दुश्मन देश को हुआ 60 कऱोड़ का नुकसान, पढ़िये पूरी कहानी
CNE DESK/दो देशों के बीच चल रहे युद्ध के बीच यूक्रेन की ‘ड्रोन जाल’ ने रूसी एयरबेस पर ऐसा कहर बरपाया कि कुछ ही मिनटों में रूस के चार एयरबेस और 41 एयरक्राफ्ट पूरी तरह तबाह हो गए। दावा किया जा रहा है कि यूक्रेन ने महज 50 लाख खर्च कररूस को 60 करोड़ से अधिक का नुकसान पहुंचा दिया है।
Operation Spiders Web: रूस और यूक्रेन के बीच जंग को शुरू हुए 3 साल से अधिक हो गए हैं और शांति का रास्ता अब भी कहीं नहीं दिख रहा है। शांति वार्ता हो पाती, लेकिन इससे पूर्व ही यूक्रेन ने रूस के खिलाफ ड्रोन अटैक कर दिया। इसे यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने “इतिहास की किताबों” में से एक बताया है। ऑपरेशन का कोडनेम “स्पाइडर वेब” था जिसमें सस्ते में बनाए गए ड्रोन शामिल थे जो रूसी क्षेत्र में गहराई तक घुस गए थे और उसके सैन्य हवाई क्षेत्रों पर हमला करने के लिए इस्तेमाल किए गए थे।
बताना चाहेंगे कि ये ड्रोन अटैक रूस के 4 एयरबेस पर हुए हैं, इनमें से एक तो रूस में 4 हजार किमी भीतर स्थित है। यूक्रेन के राष्ट्रपति का कहना है कि वो इस ऑपरेशन की तैयारी दिसंबर 2023 से कर रहे थे।

जानिए कैसे हुआ इतना घातक ड्रोन अटैक ?
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार गत 01 जून की सुबह रूस के 4 अलग-अलग एयरबेस के नजदीक कुछ कंटेनरनुमा ट्रक आकर रुके। धीरे से इन कंटेनर्स की छत खुली और मधुमक्खियों की तरह एक-एक करके इनमें से ड्रोन निकलने लगे। ये FPV (फर्स्ट-पर्सन-व्यू) ड्रोन्स थे। इन 117 ड्रोन्स ने रूसी एयरबेस में खड़े A-50, TU-95 और TU-22 जैसे स्ट्रैटेजिक बॉम्बर्स को निशाना बनाया। तेज धमाके हुए, आग लगी और काले धुएं के गुबार उठने लगे, जिन्हें दूर से देखा जा सकता था। यूक्रेन ने इस पूरे ऑपरेशन को ‘स्पाइडर वेब’ नाम दिया है।
आधुनिक जंग में इसे अब तक का सबसे बड़ा और कॉम्प्लेक्स ड्रोन अटैक माना जा रहा है। कई वीडियो और तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिनमें कंटेनर्स से ड्रोन निकलते और एयरक्राफ्ट पर क्रैश होते देखा जा सकता है।
रूस को कितना नुकसान ?
