Bageshwar Braking: लाख मना किया, फफक—फफक कर रोये—गिड़गिड़ाए, फिर भी सड़क बनाने को जमीन चीरते मेहनत मजदूरी से बने मकान तक पहुंचा दी मशीन, डीएम बोले—जांच होगी

दीपक पाठक, बागेश्वरलाख मना किया, अनुनय—विनय की, हाथ जोड़े, लेकिन उनके दर्द से किसी का दिल नहीं पसीजा और जमीन चीरते हुए मशीन घर के…

दीपक पाठक, बागेश्वर
लाख मना किया, अनुनय—विनय की, हाथ जोड़े, लेकिन उनके दर्द से किसी का दिल नहीं पसीजा और जमीन चीरते हुए मशीन घर के पास पहुंचा दी। ​पीड़ित ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है और डीएम ने जांच कराने की बात कही है। सवाल यह उठ रहा है कि जब राह में वन भूमि पड़ती है, तो सड़क बनाने के लिए एनओसी लेने के लिए सालों लग जाते हैं और यहां गांव में सड़क पहुंचाने के लिए किसी का घर आंगन क्यों तोड़ा जा रहा। न तो एनएच जैसा कोई मामला है और न ही अतिक्रमण।

जी हां, मनमानी, अनदेखी व अनसुनी का ऐसा मामला जिले के काफलीगैर तहसील के दुबगाड़—डालखोलिया गांव में देखने में आया है। जहां गिरीश चंद्र पुत्र भोला दत्त जोशी का मकान, रास्ता व नौला तोड़ते हुए गांव को सड़क बनाई जा रही है, जबकि बताया जा रहा है कि पहले सड़क की सर्वे दूसरी जगह से हुई थी और बाद में सर्वे बदल दी गई। जब से सर्वे का पता चला, तब से गिरीश चंद्र मकान, आंगन, रास्ता व नौला बचाने के लिए गुहार लगाते आ रहे हैं। वह लंबे समय से जिलाधिकारी से लेकर निर्माण एजेंसी के चक्कर काट रहे हैं। उन्होंने बताया कि सर्वे भी दूसरे स्थान से हुई है, लेकिन जानबूझकर उनके मकान को निशाना बनाया जा रहा है। मगर किसी ने नहीं सुनी और बुधवार को लोडर मशीन जमीन चीरते हुए घर के करीब पहुंच गई। तो गिरीश चंद्र व उनके परिजन हाथ जोड़कर फफक-फफक कर रोये और मकान को बचाने की गुहार लगाते रहे। जब नहीं मानी तो उन्होंने भारी विरोध किया। वह पुरानी सर्वे के आधार पर रोड बनाने की मांग पर अड़े रहे। जिसके चलते काम बाधित हुआ।

भवन स्वामी का कहना है कि जिस स्थान से सड़क बन रही है, वहां दलदल है और सड़क के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। उनका कहना है कि उन्होंने मेहनत, मजदूरी कर मकान बनाया है। यदि सड़क निर्माण में मकान टूटा तो उनका परिवार बेघर हो जाएगा और ऐसा विकास गांव को नहीं चाहिए। उन्होंने जिलाधिकारी से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की और न्याय की गुहार लगाई है। इधर, जिलाधिकारी विनीत कुमार ने कहा कि मामले की जांच कराई जाएगी।

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