Almora News: बोकाशी विधि देगी जैविक खाद और शुद्ध वातावरण, अल्मोड़ा से शुरू होगा ग्रीन हिल्स संस्था का पायलट प्रोग्राम

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा‘घर की रसोई के कचरे से जैविक खाद बनाएं और स्वच्छता में हाथ बटायें’। शुद्ध वातावरण और स्वस्थ जीवन के वृहद लक्ष्य के…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
‘घर की रसोई के कचरे से जैविक खाद बनाएं और स्वच्छता में हाथ बटायें’। शुद्ध वातावरण और स्वस्थ जीवन के वृहद लक्ष्य के साथ काम कर रही ग्रीन हिल्स संस्था ने अब अब इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। इसके लिए बोकाशी विधि से कंपोस्ट प्रोग्राम का पायलट प्रोजेक्ट संस्था अल्मोड़ा शहर से शुरू कर रही है।

संस्था द्वारा यह कार्य अल्मोड़ा शहर के ऑफिसर्स कॉलोनी और नरसिंहबाड़ी से शुरू किया जा रहा है। इसकी शुरुआत करने के लिए गत रविवार को ग्रीन हिल्स संस्था ने ऑफिसर्स कालोनी के ऑफिसर्स क्लब में स्थानीय नागरिकों की एक बैठक की। जिसमें बोकाशी विधि समझाई और इस विधि का एक डिमॉनस्ट्रेशन दिया। मुख्य विकास अधिकारी नवनीत पांडे ने शहर की स्वच्छता में इस कार्य को महत्वपूर्ण बताया और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की बात कही। उन्होंने संस्था को आश्वस्त किया कि ऑफिसर्स कॉलोनी के सभी घरों में इस कार्य को करने के लिए सहयोग दिया जाएगा।बैठक में मुख्य विकास अधिकारी नवनीत पांडे, एसडीएम गौरव पांडे, डीडीएमओ राकेश जोशी समेत ऑफिसर्स कॉलोनी के कई अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यक्रम में संस्था की सचिव वसुधा पंत, आशा डी सूजा, भूपेन्द्र वल्दिया, धीरज सिंह व पार्थ तिवारी शामिल रहे।
बोकाशी से कई लाभ

घरों से निकलने वाले कचरे में से लगभग 60 प्रतिशत कचरा रसोई से निकलने वाला जैविक कचरा या गीला कचरा होता है। जिससे अच्छी गुणवत्ता की जैविक खाद बनाई जा सकती है, बशर्ते इस गीले कचरे का निस्तारण उचित प्रकार से उसी जगह पर किया जाए, जहां यह पैदा हो रहा है। इससे एक ओर जैविक खाद मिलेगी, वहीं दूसरी तरफ शहर में फैलने वाली गंदगी व दुर्गंध से निजात मिलेगी। इतना ही नहीं नगरपालिका पर कूड़े के निस्तारण का दबाव कम होगा, जिससे ट्रंचिंग ग्राउंड तक ट्रांसपोर्ट करने के खर्चे में कमी आएगी।
जापानी विधि है यह

बोकाशी एक जापानी विधि है। जिसमें सब्जी, फलों के छिलकों, चायपत्ती, बासी खाना, अंडे के छिलके, मांस व मछली आदि को दिन में एक बार बोकाशी बिन में डालकर खाद बनाई जाती है।

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