चिंतनीय: कभी पनचक्कियां घुमाता था गधेरों का पानी, आज प्यास बुझाने की ताकत नहीं

— अल्मोड़ा जिले के राइंका गणनाथ में जागरूकता कार्यक्रम— बच्चों को जल संरक्षण के लिए आगे आने की प्रेरणा सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: पिछले 04 दशक…

— अल्मोड़ा जिले के राइंका गणनाथ में जागरूकता कार्यक्रम
— बच्चों को जल संरक्षण के लिए आगे आने की प्रेरणा

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: पिछले 04 दशक में कोसी नदी के सहायक जल स्रोतों के जल स्तर में भारी गिरावट आई है। अगर ध्यान नहीं दिया गया, तो भविष्य में जल संकट गंभीर रूप धारण करेगा। जिन बहते गधेरों की ताकत से कभी अधिसंख्य पनचक्कियां चलती थी, वही गधेरे आज प्यास बुझाने की तक क्षमता खो रहे हैं। यह बात जिले के राजकीय इंटर कालेज गणानाथ में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में कही गई।

उल्लेखनीय है कि कोसी नदी और उसकी सहायक जल स्रोतों को संरक्षित एवं संवर्धित करने, कोसी नदी पुनर्जीवन अभियान को जन अभियान बनाने तथा स्थानीय स्तर पर जंगलों एवं जल स्त्रोतों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए टीम गठित करने के जिलाधिकारी द्वारा दिए गए हैं। इसी क्रम में जिले के राजकीय इंटर कालेज गणनाथ में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में स्वास्थ्य उपकेंद्र सूरी के फार्मासिस्ट गजेन्द्र कुमार पाठक ने पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से कोसी नदी और उसे जलापूर्ति करने वाले गाड़ गधेरों और धारों में पानी के स्तर की जानकारी दी। उन्होंने पिछले चालीस सालों में आए अंतर को स्पष्ट करते हुए बताया कि कोसी नदी और उसे जलापूर्ति करने वाले गाड़ गधेरों और धारों में सन् 1980 तक इतना अधिक पानी हुआ करता था, कि प्रत्येक गाड़—गधेरों में दर्जनों पनचक्कियां चला करतीं थी। मगर आज गर्मियों में पीने को भी पानी नहीं मिल रहा है।

उन्होंने जल स्तर में आई कमी का मुख्य कारण मिश्रित जंगलों की जगह चीड़ के एकल प्रजाति के जंगलों का आना तथा जंगलों में हर साल होने वाली आग की घटनाएं हैं। इसके अलावा वैश्विक तापवृद्धि से उत्पन्न जलवायु परिवर्तन के कारण शीतकालीन वर्षा और बर्फबारी में उल्लेखनीय कमी ने जल स्त्रोतों में जल स्तर घटाने में योगदान दिया है। कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों, जनप्रतिनिधियों से अनुरोध किया गया कि जंगलों को अनियंत्रित और अवैज्ञानिक दोहन से बचाने तथा जंगलों की आग की रोकथाम में वन विभाग को सहयोग कर सूखते जल स्त्रोतों और जैव विविधता को बचाया जा सकता है। सभी विद्यार्थियों को जंगल का मित्र बनने के लिए प्रेरित किया गया। कार्यक्रम में शामिल सरपंच दिनेश लोहनी ने सभी लोगों से जंगलों को आग और नुकसान से बचाने हेतु आगे आने का आह्वान किया ताकि भावी जल संकट को रोका जा सके।

कार्यक्रम में नवीन चंद्र आर्या ने जागरूकता कार्यक्रम को कोसी नदी पुनर्जीवन अभियान को जन अभियान बनाने की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए इस तरह के कार्यक्रम ग्राम सभा स्तर पर आयोजित करने की जरूरत बताई। कार्यवाहक प्रधानाचार्य सरोज कुमार ने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि जंगलों की मानव जीवन में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए हमें अपने जंगलों का संरक्षण और संवर्धन करना चाहिए। कार्यक्रम में गोविन्द प्रसाद, वन दरोगा शंकर सिंह बिष्ट, कुंदन सिंह बगड़वाल, किशोर चंद्र, वन बीट अधिकारी दीपक चुपडाल, मनोज कुमार वर्मा, सुनीता देवी, नवीन चंद्र आर्या, हरीश नाथ, दिनेश लोहनी, शेखर राम, नीलम पंत, कंचन जोशी, पूजा जंगपांगी आदि ने प्रतिभाग किया।

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