यूक्रेन की SBU सिक्योरिटी सर्विस के एक सूत्र के मुताबिक, इन हमलों में रूस के 4 एयरबेस पर मौजूद 41 एयरक्राफ्ट्स को निशाना गया। इसमें TU-95 और TU-22 स्ट्रैटेजिक बॉम्बर एयरक्राफ्ट, A-50 रडार डिटेक्शन एंड कमांड एयरक्राफ्ट शामिल हैं। TU-95 और TU-22 जैसे एयरक्राफ्ट्स से पारंपरिक और परमाणु हमले किए जा सकते हैं। जबकि A-50 का इस्तेमाल जासूसी करने और इनपुट्स जुटाने के लिए किया जाता है, जो काफी महंगे और रेयर हैं।
ब्रिटिश थिंकटैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज की रिपोर्ट ‘मिलिट्री बैलेंस 2025’ के मुताबिक, साल की शुरुआत में रूस के हवाई बेड़े में 55 TU-22M3 जेट और 57 TU-95 थे। करीब 16 A-50 एयरक्राफ्ट भी थे।
सूत्रों और अनुमानों के मुताबिक इस हमले से रूस को 7 बिलियन डॉलर, यानी 59.77 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। साथ ही रूस के हवाई बेड़े में मौजूद 34% स्ट्रैटेजिक क्रूज मिसाइल कैरियर्स को नुकसान पहुंचा है। दावा किया जा रहा है कि ऑपरेशन स्पाइडर वेब के बाद 12 घंटों के लिए रूसी एयरफोर्स ठप पड़ गई थी।
‘ऑपरेशन स्पाइडर वेब’ की सटीक प्लानिंग
जेलेंस्की ने कहा कि ऑपरेशन की तैयारी में डेढ़ साल से ज्यादा समय लगा। इसकी तैयारी दिसंबर 2023 से ही की जा रही थी। इस ऑपरेशन का कोडनेम ‘पावुट्यना’ रखा गया। अंग्रेजी में इसका मतलब स्पाइडर वेब होता है, यानी मकड़ी का जाल। पूरा ऑपरेशन जेलेंस्की की निगरानी में हुआ। इसकी कमान सिक्योरिटी सर्विस के मुखिया लेफ्टिनेंट जनरल वासिल माल्युक के हाथों में रही। इसे यूक्रेन की सिक्योरिटी सर्विस SBU ने अंजाम दिया।
सबसे पहले SBU ने रूसी इलाके में अपना ऑफिस बनाया, जो रूस की सुरक्षा और खुफिया एजेंसी FSB के हेडक्वार्टर के ठीक बगल में था। कुछ एजेंटों को यहां तैनात किया गया।
हमले के लिए फर्स्ट पर्सन व्यू यानी FPV ड्रोन्स बनाए गए। ये ड्रोन्स काफी सस्ते और छोटे होते हैं, जो कम ऊंचाई पर उड़ते हैं। ये रडार और S-400 जैसे एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देकर हमला करते हैं।
इसमें लगे कैमरे लाइव फुटेज भेजते रहते हैं, जिससे ऑपरेटर को ड्रोन की स्पीड और मूवमेंट की जानकारी मिलती रहती है, एकदम एयरक्राफ्ट की तरह।
‘द इकोनॉमिस्ट’ की रिपोर्ट के मुताबिक, इन ड्रोन्स ने वीडियो फुटेज को यूक्रेन भेजने के लिए रूसी मोबाइल-टेलीफोन नेटवर्क का इस्तेमाल किया। इनमें से ज्यादातर वीडियो बाद में सोशल मीडिया पर शेयर किए गए।
दावा किया जा रहा है कि एक FPV ड्रोन की लागत 430 से 600 डॉलर तक थी। यानी करीब 36.7 हजार से 51.2 हजार रुपए तक। इस हिसाब से 117 ड्रोन्स की कुल लागत 43 लाख से 60 लाख रुपए थी।
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ को SBU के एक अधिकारी ने बताया कि एक्सप्लोजिव और कैमरा लगे इन ड्रोन्स को खास तौर से बनाए गए लकड़ी के बक्सों में सेट किया गया, जिन्हें ट्रकों पर लादा गया। इन ट्रकों को खुफिया तरीके से रूस में पहुंचाया गया। बाद में इन्हें रूसी एयरबेस के आस-पास से लॉन्च किया गया।
जेलेंस्की ने बताया कि ‘ऑपरेशन स्पाइडर वेब’ में 117 ड्रोन्स और उतने ही ऑपरेटर्स ने काम किया। जिन लोगों ने रूस में रहते हुए इस ऑपरेशन में मदद की उन्हें ऑपरेशन के बाद सुरक्षित जगहों पर ले पहुंचाया जा चुका है। यानी अभी तक कोई पकड़ा नहीं गया।
‘द इकोनॉमिस्ट’ ने सोर्सेज के हवाले से रिपोर्ट किया, ‘यूक्रेन ने रूस के अन्य सैन्य और हवाई अड्डों पर हमला किया। इससे रूस अपने एयरक्राफ्ट्स को खास ठिकाने पर ले जाने के लिए मजबूर हो गया। इस ड्रोन अटैक से तीन दिन पहले दर्जनों एयरक्राफ्ट को मरमंस्क प्रांत के ओलेन्या एयरबेस ले जाया गया। इसी एयरबेस में रूस को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।
रूस हमले को रोक क्यों नहीं पाया?
