सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर
बागेश्वर जिले में दो दिन तक चलने वाला सातूं-आठूं पर्व गौरा-महेश की पूजा के साथ संपन्न हो गया है। महिलाओं ने सप्तमी को केले के पत्तों से पार्वती की मूर्ति बनाकर गौरी पूजन किया।
अष्टमी के दिन कुश से भगवान शिव की मूर्ति का निर्माण किया। इसके बाद गौरा-महेश की पूजा की। उनसे सुख और सौभाग्य का आशीर्वाद लिया। पंडित राजेंद्र कांडपाल ने बताया कि गौरा-महेश की पूजा को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं।
एक कथा के अनुसार माता पार्वती किसी बात से रुठकर सप्तमी को अपने मायके आती हैं। उन्हें वापस लेने के लिए दूसरे ही दिन महादेव भी अपनी ससुराल पहुंच जाते हैं। मायके वाले दोनों को सम्मान देकर विदा करते हैं। वहीं दूसरी कथा के अनुसार आज के ही दिन रामेश्वरम में भगवान राम ने शिवलिंग की स्थापना की थी।
उन्होंने वहां गौरा और महेश की पूजा की थी। जिला मुख्यालय के तहसील मार्ग, मंडलसेरा, नुमाईशखेत, कत्यूर बाजार आदि स्थानों में सातूं-आठूं का पर्व उल्लास से मनाया गया। उधर पचार गांव में जानकी पांडेय ने आठों पर्व की कहानी बताई। किड़ई गांव में चाचरी आदि की धूम रही।