ऋषिकेश। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के स्त्री रोग विभाग की ओर से गाइनी ओपीडी में सर्वाइकल कैंसर विषय पर जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें महिलाओं को बच्चेदानी के मुख का कैंसर से सुरक्षा संबंधी जानकारियां दी गई। शनिवार को एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत व डीन प्रो. मनोज गुप्ता की देखरेख में गाइनी विभाग के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर बच्चेदानी के मुख का कैंसर को लेकर जागरुक किया गया। इस दौरान स्त्री रोग विभाग की ओपीडी में आए महिला मरीजों व उनके तीमारदारों को सर्वाइकल कैंसर के कारणों व इससे बचाव के बारे में अवगत कराया गया।
स्त्री रोग विभागाध्यक्ष प्रो. जया चतुर्वेदी व महिला कैंसर रोग विशेषज्ञ डा. शालिनी राजाराम ने बताया कि गर्भाशय के कैंसर का शतप्रतिशत उपचार संभव है, वशर्ते महिलाएं सामान्य अवस्था में इसके बचाव के उपायों को अपना सकें। उन्होंने बताया कि महिलाओं में जागरुकता की कमी के कारण एडवांस सर्वाइकल कैंसर केस अधिक बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि कैंसर के तमाम प्रकारों में सिर्फ सर्वाइकल कैंसर का ही शतप्रतिशत उपचार संभव है, वशर्ते इस बीमारी की रोकथाम के लिए समय पर वैक्सीनेशन कर लिया जाए। उन्होंने बताया कि सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए किशोरियों को 9 से 14 वर्ष की उम्र के मध्यम वैक्सीनेशन अनिवार्यरूप से करा लेना चाहिए, साथ ही प्रत्येक महिला को 30 वर्ष से 65 वर्ष के मध्य तीन से पांच साल के समयांतराल में बच्चेदानी के कैंसर की जांच अनिवार्यरूप से करानी चाहिए। उन्होंने बताया कि एचपीवी वैक्सीनेशन से महिलाओं के प्राइवेट पार्ट का कैंसर, सर्विक्स कैंसर, हैड एंड नैक कैंसर समेत पांच प्रकार के कैंसर की रोकथाम में काफी हद तक मदद मिलती है।
उन्होंने जोर दिया कि महिलाओं को बिना किसी तरह की तकलीफ के बिना भी अपनी नियमित जांच करानी चाहिए, वजह कईदफा सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों का पता नहीं चल पाता है और यह काफी एडवांस स्टेज में सामने आता है, जिसके बाद इसकी रोकथाम में कई तरह की दिक्कतें आती हैं। इस दौरान ओपीडी में महिलाओं की स्क्रीनिंग की गई। जिनमें चार महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के लक्षण पाए गए। इस अवसर पर डा. रूबी गुप्ता, डा. लतिका चावला आदि मौजूद थे।