अल्मोड़ा न्यूजः “कुमाऊंनी के विकास की दरकार, भेजी गई सरकार के द्वार”

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ाकुमाऊंनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति कसारदेवी, अल्मोड़ा के बैनर तले हाल में हुए कुमाऊंनी भाषा सम्मेलन में पारित आठ प्रस्तावों को…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
कुमाऊंनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति कसारदेवी, अल्मोड़ा के बैनर तले हाल में हुए कुमाऊंनी भाषा सम्मेलन में पारित आठ प्रस्तावों को अब प्रदेश के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत को भेजा गया है, ताकि उन पर उचित कार्यवाही हो और कुमाऊंनी भाषा के बेहतर भविष्य की दिशा में ठोस कदम उठ सकें।
दरअसल, यहां कुमाऊंनी भाषा सम्मेलन में कुमाऊंनी भाषा के विकास के लिए व्यापक मंथन हुआ। तदोपरांत सरकार से मांग करते हुए आठ सूत्रीय प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए। अब समिति के शिष्टमंडल ने इन प्रस्तावों को मांगपत्र के रूप में जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को प्रेषित कर दिया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से अनुरोध किया गया है कि इन मांगों पर त्वरित कार्यवाही अमल में लाई जाए। ज्ञापन सौंपने वालों में समिति के अध्यक्ष देव सिंह पिलख्वाल, सचिव डा. हयात सिंह रावत, उपाध्यक्ष जमन सिंह बिष्ट, आनंद सिंह बिष्ट, प्रवीण सिंह कर्म्याल, ललित तुलेरा व शशि शेखर आदि शामिल रहे।
जानिये क्या हैं ये आठ प्रस्ताव
1- कुमाऊंनी भाषा को मान्यता देकर भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।
2- कुमाऊंनी भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के संबंध में उत्तराखंड विधानसभा से संकल्प पारित कर केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाय। 3- कुमाऊंनी भाषा विकास के लिए उत्तराखंड में कुमाऊंनी भाषा अकादमी की स्थापित हो।
4- कुमाऊंनी को उत्तराखंड में प्राइमरी से लेकर उच्च कक्षाओं तक विद्यालयी पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में पढ़ाया जाए और पाठ्यक्रम निर्माण की कार्यवाही जल्द शुरू की जाए।
5- उत्तराखंड में स्थापित हिंदी अकादमी व उत्तराखंड भाषा संस्थान की गतिविधियां शुरू की जाए। दोनों संस्थाओं के माध्यम से पुस्तक प्रकाशन के लिए सहायता दी जाए और रचनाकारों को पुरस्कृत/सम्मानित करने की व्यवस्था हो। इसके अलावा पुरस्कार या सम्मान तथा पुस्तक प्रकाशन सहायता के लिए कुमाऊंनी भाषा के साहित्यकारों को शामिल करते हुए अलग-अलग चयन समितियों का गठन किया जाए।
6- उत्तराखंड संस्कृति विभाग की पुस्तक प्रकाशन सहायता के लिए विषय निर्धारण की नीति को बदला जाए और कुमाऊंनी, गढ़वाली समेत उत्तराखंड की बोली-भाषाओं में लिखी पांडुलिपियों की पुस्तक प्रकाशन के लिए सहायता का प्राविधान किया जाए।
7- उत्तराखंड सरकार के उपक्रम उत्तराखंड हिंदी अकादमी, उर्दू अकादमी, पंजाबी अकादमी व उत्तराखंड भाषा संस्थान में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व निदेशक मंडल (कार्यकारिणी) में साहित्यकारों को शामिल किया जाए।
8- सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा में कुमाऊंनी भाषा विभाग की स्थापना की जाए और कुमाऊंनी भाषा में बीए व एमए की पढ़ाई शुरू की जाए।

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