सीएनई रिपोर्टर, हल्द्वानी। दो माह पूर्व अपनी मां के साथ पास की दुकान में जा रहे एक सात साल के बच्चे को बिल्ली ने काट दिया। परिजनों ने इसे बहुत मामूली घटना समझा और मात्र एक टिटनेस का इंजेक्शन लगवा लिया। एंटी रेबीज का इंजेक्शन नहीं लगाने का नतीजा यह हुआ कि बच्चे के शरीर में रैबीज फैल गया और उसने घटना के दो माह बाद उपचार के दौरान दम तोड़ दिया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार रामपुर रोड के एक ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले परिवार में कोहराम मचा हुआ है। गत दिनों उनके घर में एक अत्यंत अप्रिय घटना घटी है। उनके घर के चिराग की अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई है। शुक्रवार रात सुशीला तिवारी अस्पताल की इमरजेंसी में बच्चे ने परिजनों की मौजूदगी में दम तोड़ दिया। घटना के बाद से पूरा परिवार गहरे सदमे में है।
बाल रोग वार्ड में कराया था भर्ती
बताया जा रहा है कि बच्चे के परिजन बुधवार को बुखार और हाइड्रोफोबिया की शिकायत के साथ आपातकालीन विभाग में पहुंचे थे। इस दौरान रोगी को बाल रोग इकाई के तहत वार्ड में भर्ती कराया गया। स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने पर परिजन उसे लेकर एम्स ऋषिकेश ले जाने की बात कहकर चले गए। रास्ते में तबीयत बिगड़ने पर वापस रात में अस्पताल लाए।
बच्चे के शरीर में हई असामान्य हरकतें, फिर तोड़ दिया दम
बाल रोग विभागाध्यक्ष ऋतु रखोलिया ने बताया कि शुक्रवार रात फिर बच्चे को जब इमरजेंसी में लाया गया तो उस दौरान बच्चे के शरीर में असामान्य हरकतों के साथ बाद उसकी मौत हो गई। गांव से मिली जानकारी के अनुसार सात वर्षीय बच्चे को बिल्ली के काटने के बाद परिजन उसे एंटी रेबीज इंजेक्शन नहीं लगा सके थे। बच्चे के पिता गांव में खेती-किसानी करते हैं।
कुत्ते, बिल्ली, गीदड़, सियार, लोमड़ी, बंदर किसी के काटने से भी हो सकता है रैबीज
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी के मुताबिक रैबीज कुत्ते, बिल्ली, सियार, बंदर आदि किसी के काटने पर भी हो सकता है। आज पूरे विश्व में रैबीज का इलाज नहीं है। केवल समय पर इंजेक्शन लगवाना ही इसके बचाव का माध्यम है। जानवरों की लार कटे हुए स्थान पर लगने से खून संक्रमित हो जाता है। इसमें रेबीज संक्रमित जानवर की भी 10 दिन के भीतर मौत हो जाती है।
कितने इंजेक्शन लगते हैं !
रेबीज प्रभावित व्यक्ति को बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पानी से डर (हाइड्रोफोबिया) और असामान्य व्यवहार दिखाई देता है। जानवर के काटने के 24 घंटे के भीतर एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगाना जरूरी होता है। हालांकि तीन इंजेक्शन लगते हैं और अगर काटने वाला जानवर भी 10 दिन के भीतर मर जाए तो इंजेक्शनों की संख्या 5 हो जाती है।
ज्ञात रहे कि बिल्ली के काटने से जान जाने की घटनाएं इससे पूर्व भी हो चुकी हैं। पालतू बिल्ली या कुत्ते को यदि पूरे टीके नहीं लगे हैं तो भी इसकी संभावना रहती है। देश के विभिन्न राज्यों में इस तरह की घटनाएं देखने में आ चुकी हैं।