AlmoraBreaking NewsCNE SpecialUttarakhand

Big Breaking: राष्ट्रीय धरोहर बनेगा अल्मोड़ा के स्यूनराकोट का नौला

एएसआई ने जारी किया प्रथम नोटिफिकेशन

एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद् से सीएनई की बातचीत

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

अगर सब कुछ ठीकठाक रहा, तो जनपद अल्मोड़ा का प्राचीनतम स्यूनराकोट का नौला जल्द ही राष्ट्रीय धरोहर बन जाएगी। अद्भुत शिल्पकला से ओतप्रोत यह नौला 16वीं सदी में निर्मित माना गया है। अब इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कदम आगे बढ़ा दिए हैं। यहां तक कि गत 22 जुलाई 2022 को इसका प्रथम नोटिफिकेशन जारी हो चुका है। जिसमें आपत्तियों के लिए दो माह का वक्त दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि अल्मोड़ा-कौसानी मोटरमार्ग में कोसी कस्बे से कुछ आगे से मुमुछीना गांव को जाने वाली सड़क के किनारे यह नौला अवस्थित है। जो सड़क से करीब आधे किमी की दूरी पर पंथ्यूड़ा गांव में स्थित है। इसकी महत्ता को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने समझा है और अब अपने अधीन संरक्षण में लेने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई ) के देहरादून सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविद् मनोज सक्सेना ने सीएनई को विशेष बातचीत में बताया कि पुरातात्विक दृष्टि से अध्ययन के बाद अल्मोड़ा के स्यूनराकोट नौले को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अपने अधीन लेने के इच्छुक है और इसके लिए पहल आरंभ हो गई है, ताकि इसे राष्ट्रीय धरोहर के रूप में संरक्षित किया जा सके। श्री सक्सेना ने बताया कि प्रयासों के चलते नियमानुसार 22 जुलाई 2022 को इसके लिए प्रथम नोटिफिकेशन जारी कर दिया है और आपत्तियों के लिए दो माह का समय दिया गया है। उन्होंने बताया कि नोटिफिकेशन की जानकारी डीएम अल्मोड़ा व संबंधित प्रधान को भेज दी गई है और संबंधित ग्राम सभा के पंचायत घर में चस्पा कर दी गई है। उन्होंने बताया कि दो माह में मिलने वाली आपत्तियों का समाधान करने के बाद फाइनल नोटिफिकेशन जारी होगा और इसके बाद एएसआई इसे अपने अधीन लेने की कार्यवाही करेगा।

श्री सक्सेना ने बताया कि जल्द ही नौले की साफ सफाई कराई जाएगी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन आने के बाद यह नौला राष्ट्रीय धरोहरों में शुमार हो जाएगा। इसके बाद इस नौले की विशेष साफ-सफाई, मरम्मत, सुधारीकरण, सौंदर्यीकरण व संरक्षण के कार्य होंगे। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अल्मोड़ा के रानीधारा निवासी पुरातत्वविद् एवं वरिष्ठ पत्रकार कौशल किशोर सक्सेना ने इस नौले का बारीकी से अध्ययन किया है और अपनी लेखनी से पूर्व में इसकी महत्ता को बखूबी उजागर किया है।
❗आलेखः शिल्प की दृष्टि से सिरमौर स्यूनराकोट का नौला❗

अल्मोड़ा जनपद के महत्वपूर्ण नौलों में से स्यूनराकोट का नौला शिल्प की दृष्टि से सिरमौर है। उत्तराभिमुख यह नौला 16वीं शती में निर्मित प्रतीत होता है। नौले की तलछंद योजना में गर्भगृह और अर्धमंडप है। अर्धमंडप का आकार तीन गढ़नो से सज्जित किया गया है। मध्यवर्ती गढ़न को पुप्पाकृतियों से सजाया गया है। स्तम्भों का निचला भाग भी वर्गरूपेण है जो अर्धपद्म से सज्जित किया गया है। मध्यवर्ती स्तम्भ में बारह लम्बवत परंतु सादी पट्टियां हैं। उपर की ओर तोड़ेनुमा आकृतियों के नीचे पद्म, फुल्ल पद्म सजाये गये हैं। तोड़े भी पद्म आकृतियों से सज्जित हैं। इनमें उपर की ओर गरू़ड सदृश आकृतियां बनायी गयी होंगी जो अब स्पष्ट नहीं है। स्तम्भों के मध्य में एक विशाल पत्थर लगाकर एक सादा उत्तरंग बनाया गया है। बाहर की ओर स्नान के लिए मंच बनाये गये हैं।

