उत्तराखंड कैग रिपोर्ट में खुलासा; पहाड़ी इलाकों में 70% डॉक्टरों के पद खाली
3 सरकारी अस्पताल में 34 एक्सपायरी दवाओं का स्टॉक
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देहरादून | उत्तराखंड विधानसभा बजट सत्र के दौरान सदन पटल पर रखी गई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। ऑडिट के दौरान पता चला कि वन संरक्षण के लिए निर्धारित धन का उपयोग आईफोन, ऑफिस डेकोरेशन और नवीनीकरण के सामान खरीदने में किया गया है। कैग की वित्तीय वर्ष 2021-22 की रिपोर्ट में पता चला है कि उत्तराखंड के तीन बड़े विभाग वन, स्वास्थ्य और श्रमिक कल्याण बोर्ड में बिना योजना और अनुमति के सार्वजनिक धन का उपयोग किया गया है।
बिना अनुमति 607 करोड़ रुपए किए खर्च
कैग रिपोर्ट में श्रमिक कल्याण बोर्ड की कार्य प्रणाली पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 से 2021 के बीच सरकार की बिना अनुमति के 607 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। वन भूमि हस्तांतरण के नियमों में भी घोर उल्लंघन किया गया है। रिपोर्ट में पाया गया कि प्रतिपूरक वन रोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA) से प्राप्त लगभग 14 करोड़ रुपए की धनराशि का किसी और गतिविधि में उपयोग किया गया है जबकि इस धन का उपयोग वन भूमि परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए किया जाता।
रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया है कि जिस धनराशि का उपयोग विकास कार्य में होना चाहिए था उसे पैसे से लैपटॉप फ्रिज और कूलर खरीदने के अलावा भवनों के नवीनीकरण और अन्य मामलों में भुगतान किया गया है। कैग रिपोर्ट में कैपा योजना के तहत गलत तरीके से भूमि के चयन की बात भी कही गई है। इसके अलावा वन भूमि हस्तांतरण नियमों की भी अनदेखी की गई है।
हेल्थ डिपार्टमेंट पर भी सवाल खड़े किए गए
कैग रिपोर्ट में हेल्थ डिपार्टमेंट से संबंधित भी कई सवाल खड़े किए गए हैं। रिपोर्ट में सरकारी अस्पतालों में एक्सपायर हो चुकी दवाओं के विवरण पर चिंता जताई गई है। कहा गया है कि कम से कम 3 सरकारी अस्पतालों में 34 एक्सपायर हो चुकी दवाओं का स्टॉक था और उनमें से कुछ की एक्सपायरी डेट 2 साल से भी पहले हो चुकी थी। बावजूद इसके एक्सपायर हो चुकी दवाओं का स्टॉक बना रहा। इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की 70% और और मैदानी इलाकों में 50% पद खाली हैं। कैग रिपोर्ट के सार्वजनिक होने पर कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर धन की बर्बादी का आरोप लगाया है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने अपने शासनकाल के दौरान वन विभाग और हेल्प डिपार्टमेंट में धन की बर्बादी की है। तो वही मंत्री सुबोध न्यायालय वन विभाग से संबंधित मामलों के लिए जांच के आदेश दिए हैं।