जयंती पर याद किये गये पं० गोविन्द बल्लभ पन्त, कांग्रेसजनों ने किए श्रद्धासुमन अर्पित

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पं० गोविन्द बल्लभ पन्त की जयन्ती पर आज कांग्रेसजनों ने उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पं० गोविन्द बल्लभ पन्त की जयन्ती पर आज कांग्रेसजनों ने उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किये। इस अवसर पर कांंग्रेस जिलाध्यक्ष पीताम्बर पान्डेय ने बताया कि गोविंद बल्लभ पंत का जन्म 10 सितंबर, 1887 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुआ था।

जब वे 18 वर्ष के थे तो उन्होंने गोपालकृष्ण गोखले और मदन मोहन मालवीय को अपना आदर्श मानते हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्रों में एक स्वयंसेवक के रूप में काम करना शुरू किया। वर्ष 1907 में उन्होंने कानून का अध्ययन करने का निर्णय लिया और कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1910 में उन्होंने अल्मोड़ा में वकालत शुरू कर दी और बाद में वे काशीपुर (उत्तराखंड) चले गए। काशीपुर में उन्होंने ‘प्रेम सभा’ नामक एक संगठन की स्थापना की, जिसने विभिन्न सामाजिक सुधारों की दिशा में काम करना शुरू किया। इस दौरान इस संगठन ने ब्रिटिश सरकार को करों का भुगतान न करने के कारण एक स्कूल को बंद किये जाने से भी बचाया।

यूथ कांंग्रेस प्रदेश प्रवक्ता वैभव पान्डेय ने आगे बताया कि गोविंद बल्लभ पंत दिसंबर 1921 में कांग्रेस में शामिल हुए और जल्द ही असहयोग आंदोलन का हिस्सा बन गए।वर्ष 1930 में गांधी के कार्यों से प्रेरित होकर नमक मार्च का आयोजन करने के कारण उन्हें कैद कर लिया गया। वह उत्तर प्रदेश (तत्कालीन संयुक्त प्रांत) विधानसभा के लिये नैनीताल से स्वराजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुने गए थे। सरकार में रहते हुए उन्होंने ज़मींदारी प्रथा को समाप्त करने के उद्देश्य से कई सुधार किये। उन्होंने देश भर में कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित किया और कुली-भिक्षुक कानून का भी विरोध किया, जिसके तहत कुली और भिक्षुकों को बिना किसी पारिश्रमिक के ब्रिटिश अधिकारियों का भारी सामान ढोने के लिये मजबूर किया जाता था।

गोविंद बल्लभ पंत सदैव अल्पसंख्यक समुदाय के लिये एक अलग निर्वाचक मंडल के खिलाफ रहे, वे मानते थे कि यह कदम समुदायों को विभाजित करेगा। वर्ष 1942 में उन्हें भारत छोड़ो प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के लिये गिरफ्तार किया गया और उन्होंने मार्च 1945 तक कांग्रेस कार्य समिति के अन्य सदस्यों के साथ अहमद नगर किले में कुल तीन वर्ष बिताए। अंततः पंडित नेहरू खराब स्वास्थ्य के आधार पर पंत को जेल से छुड़ाने में सफल रहे। उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता के बाद गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने। उन्होंने किसानों के उत्थान और अस्पृश्यता के उन्मूलन की दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य किया। सरदार पटेल की मृत्यु के बाद गोविंद बल्लभ पंत को केंद्र सरकार में गृह मंत्री बनाया गया था। गृह मंत्री के तौर पर उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का समर्थन किया। इस अवसर पर कांंग्रेस जिलाध्यक्ष पीताम्बर पान्डेय, पूर्व विधायक मनोज तिवारी, कांंग्रेस जिला प्रवक्ता राजीव कर्नाटक, कांंग्रेस जिला सचिव दीपांशु पान्डेय, यूथ कांंग्रेस प्रदेश प्रवक्ता वैभव पान्डेय, वरिष्ठ कांंग्रेसी राबिन मनोज भण्डारी, शरद साह, दीपा साह आदि उपस्थित रहे।

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