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बागेश्वरः लीसा नीति को लेकर उठाए सवाल, आंदोलन की धमकी

डीएम से मिले लीसा मेट वेलफेयर सोसायटी के लोग

सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वरः लीसा मेट वेलफेयर सोसायटी ने लीसा गढ़ान-ढुलान पर सवाल उठाएं हैं। उनका कहना है कि राज्य में दो कानून बनाए गए हैं। कुमाऊं-गढ़वाल में गढ़ान-ढुलान की अलग-अलग धनराशि तय है। उन्होंने कहा कि यदि शीघ्र नीति में सुधार नहीं हुआ तो उग्र आंदोलन करेंगे।

सोसायटी के अध्यक्ष लीलाधर पांडे के नेतृत्व में शनिवार को लीसा मेट जिलाधिकारी से मिले। उन्होंने ज्ञापन में कहा कि लीसा-गढ़ान और ढुलान पर रोक है। वन प्रभाग ने उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद लीसा कूपों पर लीसा गढ़ान कार्य संचालित कर दिया है। कुछ वन पंचायतों का अभी कार्यादेश नहीं हो सका है। टेंडर भी होने हैं, लेकिन लीसा कार्य सुचारू किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि यह न्यायालय की अवमानना है। बीते वर्ष की भांति जंगल से मोटर सड़क तक की दूरी के आधार पर ढुलान के रेट तय नहीं किए जा रहे हैं। एक किमी से लेकर 35 किमी दूरी तक एक ही रेट हैं। वहीं, डिपो तक पहुंचाने के रेट भी नहीं दिए जा रहे हैं। जबकि 2022 में किमी की दूरी तय की गई थी। उन्होंने कहा कि विभाग मनमानी पर उतर आया है। जिससे लीसा मेटों में आक्रोश है। उन्होंने शीघ्र कार्रवाई की मांग की है। ऐसा नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। इस दौरान उत्तम सिंह, विशन दत्त, लीलाधर, कैलाश चंद्र, दया कृष्ण, टीका राम, महेंद्र सिंह, पूरन चंद्र, घनानंद आदि उपस्थित थे।

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