यूक्रेन ने रूस की सीमा के 2,000 से 4,000 किमी अंदर तक घुसकर हमले किए लेकिन रूस इसे नहीं रोक पाया। इसके दो मुख्य कारण थे। पहला यूक्रेन के ड्रोन ने बहुत नीचे उड़ान भरी थी। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल विष्णु चतुर्वेदी के मुताबिक, यूक्रेन के ड्रोन कम ऊंचाई पर उड़कर रूसी एयरबेस तक पहुंचे। डिफेंस सिस्टम लंबी दूरी से आ रहे और बहुत ऊपर उड़ान भर रहे ड्रोन्स और जेट्स पर हमला करने में सक्षम होता है। यह नीचे उड़ान भर रहे ड्रोन्स को डिटेक्ट नहीं कर पाता। रूसी डिफेंस सिस्टम भी इसी कारण यूक्रेनी ड्रोन्स की मूवमेंट डिटेक्ट नहीं कर पाया, जिससे यूक्रेन का हमला सफल रहा।
दूसरा कारण था कि एयर डिफेंस को रिएक्ट करने का टाइम नहीं मिल पाया। रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘हमलों में इस्तेमाल किए गए ड्रोन हवाई अड्डों के बेहद नजदीक से लॉन्च किए गए थे।’ लॉन्चिंग से चंद मिनटों के बाद ही इन्होंने अटैक कर दिया। ऐसे में रूस के एयर डिफेंस सिस्टम के पास इन्हें रोकना का समय ही नहीं था। आमतौर पर जब यूक्रेन अपने देश की सीमा से रूस पर कोई अटैक लॉन्च करता है, तो टारगेट तक पहुंचने समय लगता है, लेकिन इस बार हमला रूस के अंदर से ही लॉन्च हुआ था।
क्या राष्ट्रपति पुतिन करेंगे पलटवार?
रूसी रक्षा मंत्रालय ने यूक्रेन के ड्रोन अटैक को आतंकी हमला बताया है। अपने स्टेटमेंट में रक्षा मंत्रालय ने बताया, ‘मरमंस्क, इरकुत्स्क, इवानोवो और रियाजान क्षेत्रों के एयरबेस पर FPV ड्रोन से हुए आतंकी हमले को विफल कर दिया गया है। एयरबेस के बहुत पास से हमला लॉन्च होने के चलते मरमंस्क और इरकुत्स्क क्षेत्र में कुछ एयक्राफ्टस में आग लग गई।’
रूस ने यह भी माना कि हमले उनके एयरबेस के काफी पास से किए गए और ड्रोन्स को ट्रेलर ट्रक से लॉन्च किया गया। इस दौरान रूस ने 162 यूक्रेनी ड्रोन्स मार गिराए।
हालांकि, हमले के बाद राष्ट्रपति पुतिन का कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। ऐसे में यह मुमकिन है कि वे यूक्रेन पर पलटवार की योजना बना रहे हों। चर्चा तो यह भी है कि रूस कभी भी न्यूक्लियर अटैक तक का फैलसा ले सकता है। हालांकि रूसी जेट पर अटैक के बाद अब उसकी पास न्यूक्लियर हथियार लॉन्च करने वाले जेट पहले से कम हो गए हैं। यह रूस को फुल स्केल न्यूक्लियर अटैक लॉन्च करने से रोकेगा।