पीड़ा : मायूस हैं फूलों की खेती से जुड़े काश्तकार, एक साल से नही हुआ भुगतान, जलागम ने समेट लिया कारोबार तो कौन होगा पुरसाहाल ?

अल्मोडा़। धौलादेवी विकासखंड में विश्व बैंक वित्त पोषित विकेंद्रीकृत जलागम विकास परियोजना ग्राम्या फेज 2 विगत 5 वर्षों से कार्यरत काश्तकारों को व्यक्तिगत व समूह…

अल्मोडा़। धौलादेवी विकासखंड में विश्व बैंक वित्त पोषित विकेंद्रीकृत जलागम विकास परियोजना ग्राम्या फेज 2 विगत 5 वर्षों से कार्यरत काश्तकारों को व्यक्तिगत व समूह के रूप में आय संवर्धन के अनेक कार्य किये गये। जिसमें मुख्यतः लीलीयम के फूलों की खेती का उत्पादन क्षेत्र के काश्तकारों से कराया गया। उत्पादन के बाद जलागम द्वारा उनकी बिक्री हेतु बाजार की व्यवस्था की गई, लेकिन एक साल गुजर जाने के बाद भी काश्तकारों को फूलों की बिक्री की धनराशि नही मिली है। जिससे सैकड़ों काश्तकारों में मायूसी है। काश्तकारों ने आरोप लगाया है कि अब जलागम का 5 साल का समय समाप्त होने को है। जिससे उनके उत्पादन का पैसा मिलना अब जलागम से संभव नहीं लग रहा है। कुछ माह बाद जलागम अपना करोबार सिमटना शुरू करने लगेगा, जबकि लाखों रूपये का भुगतान काश्तकारों को होना है। लीलीयम के फूलों की खेती का उत्पादन करने वाले काफली के काश्तकार नाथू राम, नवीन लाल समेत अनेक लोगों का कहना है कि अनेक बार जलागम के अधिकारियों से भुगतान की मांग कर चुके हैं, लेकिन एक साल से आनाकानी करते आ रहे हैं। काश्तकारों ने जिला प्रशासन व जलागम के उच्चधिकारियों से मांग की है कि उनकी उपज का धनराशि शीघ्र दी जाए। कहा कि लाक डाउन के चलते इस समय लाखों रूपये के फूल न बिकने से काश्तकारों को नुकसान भी हो चुका है। इस प्रकार काश्तकारों को दोहरी चपत लगी है, लेकिन एक ओर पुराना लाखों रूपया नही मिला है। वहीं दूसरी ओर नई फसल न बिकने से लाखों रूपया का नुकसान हो गया है। काफली के सामाजिक कार्यकर्ता नवीन सनवाल ने ग्राम्या व जिला प्रशासन से लीलीयम के फूलों की पुराने भुगतान जलगम परियोजना के बंद होने से पहले ही काश्तकारों को भुगतान किये जाने की मांग की है।

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