ALMORA NEWS: बच्चों की तार्किक शक्ति में चार चांद लगाती हैं पहेलियां; 63वें वेबीनार में बच्चों के मानसिक विकास में पहेलियों के महत्व पर चर्चा

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ाबाल प्रहरी तथा बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा के संयुक्त तत्वावधान में बच्चों का 63वां वेबीनार आयोजित हुआ। जिसकी आनलाइन अध्यक्षता करते हुए बीकानेर…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
बाल प्रहरी तथा बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा के संयुक्त तत्वावधान में बच्चों का 63वां वेबीनार आयोजित हुआ। जिसकी आनलाइन अध्यक्षता करते हुए बीकानेर की बाल साहित्यकार एवं इंजीनियर आशा शर्मा ने कहा कि पहेलियां बच्चों के ज्ञान तो बढ़ाती ही हैं। साथ ही सोचने-समझने और तर्क शक्ति विकसित करती हैं।
उन्होंने कहा कि बच्चे किसी भी बाल पत्रिका में कहानी के बाद पहेलियों को ढूंढते हैं और उनका हल करने का सबसे पहले प्रयास करते हैं। वेबीनार के तहत चले पहेली वाचन सत्र की मुख्य अतिथि शशि ओझा (भीलवाड़ा) ने अमीर खुसरो की पहेली ‘एक थाल मोती से भरा, सबके सिर पर ओंधा धरा, चारों ओर वह थाली फिरे, मोती उससे एक न गिरे’ बच्चों को सुनाते हुए कहा कि हिंदी साहित्य में अमीर खुसरो को बाल पहेली का जन्मदाता माना जाता है। उन्होंने कहा कि पहेलियां गद्य तथा पद्य दोनों विधाओं में प्रचलित हैं। पहेली सत्र में 51 बच्चों ने ऑनलाइन पहेलियां बूझी तथा उनका उत्तर दिया।
कहानी वाचन सत्र में मुंबई की संगीता सेठी ने पर्यावरण एवं ओजोन पर आधारित बाल कहानी ‘पृथ्वी को पड़ता है फर्क’ सुनाई। जिस पर आयरा एल्वी, भूमि बिष्ट, लक्ष्य उन्मुख, जिया जोशी, अंशिका फुलारा, भूमिका मेनारिया, ऋषि जोशी, नेहा आर्या, सृजन भट्ट, रोमा चंद, चैतन्य बिष्ट, शिवांशी जोशी, सुवर्णा जोशी, यश बोहरा, ऊर्जा जोशी, अनन्या वर्मा, कुशाग्र पांडे, देवरक्षिता नेगी, नलिन अधिकारी, साक्षी जोशी, धु्रव धामी, तनूजा राना, कार्तिक जोशी, पिंकी पांडे, प्रखर बहुगुणा, कार्तिक अग्रवाल, अमृत पंत, दीपा पांडे, पीयूष चैसली, तन्मय जोशी आदि बच्चों ने अपनी आनलाइन प्रतिकिया दी। कहानी सत्र के मुख्य अतिथि रतनगढ़ (म.प्र.) के साहित्यकार एवं शिक्षाविद् ओम प्रकाश क्षत्रिय ने कहा कि कहानी पर सभी बच्चों ने सटीक टिप्पणी दी है। उन्होंने कहा कि बच्चों की प्रतिभा को निखारने तथा उन्हें अभिव्यक्ति का अवसर देने की दिशा में ऐसे आयोजन बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। कहानी पर प्रतिक्रिया सुनने के बाद कहानीकार संगीता सेठी ने कहा कि बच्चों की प्रतिक्रिया सुनने के बाद लगता है कि नई पीढ़ी के बच्चे कहानी सुनने के साथ ही कहानी गढ़ने का भी प्रयास कर रहे हैं।
कार्यक्रम के प्रारंभ में बालप्रहरी संपादक तथा बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा के सचिव उदय किरौला ने अतिथियों का स्वागत करते हुए उनका परिचय बच्चों से कराया। कार्यक्रम के अंत में श्याम नारायण श्रीवास्तव ने कहा कि पहेलियां बच्चों को सोचने समझने का अवसर देती हैं। बच्चों की ओर से नेहा आर्या ने सभी अतिथियों को आभार जताया। इस अवसर बालप्रहरी के संरक्षक श्याम पलट पांडेय, शिक्षाविद् आकाश सारस्वत, डॉ. कुसुम नैथानी (देहरादून), सुधा भार्गव (बंगलौर), कृष्ण सैनी (अंबाला), देवदत्त शर्मा (अजमेर), उद्धव भयवाल (औरंगाबाद), शशि ओझा (भीलवाड़ा), उषा सोमानी (चित्तौड़गढ़), केशव दत्त जोशी (दड़मियां), हरीश सेठी (सिरसा), गीता धामी (खटीमा), महेश जोशी (गरूड़), बृजमोहन जोशी (चंपावत), नरेंद्र गोस्वामी (बागेश्वर), आभा जोशी (लखीमपुर), देवसिंह राना (दिल्ली), प्रेम प्रकाश पुरोहित (नंदप्रयाग), गोवर्धन यादव (छिंदवाड़ा), मुन्नी तिवारी (नैनीताल), प्रकाश तातेड़ (उदयपुर), बलवंत सिंह नेगी (चैखुटिया), पंकज जोशी (डीडीहाट), करूणा पांडे (लखनऊ) डॉ. दलीप बोरा (अल्मोड़ा) आदि ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया।

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