गर्भगृह के प्रवेशद्वारों के स्तम्भों को पंच पत्रावलियों से सजाया गया है। इनमें पत्र शाखाओं और मणिबन्ध शाखाओं की बनावट दृष्टव्य है। ललाटबिम्ब में गणेश का अंकन किया गया है। सबसे उपर पुरूष आकृतियां अंकित हैं। प्रवेशद्वार के बायीं ओर त्रिरथ देवकुलिकायें बनायी गयी हैं। जिनके जंघा भाग सम्भवतः देवी देवताओं के पैनल से सजाये गये है। परन्तु वर्तमान में केवल हंस पर आरूढ़ वीणावादिनी सरस्वती तथा एक पुरूष आकृति ही दृष्टव्य है। नीचे की ओर भी कुछ आकृतियां बनायी गयी होंगी जिनमें एक पुरूष तथा एक स़्त्री आकृति स्पष्ट प्रतीत होती है। प्रवेशद्वार के एकदम बगल में बायीं ओर उपासिकाओं से पूजित गजलक्ष्मी का अंकन है। इसके बगल में व्याल आकृति तथा दायीं ओर भी देवकुलिकायें बनायी गयी हैें। इसी ओर नीचे कूर्मावतार तथा सूर्य का अंकन है।

परम्परिक गढ़नों से सज्जित कुंड के उपर गर्भगृह में भी देवकुलिकायें निर्मित की गयी है। जिनमें ढोलक बजाते पुरूष आखेट के लिए जाते धनुर्धारी आखेटक एवं गणेश आदि के अतिरिक्त गरूड़ का भी अंकन है। जंघा भाग को पैनल लगाकर विष्णु के दशावतारों से सज्जित किया गया है। जिनमें बायें से दायें मत्स्य के उपर आरूढ़ चारों वेद, नीचे की ओर जलचर, तलवारधारी अश्वारूढ कल्कि अपने सेवकों सहित विराजमान हैं। रामलक्ष्मण, वाराह अवतार, शंख, चक्र गदाधारी विष्णु , मुरली वादक कृष्ण तथा शेष पैनल अस्पष्ट हैं। वितान विभिन्न सोपानयुक्त आकृतियों से उपर उठाया गया है।

नौले में बाहर की ओर जंघा भाग पर भी पैनल लगे है। इनमें सम्भतः मातृकायें रहीं होंगी। टूटे पैनलों में लिंग पूजन, विष्णु, अश्वारूढ़ योद्धा, गायक-वादक, मंदिरों की आकृतियां, अत्यधिक लम्बा खडग लिये पुरूषाकृति तथा महिषमर्दिनी का अंकन है। नौला तराशे गये प्रसाधित पत्थरों से बना है। छत पटालों से आच्छादित की गयी है, लेकिन कुछ समय पूर्व तक सम्पूर्ण नौले की जर्जर हालत के कारण इसे तुरन्त बचाने की आवश्यकता थी। नौले में जगह जगह दरारें पड़ गयी थीं। छत गिरने के कगार पर आ गयी थी। पत्थर चटकने लगे थे। लोगों ने चूना पोत कर नौले को बदरंग कर दिया । चारों तरह पानी का रिसाव होंने के कारण कीचड़ हो गयी जिसके कारण भी क्षरण की प्रक्रिया तेज हो गयी थी। कई अलंकृत पैनल लोग उठाकर ले गये, लेकिन नौला नष्ट होने की स्थिति मे आने से पहले ही संस्कृति प्रेमियों के अथक प्रयासों से राज्य पुरातत्व संगठन ने इसे अपने संरक्षण में ले लिया, जिससे एक अमूल्य धरोहर सदा के लिए नष्ट होने से बच गई।

(उक्त आलेख पूर्व में पुरातत्वविद् कौशल किशोर सक्सेना द्वारा लिखा गया है।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
किचन गार्डन में जरूर लगाएं ये पौधे, सेहत के लिए भी फायदेमंद Uttarakhand : 6 PCS अधिकारियों के तबादले शाहरूख खान की फिल्म डंकी 100 करोड़ के क्लब में शामिल हिमाचल में वर्षा, बर्फबारी होने से बढ़ी सर्दी Uttarakhand Job : UKSSSC ने निकाली 229 पदों पर भर्ती