अक्सर एग्रीकल्चर वेवसाईट, गूगल पर सर्च कर देश विदेश में हो रहे नए नए कृषि अनुसंधान पर नजर रखते हैं। इसका प्रमाण उनका फार्म है, जहां देश विदेश से लाए गए पेड़, पौधे, फूल और लहराती सब्जियां है। अनिलदीप के मुताबिक गूगल में उन्होंने काले गेहूं के विषय में पढ़ा और फिर उसे प्राप्त करने के लिए वह मोहली की नाभि में स्थित नेशनल एग्रीकल्चर बायोटक इंस्टटीयूट की डा. मोनिका गर्ग से संपर्क किया। किन्तु उनसे वे संतुष्ट नहीं हुए। इसके बाद उन्होने मध्य प्रदेश के एक किसान से संपर्क किया और उनके यहां से 30 किलो काला गेहूं कोरियर से मंगवा। जब आए गेहूं को देखा तो वो निम्न प्रकार का था। इतना ही नहीं इस गेहूं में काला, परपल, और नीला रंग का भी गेहूं था। फिर क्या था उन्होंने प्रत्येक दाने का छांट छांट कर अलग किया और इसकी और जानकारी एकत्रित कर उन्होंने अलग अलग बो दिया।
अनिलदीप बताते हैं कि परपल गेहूं को एक एकड़ में बोया था जिसकी पैदावार 30 प्लस कुंटल हुई है। जबकि तब मौसम भी साथ नहीं दे रहा था। अब उनके पास सभी रंग के गेहूं का बीज तैयार है। वो चाहते कि इस अन्य किसान भी लागये ताकि लोगो ज्यादा पोषक तत्व वाला गेंहू सब को प्राप्त हो और किसानो को इसका अच्छा मूल्य भी मिले। इसके अलावा उन्होंने अपनी फसल में लाल चावल व काला चावल भी लगाया ही उन्होंने काले चावल के बारे बताया कि ये चावल अन्य चावल के अपेक्षा ज्यादा शरीर के लिए फायदे मन्द इस चावल का सालद, खीर व अन्य चीज भी बनती है बताते ही कि ये चावल की खीर बहुत स्वादिष्ट बनती है।
इधर, अनिलदीप महाल द्वारा की जारही विभिन्न प्रकार की खेती की चर्चा सुनकर नानकमत्ता विधायक डॉ प्रेम सिंह राणा बृहस्पतिवार को उनके फार्म पर पहुंचे और उन्होंने रंग बिरंगे गेहूं के साथ काला लाल चावल भी देखा। विधायक ने नाना प्रकार की फसल सब्जी फूल पेड़ पौधे देख रेख बेहद तारीफ की। इसके लिए उन्होंने अनिलदीप के प्रयास को सराहा तथा शुभकामनाएं। इस दौरान विधायक राणा ने जिला कृषि अधिकारी अभय सक्सेना से दूरभाष पर इस फसल ले बारे में अवगत कराया। इसपर जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि वो जल्दी ही इस फसल को देखने के पन्तनगर अनुसंधान केन्द्र की टीम के साथ आयंगे और इस पर रिसर्च करेंगे। आवश्यकता पड़ने पर वह इस फसल को इनका ब्रांड का नाम भी देंगे।
सितारगंज। किसान अनिलदीप ने बताया गेहूं को इसका रंग एंथेक्यानिन से मिलता ह यह वह पिगमेंट है जो ब्लूबेरी और जाबून जैसे फलों को रंग देता है। रंगीन गेहूं से आपको एंथेक्यानिन की जरूरी मात्रा मिल सकती है। एंथेक्यानिन एक एंटीआक्सिडेंट है। गेहूं की नई वेराइटीज में से ब्लैक में एंथोक्यानिन की सबसे अधिक मात्रा है। इसके बाद ब्लू और परपल वेराइटी है।
सितारगंज। किसान अनिलदीप ने दावा किया है कि एंटीआॅक्सिडेंट की प्रचर मात्रा वाले गेहूं से हृदय रोगों, डायबिटीज और मोटापे की आंशका कम हो जाती है। रंगीन गेहूं से बच्चों में कुपोषण की समस्या से भी निपटा जा सकता है। तनाव के उपचार में यह काफी सहायक सिद्ध हो सकता है। कब्ज और दिल के रोगों के लिए यह रामबाण बताया गया है। इसके अलावा पेट के कैंसर में फायदा पहुंचाने के साथ ही यह हाई ब्लड प्रेशर में भी लाभ पहुंचाता है।
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सितारगंज। कृषक अनिलदीप के अनुसार काले गेहूं में अन्य गेहूं के मुकाबले कई पौषक तत्व पाये जाते हैं। साबुत अनाज में मौजूद पोषण मूलय कई पके अनाजों की तुलना में काफी अधिक है। कच्चे अनाज की 3.5 औंस (100ग्राम) में पोषण इस प्रकार कैलोरी-343, पानी-10 प्रतिशत, प्रोटीन-13.3 ग्राम, काब्र्स-71.5 ग्राम, चीनी-00 ग्राम, फाइबर-10 ग्राम, वसा-3.4 गाम आदि पाये जाते हैं जो कि अन्य गेहूं से कही अधिक है।
सितारगंज। प्रगतिशील किसान अनिलदीप के अनुसार काले और सामान्य गेहूं में प्रोटीन न्यूट्रिएंटस और स्टार्च होता है। लेकिन दोनों के बीच आयरन, जिंक और एंथेसाइनीन का अंतर होता है। सामान्य गेहूं में जहां 5पीपीएम एंथोसाइनीन होता है तो वही काले गेहूं में 100 से 200 पीपीएम एंथोसाइनीन की मात्रा होती है। जो कि शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है। इसके अलावा काले रंग का गेहूं सामान्य गेहूं के मुकाबले 60 फीसदी ज्यादा आयरन होता है।